पढ़िए कोर्ट ने किस मामले में टिप्पणी करते हुए कहा दिल्ली पुलिस की इस लापरवाही से काफी दुख पहुंचा
कोर्ट को बताया था कि इस घटना को एक अन्य एफआइआर के साथ जोड़ कर पुलिस ने अप्रासंगिक कर दिया है। पुलिस ने पक्ष रखा था कि कथित मामले में एफआइआर संख्या 72 में जांच चल रही है। इस एफआइआर में उस इलाके की कई घटनाएं जुड़ी हुई थीं।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली दंगे के दौरान करावल नगर इलाके में धार्मिक स्थल में आग लगाने के मामले में कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की अर्जी पर निचली अदालत के अलग से मुकदमा दर्ज करने के आदेश को निरस्त कर दिया है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव के कोर्ट ने कहा कि इस मामले में पहले से अलग मुकदमा दर्ज है। इसके बारे में पुलिस ने निचली अदालत में कभी उल्लेख ही नहीं किया। इसमें अदालत की कोई खामी नहीं है। यह पुलिस की लापरवाही को दर्शाता है। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि पुलिस की इस लापरवाही से काफी दुख पहुंचा है।
गत वर्ष 25 फरवरी को दंगे के दौरान करावल नगर थाना क्षेत्र में शिव विहार के पास दंगाइयों ने दो गैस सिलेंडर रख कर धार्मिक स्थल में आग लगा दी थी। शिव विहार में रहने वाले हाजी हाशिम अली ने इस मामले में अलग प्राथमिकी दर्ज करने की मांग करते हुए अतिरिक्त मुख्य महानगर दंडाधिकारी के कोर्ट में अर्जी दायर की थी।
कोर्ट को बताया था कि इस घटना को एक अन्य एफआइआर के साथ जोड़ कर पुलिस ने अप्रासंगिक कर दिया है। पुलिस ने पक्ष रखा था कि कथित मामले में एफआइआर संख्या 72 में जांच चल रही है। इस एफआइआर में उस इलाके की कई घटनाएं जुड़ी हुई थीं। इस कोर्ट ने तथ्यों के आधार पर इसमें अलग एफआइआर दर्ज करने का आदेश दिया था। कोर्ट के आदेश को दिल्ली पुलिस ने सत्र न्यायालय में चुनौती दी थी।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव के कोर्ट में इस अर्जी पर कई सुनवाई के बाद पुलिस ने गत 17 मार्च को अवगत कराया कि धार्मिक स्थल में आगजनी की घटना की अलग एफआइआर संख्या-55 भी दर्ज है, जिसमें जांच की जा रही है। अचानक नई एफआइआर का जिक्र करने पर कोर्ट ने पुलिस की ¨खचाई की थी। पूछा था कि इस एफआइआर का जिक्र निचली अदालत में क्यों नहीं किया गया। फिर कोर्ट ने पुलिस से डेली डायरी और एफआइआर संख्या 55 का पूर्ण ब्योरा तलब किया था। जांच अधिकारी को भी बुलाया था। सभी पक्षों पर गौर करते हुए कोर्ट ने निचली अदालत के आदेश को निरस्त कर दिया।
हाशिम को नहीं मिली राहत
दंगे के दौरान गत वर्ष 25 फरवरी को शिव विहार फेज-छह में दंगाइयों ने कई घर व दुकानों को जला दिया था। जिसमें शिव विहार निवासी हाजी हाशिम अली का घर भी जलाया गया था। सभी मामलों को पीडि़त नरेश चंद की शिकायत पर दर्ज मुकदमे में जोड़ दिया गया था। इस मामले में करावल नगर थाने की पुलिस ने हाजी हाशिम समेत दो को गिरफ्तार किया था। मुख्य महानगर दंडाधिकारी के कोर्ट ने इस मामले में पुलिस द्वारा दायर आरोपपत्र पर संज्ञान ले लिया था।
इसको चुनौती देते हुए हाजी हाशिम व उसके साथी ने सत्र न्यायालय में दायर अर्जी में कहा था कि वह इस मामले में पीडि़त है और उसे ही आरोपित बना दिया गया है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव के कोर्ट ने उसकी इस अर्जी को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि निचली अदालत के आदेश में कोई त्रुटि नहीं है। दंगे के सीसीटीवी फुटेज में हाजी हाशिम और उसका साथी नजर आ रहा है। जिसे दरकिनार नहीं किया जा सकता।