पढ़िए अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में किस तरह के खिलौने मोह रहे बच्चों का मन, अधिकतर लोगों की पहली पसंद

आनंदम गुड़ की शुरुआत आठ हजार रुपये जबकि सोने की परत चढ़े गुड़ की कीमत 51 हजार रुपये किलो है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2017 से वह गुड़ बनाने का कारोबार कर रहे हैं। साल 2018 में प्रशासन ने ‘वन डिस्टिक्ट वन प्रोडक्ट’ की श्रेणी में शामिल किया है।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Publish:Mon, 22 Nov 2021 01:09 PM (IST) Updated:Mon, 22 Nov 2021 01:09 PM (IST)
पढ़िए अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में किस तरह के खिलौने मोह रहे बच्चों का मन, अधिकतर लोगों की पहली पसंद
प्रगति मैदान में चल रहा भारतीय अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला।- जागरण

नई दिल्ली [संजी गुप्ता]। 40वें अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में प्लास्टिक या इलेक्ट्रानिक ही नहीं, बल्कि काठ से बने और ईको फ्रेंडली खिलौने बच्चों के खूब मन भा रहे हैं। कर्नाटक से आए कारीगर के तू कनकुला ने बताया कि यहां आने वाले ज्यादातर लोग इन खिलौने के बारे में पूछ रहे हैं। इन्हें खास लकड़ी से बनाया गया है। इन्हें रंगने के लिए सब्जियों के रंगों का इस्तेमाल किया गया है। उन्होंने कहा, ‘ पिछले कुछ सालों से लकड़ी के खिलौनों की मांग बढ़ी है। हम उम्मीद कर रहे हैं कि बच्चों के साथ बड़े भी घरों में सजाने के लिए इन खिलौने का उपयोग करेंगे। इससे न केवल लकड़ियों के खिलौने का व्यापार बढ़ेगा बल्कि रोजगार के अवसर भी खुलेंगे। देशभर में बड़ी संख्या में लोग इस उद्योग से जुड़े हुए हैं।’

यूपी की गुड़िया खींच रही सभी का ध्यान

अक्सर हम बच्चों के हाथों में प्लास्टिक की गुड़िया देखते हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश की रहने वाली रंजना गुप्ता जूट से बनी ईको फ्रेंडली गुड़िया बनाकर स्वदेशी खिलौनों की अलख जगा रहीं हैं। वह बताती हैं कि उन्होंने यह काम बचपन में पिता श्रीकृष्ण और माता गिरिजा देवी से सीखा है। उन्होंने बताया कि अधिकतर गुड़िया विदेशी कपड़े पहने रहती हैं। लेकिन, उन्होंने जो गुड़िया बनाईं हैं वे साड़ी पहने हुए हैं। इससे वे भारतीय संस्कृति को दर्शा रहीं हैं। उन्होंने कहा क इन गुड़ियों को बच्चे खूब पसंद कर रहे हैं। सरकार के माध्यम से कला बाहर तक फैल रही है। मेले में लोक कला को बढ़ावा दिया जा रहा है। आने वाले दिनों में प्रोत्साहन मिलता रहा तो वह जल्द ही आनलाइन भी यूपी की गुड़िया बेचेंगी।

राम की नगरी से आया सोने का गुड़

उत्तर प्रदेश पवेलियन में राम की नगरी अयोध्या से आए एक कारीगर की स्टाल भी आकर्षण का केंद्र है। इस स्टाल पर 51 हजार रुपये किलो का गुड़ मिल रहा है। इसकी खासियत यह है कि इस पर सोने का वर्क चढ़ा हुआ है। इसके अलावा यहां पर 51 अलग-अलग किस्म के गुड़ भी हैं। इस गुड़ को तैयार करने वाले अविनाश चंद्र दुबे ने बताया कि वह मूंगफली, चाकलेट, आम, गुलाब, इलायची, अजवाइन, हल्दी, हींग, अश्वगंधा और सोने का गुड़ बिक्री के लिए रखा गया है। गुड़ बनाते समय किसी भी प्रकार का केमिकल का उपयोग नहीं किया गया है। अविनाश ने बताया कि सादे गुड़ की शुरुआत 60 रुपये किलो से होती है, जबकि फ्लेवर गुड़ की शुरुआत 300 रुपये किलो से होती है।

उन्होंने कहा कि आनंदम गुड़ की शुरुआत आठ हजार रुपये जबकि सोने की परत चढ़े गुड़ की कीमत 51 हजार रुपये किलो है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2017 से वह गुड़ बनाने का कारोबार कर रहे हैं। साल 2018 में प्रशासन ने ‘वन डिस्टिक्ट, वन प्रोडक्ट’ की श्रेणी में शामिल किया है।

खूब पसंद की जा रही है झारखंड चिरौंजी और इमली

झारखंड मंडप में चिरौंजी और इमली खूब पसंद की जा रही है। उद्यम उत्थान समिति के राजेश कुमार के अनुसार अपनी स्टाल पर वह लाह, चिरौंजी और इमली उत्पाद बेच रहे हैं। सबसे ज्यादा बिक्री इमली और चिरौंजी की हो रही है। उनकी समिति में 500 आदिवासी महिलाएं काम करती हैं। मंडप में लाह से बने अन्य उत्पादों की बिक्री भी खूब हो रही है। इनमें चूड़ियां, चूडीदान, डोरबेल, मूर्तियां आदि शामिल हैं। लोगों को यह सामान काफी पसंद आ रहा है।

सरस में कुल्लू की शाल और पंजाबी फुलकारी चादर कर रही आकर्षित

सरस मंडप में कुल्लू की शाल और पंजाबी फुलकारी चादर दर्शकों को आकर्षित कर रही है। हिमाचल के कुल्लू जिले के भुंतर से आने वाली पटंती एसएचजी ग्रुप की तारा देवी ने बताया कि हमारे ग्रुप में कुल दस लोग हैं। हमारे यहां ऊनी हथकरघा उत्पाद हैं, इनमें जैकेट, टोपी, जुराब, शाल, स्टाल शामिल हैं। ये सामान दो सौ से लेकर पच्चीस सौ रुपये तक की कीमत के हैं।

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