Delhi Mask Issue: मास्क पर सियासत के लिए दिल्ली में मंत्री जी की जासूसी, यहां पढ़िये- पूरा मामला

विपक्ष मास्क को लेकर सरकार को घेरने में जुटा है। ऐसे में कई नेता जासूस की भूमिका में दिख रहे हैं। उन्हें मंत्रियों की जासूसी का काम दिया गया है। कौन मंत्री किस कार्यक्रम में जा रहा है वहां भीड़ कितनी है मंत्री और अन्य मास्क लगाए हैं या नहीं?

By JP YadavEdited By: Publish:Sat, 28 Nov 2020 10:33 AM (IST) Updated:Sat, 28 Nov 2020 10:33 AM (IST)
Delhi Mask Issue: मास्क पर सियासत के लिए दिल्ली में मंत्री जी की जासूसी, यहां पढ़िये- पूरा मामला
घर से बाहर बिना मास्क के पकड़े जाने पर दो हजार रुपये का जुर्माना है।

नई दिल्ली, जेएनएन। राजधानी दिल्ली में इन दिनों कोरोना से ज्यादा मास्क को लेकर सियासत हो रही है। दरअसल, घर से बाहर बिना मास्क के पकड़े जाने पर दो हजार रुपये का जुर्माना है। इससे आम आदमी भी दहशत में है। उन्हें कोरोना से ज्यादा डर दो हजार रुपये जुर्माने का है, इसलिए वह किसी तरह से मुंह ढंकने की आदत डाल रहे हैं। इसके साथ ही मास्क पर सियासी संग्राम भी शुरू हो गया है। विपक्ष मास्क को लेकर सरकार को घेरने में जुटा हुआ है। ऐसे में कई नेता जासूस की भूमिका में दिख रहे हैं। उन्हें मंत्रियों की जासूसी का काम दिया गया है। कौन मंत्री किस कार्यक्रम में जा रहा है, वहां भीड़ कितनी है, मंत्री और अन्य मास्क लगाए हैं या नहीं? इन बातों की पूरी जानकारी हासिल कर रहे हैं। मौके की फोटो भी मंगा रहे हैं, जिससे कि सरकार को कठघरे में खड़ा किया जा सके।

कब तक बने रहेंगे रक्षात्मक

आम आदमी पार्टी (आप) इन दिनों भाजपा शासित नगर निगमों को घेरने में लगी है। आप नेता रोज प्रेस कॉन्फ्रेंस कर निगमों में भ्रष्टाचार का कोई न कोई मुद्दा उठा देते हैं। इससे प्रदेश भाजपा नेतृत्व परेशान है। उसे इस सियासी हमले का मुंहतोड़ जवाब देने का माकूल तरीका समझ नहीं आ रहा है। फिलहाल लग रहे आरोपों के खंडन की रस्म अदायगी हो रही है। इससे आम कार्यकर्ताओं और पार्षदों में बेचैनी है। उनका कहना है कि समय रहते यदि कारगर रणनीति नहीं बनाई गई तो चुनाव में नुकसान उठाना होगा। आरोपों का खंडन करने या रक्षात्मक होने के बजाय पार्टी को आक्रामक रुख अख्तियार करना होगा। निगम की उपलब्धियों को प्रचारित करने के साथ ही उन मुद्दों को उठाना होगा, जिसका जवाब देने के लिए दिल्ली सरकार और आप नेता मजबूर हो सकें। इस काम के लिए पार्टी नेतृत्व शायद योग्य नेताओं की खोज कर रहा है।

पद बढ़े, काम बढ़ने का इंतजार

भाजपा में इन दिनों संगठन पुनर्गठन की प्रक्रिया चल रही है। मंडल से लेकर प्रदेश तक नए लोगों को जिम्मेदारी मिल रही है। पिछले दिनों जिलों की टीमें घोषित हुई हैं। मनचाहा पद पाने वाले खुश हैं, जबकि वंचित रह गए नेता नाराज हैं। कई जिलों में नियुक्तियों को लेकर विवाद भी है। नियुक्तियों में पार्टी संविधान के उल्लंघन के भी आरोप हैं। जिलों में पहली बार तीन-तीन महामंत्री तैनात कर दिए गए। पहले प्रत्येक जिले में दो-दो महामंत्री होते थे। इसी तरह से उपाध्यक्ष और मंत्रियों की संख्या आठ-आठ होती थी, लेकिन इस बार इनकी संख्या नौ या दस है। जिलों में प्रचार मंत्री की भी तैनाती की गई है। इस तरह से जिलों में पदाधिकारी नेताओं की संख्या बढ़ गई है। अब संगठन में इनके योगदान का इंतजार है। कार्यकर्ताओं का कहना है कि पद के साथ जिम्मेदारी भी तय होनी चाहिए। सिर्फ नाम के लिए पदाधिकारियों की तैनाती नुकसानदेह होगी।

चुनाव से पहले अस्तित्व पर प्रश्न

दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीपीसी) चुनाव को लेकर सरगर्मियां तेज हैं। गुरुद्वारा निदेशालय के साथ ही चुनाव लड़ने वाली पार्टियां भी अपने स्तर पर तैयारी कर रही हैं। इसी बीच शिरोमणि अकाली दल (शिअद बादल) के अस्तित्व को लेकर भी लड़ाई हो रही है। धार्मिक पार्टी के तौर पर इसकी मान्यता का मामला तूल पकड़ रहा है। वर्ष 2017 में भी इसकी मान्यता रद करने की मांग उठी थी। अब फिर से अदालत में इस मामले की सुनवाई शुरू हो गई है। आम अकाली दल नामक पार्टी की याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई हो रही है। खास बात यह है कि शिअद बादल के खिलाफ एचएस फूलका पैरवी कर रहे हैं। इससे नए चुनावी समीकरण के भी कयास लगने लगे हैं। वहीं, चुनाव से कुछ माह पहले इस कानूनी लड़ाई से अकाली नेताओं की ¨चता बढ़ना लाजिमी है। फिलहाल उन्हें अदालत के फैसले का इंतजार है।

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