दिल्ली में लौटे थानेदारों के अच्छे दिन, पुलिस आयुक्त ने दी इंस्पेक्टरों को ये सुविधा

2009 में तत्कालीन पुलिस आयुक्त वाइएस डडवाल ने थानाध्यक्षों के वाहनों व थानों के कमरों में एसी लगाने पर रोक लगा दी थी। उनका मानना था कि एसी की सुविधा होने पर इंस्पेक्टर गश्त के बजाय थानों में ही समय बिताएंगे।

By Mangal YadavEdited By: Publish:Tue, 20 Oct 2020 01:32 PM (IST) Updated:Tue, 20 Oct 2020 01:32 PM (IST)
दिल्ली में लौटे थानेदारों के अच्छे दिन, पुलिस आयुक्त ने दी इंस्पेक्टरों को ये सुविधा
नई स्कार्पियो के साथ खड़े मंडावली के थानाध्यक्ष प्रशांत कुमार। सौजन्य: ट्विटर

नई दिल्ली [राकेश कुमार सिंह]। दिल्ली के थानों में तैनात थानाध्यक्षों (थानेदारों) के अब अच्छे दिन लौट आए हैं। दरअसल, पुरानी व्यवस्था के तहत इन्हें जिप्सी मिली हुई थी। उनमें न तो आरामदायक सीटें थी और न एसी ही लगा हुआ था। दिल्ली जैसे शहर में कानून व्यवस्था को बनाए रखने के साथ ही स्ट्रीट क्राइम व अन्य तरह के अपराध पर नियंत्रण के लिए थानाध्यक्षों को गश्त करने व भागदौड़ लगी रहती है। 2009 में तत्कालीन पुलिस आयुक्त वाइएस डडवाल ने थानाध्यक्षों के वाहनों व थानों के कमरों में एसी लगाने पर रोक लगा दी थी। उनका मानना था कि एसी की सुविधा होने पर इंस्पेक्टर गश्त के बजाय थानों में ही समय बिताएंगे।

वर्तमान आयुक्त एसएन श्रीवास्तव ने इस मिथ्या को तोड़ सभी 195 थानाध्यक्षों को स्कॉर्पियो दे दी है। इससे इंस्पेक्टरों का हौसला बढ़ गया है। उन्होंने गश्त भी बढ़ा दी है। खाली सड़कों पर स्कॉर्पियो खड़ी कर सेल्फी भी ले रहे हैं।

खाकी को कोरोना का खौफ

खाकी में बढ़ते कोरोना संक्रमण को देखते हुए पुलिस आयुक्त एसएन श्रीवास्तव वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग व पत्र के जरिये महकमे के कर्मियों को लगातार दिशानिर्देश दे रहे हैं। दरअसल, कोरोना से अब तक पांच हजार पुलिसकर्मी संक्रमित हो चुके हैं। इनमें 4400 ठीक होकर वापस ड्यूटी पर भी लौट चुके हैं, जबकि 600 उपचाराधीन है। इसके अलावा दो इंस्पेक्टर समेत 21 पुलिसकर्मियों की अब तक कोरोना से म़ृत्यु हो चुकी है। जामिया नगर के थानाध्यक्ष समेत करीब पांच से अधिक कर्मी ऐसे देखे गए जो कोरोना से उबरने के बाद दोबारा पॉजिटिव हो गए।

टिगड़ी थाने के एक इंस्पेक्टर व एक महिला सिपाही करीब एक माह से कोरोना पॉजिटिव ही हैं। खाकी में अजीबोगरीब लक्षण पाए जाने पर आयुक्त बेहद चिंतित हैं। ऐसे में पुलिसकर्मियों से वे लगातार कह रहे हैं कि संक्रमण से बचने के लिए विभाग द्वारा जारी दिशानिर्देशों का हर हाल में पालन करें।

रुक जा, अब कहीं न जा, दिल्ली के सिवा

जिस अफसर को एक बार दिल्ली में तैनाती मिल गई तो वह यहां से कहीं दूसरी जगह हिलना नहीं चाहता है। अब अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मिजोरम एंड यूनियन टेरेटरी कैडर के आइपीएस अफसरों को ही ले लीजिए। इन अफसरों का भी यहीं जमे रहने का दिल करता है। तभी तो तबादला आदेश आते ही उसे रुकवाने की कोशिश में लग जाते हैं। फिलहाल ऐसा पहली बार ऐसा देखा गया कि दिल्ली पुलिस में तैनात 14 आइपीएस, जिनका तबादला दिल्ली से बाहर किया गया है वे यहां से जाने को तैयार नहीं हुए।

वे तबादला रुकवाने के लिए गृह मंत्रलय में जुगाड़ भिड़ाते रहे। तबादला रुकवाने को आवेदन भी कर दिया। अमित शर्मा, संजय भाटिया व अनुज कुमार तबादला तीन माह के लिए रुकवाने में सफल रहे। लेकिन, बाकी 11 अफसरों के लिए मंत्रलय को 16 अक्टूबर को आदेश जारी कर कहना पड़ा कि जल्द नई जगह पर जाकर ज्वाइन करें।

इंजीनियर पर केस, बना दिया झपटमार

गत दिनों बल्लीमारान के चौकी इंचार्ज एसआइ पवन वत्स ने बहुराष्ट्रीय कंपनी में नौकरी करने वाले सॉफ्टवेयर इंजीनियर दीपक के खिलाफ मोबाइल झपटमारी का झूठा केस दर्ज कर इसलिए गिरफ्तार कर लिया क्योंकि वह आए दिन इलाके में होने वाले अवैध निर्माण की शिकायत करते रहते थे। अवैध कमाई में बाधक बनने पर दीपक से पवन नाराज थे और उनको फंसाने के लिए मौके की तलाश में थे।

एक महिला ने पवन से शिकायत कर बताया कि बाइक सवार दो बदमाशों ने उसका पर्स व मोबाइल छीनने की कोशिश की। सफल न होने पर उसे ब्लेड मार दिया। भागने के दौरान एक ने अपने साथी को दीपक नाम से पुकारा था। बस फिर क्या था, पवन ने इंजीनियर दीपक को गिरफ्तार कर लिया। आला अधिकारियों के पास मामला पहुंचने पर पवन को लाइन हाजिर कर विजिलेंस को जांच सौंप दी गई। अब एसआइ को नौकरी करना भारी पड़ सकता है।

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