Delhi Congress: भाजपा-AAP की पोल खोलने के चक्कर में कहीं कांग्रेस की न खुल जाए गुटबाजी की पोल

यह यात्रा किसी भी विधानसभा क्षेत्र के हर हिस्से को कवर न कर केवल उसी दायरे तक निकल रही है जहां भीतरघात उत्पन्न ना हो। जहां स्थानीय नेता का समर्थन नहीं है या प्रदेश नेतृत्व के साथ विवाद हो वहां जाने से बचा जा रहा है।

By Jp YadavEdited By: Publish:Thu, 28 Oct 2021 12:27 PM (IST) Updated:Thu, 28 Oct 2021 12:27 PM (IST)
Delhi Congress: भाजपा-AAP की पोल खोलने के चक्कर में कहीं कांग्रेस की न खुल जाए गुटबाजी की पोल
Delhi Congress: भाजपा-AAP की पोल खोलने के चक्कर में कहीं कांग्रेस की न खुल जाए गुटबाजी की पोल

नई दिल्ली [संजीव गुप्ता] दिल्ली नगर निगम चुनाव 2022 को देखते हुए दिल्ली कांग्रेस इन दिनों हर विधानसभा क्षेत्र में पोल खोल यात्रा निकाल रही है। पार्टी नेतृत्व का कहना है कि इस दौरान केंद्र की भाजपा और दिल्ली की आप सरकार की नाकामियों को उजागर किया जा रहा है, लेकिन कुछ दिनों की यात्रा में ही यह आशंका भी उठने लगी है कि कहीं यह यात्रा पार्टी की आपसी गुटबाजी की ही पोल न खोल दे। हो क्या रहा है कि यह यात्रा किसी भी विधानसभा क्षेत्र के हर हिस्से को कवर न कर केवल उसी दायरे तक निकल रही है जहां भीतरघात उत्पन्न ना हो। जहां स्थानीय नेता का समर्थन नहीं है या प्रदेश नेतृत्व के साथ विवाद हो, वहां जाने से बचा जा रहा है। पोस्टरों में भी संबंधित क्षेत्र के कई नेता नदारद होते हैं तो कई ऐसे जुड़े रहते हैं जिनका सीधा सरोकार नहीं है। कहीं किसी दिन आपस में ही तू तू- मैं मैं न हो जाए।

कमेटी गठित, लेकिन कैसे मनाएं आजादी का जश्न!

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के निर्देश पर प्रदेश कांग्रेस ने भी आजादी की 75वीं वर्षगांठ के जश्न को लेकर एक कमेटी तो गठित कर दी, लेकिन इसके बाद कुछ नहीं। पिछले सप्ताह कमेटी की एक बैठक हुई और मामला फिर से खत्म। अहम सवाल यह है कि कमेटी तो बना दी गई, लेकिन आजादी का जश्न कैसे मनाएं, कार्यक्रम कैसे आयोजित किए जाएं। दरअसल, हर गतिविधि के लिए फंड चाहिए और पार्टी वैसे ही आर्थिक संकट से जूझ रही है।

कांग्रेस पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं का सुझाव है कि एआइसीसी के निर्देशों का पालन करते हुए उसके संदर्भ में व्यवहारिकता का भी ध्यान रखना चाहिए। हर प्रदेश और हर राज्य की स्थिति एक समान नहीं होती। उक्त कमेटी का गठन भी कुछ ऐसा ही मसला है। इस तरह के आयोजन सत्ता में रहते हुए तो संभव है, अन्यथा नहीं। हालांकि छिटपुट स्तर पर कुछ एक आयोजन किए जा सकते हैं।

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