Weather News Update: आखिर सितंबर महीने में क्यों हो रही है रिकार्ड तोड़ बारिश, सामने आए 2 प्रमुख कारण

Weather News Update जलवायु परिवर्तन के अलावा हिंद महासागर एवं बंगाल की खाड़ी में लगातार चल रही हलचल भी रिकार्ड तोड़ बारिश के पीछे प्रमुख भूमिका निभा रही है। इन मौसमी परिस्थितियों का असर अभी पूरे माह ही बने रहने की संभावना है।

By Jp YadavEdited By: Publish:Thu, 16 Sep 2021 06:10 AM (IST) Updated:Thu, 16 Sep 2021 07:54 AM (IST)
Weather News Update: आखिर सितंबर महीने में क्यों हो रही है रिकार्ड तोड़ बारिश, सामने आए 2 प्रमुख कारण
आखिर सितंबर महीने क्यों हो रही है रिकार्ड तोड़ बारिश, सामने आए 2 प्रमुख कारण

नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। सितंबर में भी रिकार्डतोड़ बारिश होने और मानसून की आगे खिसकती विदाई के लिए केवल जलवायु परिवर्तन ही जिम्मेदार नहीं है। हिंद महासागर एवं बंगाल की खाड़ी में लगातार चल रही हलचल भी इसके पीछे प्रमुख भूमिका निभा रही है। इन मौसमी परिस्थितियों का असर अभी पूरे माह ही बने रहने की संभावना है। मौसम विज्ञानियों के अनुसार, पश्चिम की ओर से पूर्व की तरफ पूरे ग्लोब से गुजरने वाली मेडन जूलियन ओशिलेसन वेव सीधे तौर पर मानसून की मजबूती की परिचायक है। मानसून की दस्तक से पूर्व यह वेव दो तीन बार हिंद महासागर से गुजरती है। हर बार यह मानसून के सिस्टम को और मजबूती प्रदान करती है। आमतौर पर यह जुलाई-अगस्त तक सक्रिय रहती है, लेकिन इस साल यह वेब अभी तक भी हिन्द महासागर में सक्रिय बनी हुई है। इसी तरह एक अन्य सिस्टम इंडियन ओशीन डायपोल, जो अगस्त में नेगेटिव था और बारिश को थाम रहा था, वह भी सितंबर में न्यूट्रल हो गया है। यही वजह है कि अगस्त माह में जो बारिश सामान्य से कम चल रही थी, अब सितंबर में लगातार रिकार्ड तोड़ रही है।

इसके अलावा पूर्वी हिंद महासागर में सतह के तापमान कम होने लगे हैं जबकि पश्चिमी क्षेत्र में बढ़ रहे हैं। बंगाल की खाड़ी में निम्न दबाव का क्षेत्र भी बार- बार बन रहा है। इसके असर से पूर्वी क्षेत्र से नमी भरी हवाएं चलती हैं और अच्छी बारिश के लिए अनुकूल स्थितियां बनाती हैं। अब यह अलग बात है कि इन सभी मौसमी गतिविधियों के पीछे समग्र रूप से जलवायु परिवर्तन की भी एक अहम भूमिका है। मौसम विज्ञानियों का कहना है कि यह सभी अनुकूल परिस्थितियां सितंबर के अंत तक लगातार बने रहने का पूर्वानुमान है।

महेश पलावत (उपाध्यक्ष, मौसम विज्ञान और जलवायु परिवर्तन, स्काईमेट वेदर) का कहना है कि इसमें कोई दो मत नहीं कि इस साल मानसून की अत्यधिक सक्रियता के लिए सिर्फ जलवायु परिवर्तन को ही कारण नहीं बताया जा सकता। हिन्द महासागर और बंगाल की खाड़ी में हो रही तमाम हलचल भी बराबर की भागीदार हैं। अभी कम से कम अगले 10-15 दिन तक इन सभी परस्थितियों का असर देखने को मिलता रहेगा। 

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