DSGMC Elections 2021: दिल्ली सिख सियासत में बढ़ी सरगर्मी, शिअद बादल को मिल रही कड़ी चुनौती
जीके अब जग आसरा गुरु ओट (जागो) नाम से अलग पार्टी बनाकर शिअद बादल को चुनौती दे रहे हैं। वह कई पुराने अकालियों को अपने साथ जोड़ने में सफल रहे हैं। वहीं शिरोमणि अकाली दल दिल्ली (सरना) एक बार फिर से कमेटी पर कब्जा करने की कोशिश में है।
नई दिल्ली [संतोष कुमार सिंह]। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीएमसी) चुनाव की नई तारीख घोषित होने के बाद एक बार फिर से सिख राजनीति में सरगर्मी तेज होने लगी है। पहले 25 अप्रैल को मतदान होना था। नामांकन प्रक्रिया पूरी होने के बाद चुनाव प्रचार में तेजी आने लगी थी, लेकिन कोरोना की दूसरी लहर के कारण चुनाव स्थगित कर दिया गया था। अब 22 अगस्त को मतदान की नई तारीख घोषित की गई है। इसे लेकर सिख राजनीति से जुड़ी पार्टियों की गतिविधियां फिर से बढ़ने लगी हैं।
कमेटी पर इस समय शिरोमणि अकाली दल (शिअद बादल) का कब्जा है। पार्टी को लगातार दो बार जीत मिल चुकी है और इस बार उसके सामने कब्जा बरकरार रखने की चुनौती है। शिअद बादल ने वर्ष 2013 में चुनाव जीतकर कमेटी पर कब्जा किया था। मनजीत सिंह जीके अध्यक्ष और मनजिंदर सिंह सिरसा महामंत्री बने थे। उसके बाद वर्ष 2017 में भी पार्टी को जीत मिली और जीके को अध्यक्ष और सिरसा को महामंत्री बनाया गया। इसी दौरान जीके व सिरसा के बीच वर्चस्व की लड़ाई शुरू हो गई। जीके के इस्तीफे के बाद वर्ष 2019 में सिरसा अध्यक्ष बनाए गए।
जीके अब जग आसरा गुरु ओट (जागो) नाम से अलग पार्टी बनाकर शिअद बादल को चुनौती दे रहे हैं। वह कई पुराने अकालियों को अपने साथ जोड़ने में सफल रहे हैं। वहीं, शिरोमणि अकाली दल दिल्ली (सरना) एक बार फिर से कमेटी पर कब्जा करने की कोशिश में लगा हुआ है। गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व पर करतारपुर साहिब तक नगर कीर्तन निकालने की इन्हें अनुमति दी गई थी, जिसके जरिये संगत के बीच इनकी पकड़ मजबूत हुई है। शिअद बादल कोरोना काल में कमेटी द्वारा किए गए कार्यो, सिखों के हित में उठाई गई आवाज का हवाला देकर जीत का दावा कर रही है।
2017 में हुए चुनाव का परिणाम
शिरोमणि अकाली दल (बादल) ने लगातार दूसरी बार डीएसजीएमसी पर कब्जा किया था। पार्टी ने वर्ष 2013 के डीएसजीएमसी चुनाव की तरह ही दूसरी बार भी कमेटी के 35 वाडरे में जीत हासिल की थी। वहीं, शिअद दिल्ली (सरना) को सात सीटें नसीब हुईं थीं। दो सीटों पर अकाल तख्त के पूर्व जत्थेदार भाई रंजीत सिंह की पार्टी अकाल सहाय वेलफेयर सोसायटी ने जीत दर्ज की थी।