कार में AC-हीटर का करते हैं इस्तेमाल तो यह खबर पढ़ना आपके लिए है जरूरी
कार में लगा एयर कंडीशन (एसी) व हीटर आपको राहत तो देता है लेकिन अगर इसके उपयोग में सतर्कता न बरती गई तो यह जानलेवा भी साबित होता है।
नई दिल्ली [मनीषा गर्ग]। तपती गर्मी या फिर कड़कड़ाती सर्दी से कार में लगा एयर कंडीशन (एसी) व हीटर आपको राहत तो देता है लेकिन अगर इसके उपयोग में सतर्कता न बरती गई तो यह जानलेवा भी साबित होता है। ऐसे में वाहन चालकों का जागरूक होना जरूरी है।
दम घुटने से हो जाती है मौत
5 अक्टूबर 2017 को रणहौला इलाके में भी एक शख्स शाम को अपनी कार को बिना लॉक किए घर चला गया। वहां दो बच्चे आए और कार के अंदर बैठकर दरवाजा बंद कर लिया। करीब छह घंटे बाद लोग उन्हें ढूंढते हुए कार के पास पहुंचे। लेकिन तब तक दोनों बच्चों की मौत हो चुकी थी। कुछ ऐसा ही मामला पिछले वर्ष 27 नवंबर को हुआ था। जब दिल्ली कैंट में कैटरिंग का काम करने वाले छह कर्मचारी ठंड से बचने को कैंटर में तंदूर रख दरवाजा अंदर से बंदकर सो गये। कार्बन-मोनोऑक्साइड गैस के कारण सभी की दम घुटने से मौत हो गई।
डॉ. नितिन शाक्य (मेडिकल ऑफिसर, जनकपुरी अतिविशिष्ट अस्पताल) का कहना है कि कार्बन-मोनोऑक्साइड गैस सांस के साथ शरीर में प्रवेश करती है और सीधे हीमोग्लोबिन से जाकर जुड़ जाती है। ऐसी स्थिति में मरीज के शरीर में काफी प्रेशर के साथ ऑक्सीजन पहुंचाया जाता है, ताकि कार्बन मोनोऑक्साइड को खत्म किया जा सके। हालांकि यह काफी मुश्किल होता है, जिस कारण अधिकांश मामलों में मरीज की मौत हो जाती है।
जानलेवा भी है एयरकंडीशन व हीटर
कार में इंजन के कारण कार्बन-मोनोऑक्साइड गैस इकठ्ठी हो जाती है, जिसके कारण सांस लेने में परेशानी हो जाती है। कई बार दम घुटने से व्यक्ति की मौत हो सकती है। असल में एयर कंडीशन या हीटर चलाने के दौरान लोग कार के शीशे पूरी तरह बंद कर लेते है। ऐसे में सांस के द्वारा छोड़ी कार्बन-डाईऑक्साइड गैस व इंजन से निकली कार्बन-मोनोऑक्साइड गैस की मात्र कार में बढ़ने लगती है। कार में सोए हुए व्यक्ति को इस बात का बिल्कुल भान नहीं रहता कि उसके शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो रही है। विशेषकर आस्थमा व दमे के मरीज जल्दी इससे प्रभावित होते है।
बचाव जरूरी
कार में एयर कंडीशन व हीटर चलाकर सोने से पहले थोड़ा सा शीशा खोल लें, ताकि साफ हवा कार के प्रवेश करती रहे। एयर कंडीशन से कार के अंदर तो ठंडक का माहौल हो जाता है, लेकिन इसकी वजह से इंजन काफी गर्म हो जाता है। जिससे कई बार हादसा भी हो सकता है। ऐसे में जरूरी है कि हर छह माह के अंतराल पर कार के एयर कंडीशन की जांच कराएं। कोशिश करें कि कार के अंदर न सोएं, यदि आप सो रहे है तो हीटर के आसपास एक बर्तन में पानी भरकर रख दें। ताकि भाप के साथ वह पानी कार में नमी को बरकरार रखे।
20 डिग्री तक बढ़ जाता है तापमान
खुले आसमान के नीचे धूप के सीधे संपर्क में खड़ी गाड़ी के अंदर का तापमान केवल दस मिनट में 20 डिग्री तक बढ़ सकता है। ऐसी स्थिति में कार के अंदर का तापमान तेजी से बढ़ता है। ऐसी परिस्थिति में कार में बैठे छोटे बच्चे हीट स्ट्रोक का जल्दी शिकार हो सकते हैं। इसके अलावा सांस के साथ कार में कार्बन-डाईऑक्साइड एकत्रित होता रहता है। ऐसी स्थिति में बच्चा बेहोश हो जाता है। कई मामलों में बच्चे की जान भी जा सकती है।