पुरानी बसों के रखरखाव पर सवाल, भाजपा विधायकों ने सीवीसी से की शिकायत
भाजपा विधायकों ने इसकी शिकायत केंद्रीय सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) से की है। उन्होंने कहा कि पुरानी बसों के रखरखाव पर खर्च होने वाली राशि बहुत ज्यादा है। उस राशि से नई बसें खरीदी जा सकती है। एक गैरवातानुकूलित बस की कीमत करीब 50 लाख रुपये है।
नई दिल्ली [संतोष कुमार सिंह]। भाजपा ने दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) की पुरानी बसों के रखरखाव के लिए किए गए अनुबंध पर सवाल खड़ा किया है। भाजपा विधायकों ने इसकी शिकायत केंद्रीय सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) से की है। उन्होंने कहा कि पुरानी बसों के रखरखाव पर खर्च होने वाली राशि बहुत ज्यादा है। उस राशि से नई बसें खरीदी जा सकती है। एक गैरवातानुकूलित बस की कीमत करीब 50 लाख रुपये है। नई बस खरीदने की जगह इतनी राशि पुरानी बस के रखरखाव पर खर्च करने का अनुबंध किया गया है। इस मामले की जांच जरूरी है।
बिधूड़ी ने कहा आयु पूरी करने वाली बसों को चलाना खतरनाक
दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी के नेतृत्व में भाजपा विधायकों ने सीवीसी से मुलाकात कर उन्हें ज्ञापन सौंपा। बाद में प्रेस वार्ता में कहा कि आम आदमी पार्टी (आप) सरकार के सत्ता में आने के बाद डीटीसी के बेड़े में एक भी नई बस शामिल नहीं की गई है।
करीब 3760 बसें पार कर चुकी हैं अपनी उम्र
वहीं, डीटीसी की 3,760 बसें अपनी उम्र पार कर चुकी हैं। अब इन्हें चलाना सुरक्षा के दृष्टिकोण से खतरनाक है। इनकी जगह नई बसें खरीदने की जरूरत थी, लेकिन दिल्ली सरकार एक भी बस नहीं खरीदी है। सरकार ने पुरानी बसों को ही चलाने का फैसला किया है। डीटीसी की एक हजार पुरानी बसों के रखरखाव के नाम पर पांच सौ करोड़ रुपये का अनुबंध किया गया है। इतनी राशि में एक हजार गैर वातानुकूलित बसें खरीदी जा सकती थी। इसकी जगह तीन वर्षों में बसों के रखरखाव पर इतनी राशि खर्च की जा रही है।
करीब छब्बीस सौ अन्य बसों की रखरखाव की चल रही तैयारी
बिधूड़ी ने कहा कि डीटीसी की करीब 26 सौ अन्य बसों के रखरखाव के लिए किसी कंपनी के साथ करार करने की तैयारी चल रही है। इस तरह से तीन वर्षों में करीब 18 सौ करोड़ रुपये सिर्फ पुरानी बसों के रखरखाव पर खर्च किया जाएगा। इस मौके पर भाजपा विधायक विजेंद्र गुप्ता, मोहन सिंह बिष्ट, ओमप्रकाश शर्मा, जितेंद्र महाजन, अनिल वाजपेयी, अजय महावर, अभय वर्मा और प्रदेश भाजपा के मीडिया सह संयोजक हरिहर रघुवंशी मौजूद थे। भाजपा विधायकों के आरोप पर दिल्ली सरकार से पक्ष मांगा गया, लेकिन प्राप्त नहीं हो सका।