जागरूकता बढ़ाना ही हैपेटाइटिस से निपटने का एकमात्र समाधान: ओम बिरला
विश्व हैपेटाइटिस दिवस के अवसर पर संसद भवन में कार्यक्रम हुआ। इस दौरान लोकसभा अध्यक्ष ने बताया कि विश्व के 11 फीसद हैपेटाइटिस रोगी भारत में हैं। इससे बचाव के लिए पंचायत से लेकर संसद तक सभी लोकतांत्रिक संस्थाओं को मिलकर राष्ट्रव्यापी जागरूकता कार्यक्रम शुरू करना चाहिए।
नई दिल्ली [राहुल चौहान]। विश्व हेपेटाइटिस दिवस के मौके पर बुधवार को यकृत एवं पित्त विज्ञान संस्थान (आइएलबीएस) द्वारा संसद भवन एनेक्सी में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने की। इस दौरान वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से कार्यक्रम को संबोधित करते हुए बिरला ने कहा कि जागरूकता बढ़ाना ही हैपेटाइटिस से निपटने का एकमात्र समाधान है। उन्होंने आगे कहा कि हैपेटाइटिस खामोशी के साथ व्यक्ति की मृत्यु का कारण बनता है और जब तक व्यक्ति को इस संक्रामक रोग से पीड़ित होने का पता चलता है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है।
लोकसभा अध्यक्ष ने बताया कि विश्व के 11 फीसद हैपेटाइटिस रोगी भारत में हैं। इससे बचाव के लिए पंचायत से लेकर संसद तक सभी लोकतांत्रिक संस्थाओं को मिलकर राष्ट्रव्यापी जागरूकता कार्यक्रम शुरू करना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार को हैपेटाइटिस और अन्य गम्भीर बीमारियों के संबंध में अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों और डाक्टरों के साथ संवाद करना चाहिए तथा नागरिकों को सतर्क करने के लिए जन प्रतिनिधियों की भूमिका सुनिश्चित करनी चाहिए।
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में सांसदों ने हिस्सा लिया। इसकी थीम हैपेटाइटिस इंतजार नहीं कर सकता रखी गई थी। बिरला ने सांसदों को हैपेटाइटिस के खिलाफ लोगों के सशक्तिकरण व बेहतर देखभाल को बढ़ावा देने व संक्रमित लोगों के प्रति भेदभाव को समाप्त करने की शपथ दिलाई।कार्यक्रम को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश और केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने भी संबोधित किया।
इस दौरान आइएलबीएस के निदेश डाक्टर एसके सरीन सहित अन्य डाक्टर भी मौजूद रहे। इस दौरान भारतीय विमान पत्तन प्राधिकरण के पूर्व चेयरमैन गुरूप्रसाद महापात्रा को हैपेटाइटिस जागरूकता के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य के लिए श्रद्धांजलि दी गई। उल्लेखनीय है कि वायरल हैपेटाइटिस के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए आइएलबीएस द्वारा वर्ष 2018 में एक सहानुभूति कार्यक्रम की शुरूआत की गई थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा भारत को भी अन्य देशों के साथ 2030 तक हैपेटाइटिस से मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है।