राकेश टिकैत ने अब सरकार के एमएसपी पर कानून न बनाने की पीछे बताई ये वजहें, दिए कई उदाहरण
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने एक बार फिर केंद्र सरकार की एमएसपी पर सवाल उठाया है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी पर किसानों से नहीं व्यापारियों से खरीद होती है।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने एक बार फिर केंद्र सरकार की एमएसपी पर सवाल उठाया है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी पर किसानों से नहीं व्यापारियों से खरीद होती है। उनका कहना है कि इस खरीद घोटाले में व्यापारी अधिकारी और जनप्रतिनिधि शामिल हैं। उनकी मांग है कि इस तरह के हो रहे घोटाले की जांच सीबीआइ से कराई जाए। बृहस्पतिवार को यूपी गेट पर आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने ये आरोप लगाया।
प्रेस कांफ्रेंस के दौरान उन्होंने रामपुर जिले से संबंधित कुछ उदाहरण भी दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि यहां गेहूं खरीद के नाम पर बड़ा घोटाला हुआ है। जिन जमीनों पर सड़क और मकान बन गए हैं उन पर भी खेती दिखाकर घोटाला किया गया है। यह भी आरोप लगाया कि फिल्म अभिनेत्री जयाप्रदा के स्कूल की जमीन पर भी खेती दिखा कर घोटाला किया गया है। उन्होंने कहा कि यही कारण है कि सरकार एमएसपी पर कानून नहीं बना रही है।
सरकार किसी दल से नहीं
राकेश टिकैत ने तंज कसते हुए कहा कि यदि सरकार किसी दल की होती तो वह किसानों से जरूर मिलती, लेकिन सरकार को कंपनियां चला रही हैं। कृषि कानून बाद में बनते हैं, लेकिन बड़े व्यापारियों के गोदाम पहले बन जाते हैं। देश को बचाने का रास्ता आंदोलन है। राजनीतिक पार्टियां देश को नहीं बचा सकती। आंदोलन से देश बचेगा। देश की आजादी की लड़ाई गरीबों ने लड़ी थी।
मालूम हो कि तीन कृषि कानूनों को रद कराने व एमएसपी की कानूनी गारंटी मांग को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा बीते आठ माह से आंदोलन कर रहे हैं। मोर्चे के आंदोलन का अगला पड़ाव यूपी व उत्तराखंड तय किया गया है। इसे मिशन के रूप में शुरू किया जाएगा। मोर्चा पांच सितंबर को मुजफ्फरनगर में महारैली करके शुरुआत करेगा, इसके बाद सभी मंडलों पर महापंचायत होगी। किसान नेता राकेश टिकैत व योगेन्द्र यादव का आरोप है कि योगी आदित्यनाथ सरकार का दाना-दाना खरीद का वादा महज जुमला था। सरकारी आंकड़े ही खरीद की सच्चाई बयां कर रहे हैं। नेताओं ने यह भी कहा कि वे विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे सिर्फ किसानों को एकजुट करके उन्हेंं सच्चाई बताएंगे।
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