Punjabi Kulche or Baisakhi Food Festival: कुल्चे तो बहुत खाए होंगे, इस अमृतसरी का स्वाद भूल नहीं पाएंगे

Punjabi Kulche or Baisakhi Food fFestival तंदूरी चिकन तो बहुत खाए होंगे लेकिन पंजाब के तंदूरी चिकन का स्वाद एक बार चख लेंगे सारे स्वाद फीके पड़ जाएंगे। इसे बनाने के लिए चिकन के टुकड़ों पर अच्छी तरह मसाला दही व मक्खन लगाकर उसे धीमे आग में पकाया जाता है।

By Mangal YadavEdited By: Publish:Sat, 10 Apr 2021 03:22 PM (IST) Updated:Sat, 10 Apr 2021 04:54 PM (IST)
Punjabi Kulche or Baisakhi Food Festival: कुल्चे तो बहुत खाए होंगे, इस अमृतसरी का स्वाद भूल नहीं पाएंगे
एक बार इस अमृतसरी कुल्चे का स्वाद लेकर देखें। इसे खाने के बाद सारे स्वाद भूल जाएंगे। ’ जागरण

नई दिल्ली [मनीषा गर्ग]। खेतों में फसल पक चुकी है। पारंपरिक उत्सव बैसाखी की तैयारियां भी शुरू हो गई हैं। लेकिन इस उत्सव में पंजाब के पारंपरिक व्यंजनों का स्वाद न घुले तो बैसाखी की रौनक फीकी ही रहेगी, क्योंकि खाने-खिलाने में पंजाब की बात ही निराली है। दाल मक्खनी, पनीर मुल्तानी रहरा, तंदूरी चिकन, अमृतसरी कुल्चे..नाम लेते ही पंजाब की मिट्टी की सोंधी खुशबू आने लगती है। अगर आप भी पंजाबी व्यंजनों को चखना चाहते हैं, उसे बनाने का तौर-तरीका सीखना चाहते हैं और पंजाब के सांझा चूल्हे की परंपरा को देखना समझना चाहते हैं तो राजौरी गार्डन स्थित इक पंजाब रेस्टोरेंट जाएं।

यहां बैसाखी फूड फेस्टिवल का आयोजन किया जा रहा है। एक ही छत के नीचे पूरे पंजाब के खानपान के बारे में जानने का मौका तो मिलेगा ही, पंजाब की सांझी संस्कृति और अविभाजित पंजाब के समृद्ध खानपान का भी आनंद ले पाएंगे।

आयोजकों का कहते हैं यह फेस्टिवल लोगों को पंजाब के सांझा चूल्हा संस्कृति की याद दिला रहा है। भले ही शहरों में सांझा चूल्हा विलुप्त हो चुका है, लेकिन यहां आकर लोग एक ही जगह पर पूरे पंजाब के खानपान के बारे में जानकारी ले रहे हैं। पंजाब की सांझी संस्कृति को करीब से जानने समझने की कोशिश कर रहे हैं।

दिल्ली के खानपान पर पंजाबी रंग

तंदूर अब भले ही होटलों व ढाबों तक सीमित हो गए हैं, लेकिन पुराने समय में यह पंजाब में सांझा चूल्हा की संस्कृति का प्रतीक हुआ करते थे। पारंपरिक रूप से पंजाबी व्यंजन तंदूर पर ही बनाए जाते हैं। सांझा चूल्हा यानी एक बड़े आकार के तंदूर पर एक ही जगह कई घरों का खाना बनाया जाता था। शेफ इंदर देव कहते हैं कि सांझा चूल्हा पर्यावरण की दृष्टि से अच्छी सोच का प्रतीक है। एक ही चूल्हे का साझा इस्तेमाल के पीछे ईंधन बचाने का मकसद निहित था। इसके अलावा जब महिलाएं खाना बनाने के लिए जुटती थीं तो यह उनका निजी वक्त होता था। यहां आकर सभी एक दूसरे से अपनी बातें, भावनाएं साझा करती थीं। सांझा चूल्हा के समान ही लंगर यानी एक ही जगह सामूहिक रूप से खाना खाने की सोच भी पंजाबी खानपान संस्कृति की एक विशेषता है। विभाजन के समय बड़ी तादाद में पश्चिमी पंजाब से लोग बतौर शरणार्थी दिल्ली पहुंचे थे।

ये लोग जब दिल्ली आए तो अपने साथ पंजाब की संस्कृति और वहां का खानपान भी लेकर आए। इसलिए दिल्ली के खानपान पर पंजाब के खानपान का प्रभाव तेजी से बढ़ा। कह सकते हैं कि दिल्ली वालों को खाने का तौर-तरीका पंजाबियों ने ही सिखाया। वहां से लोग अपने साथ तंदूर भी लेकर आए। यहां यमुना की गीली मिट्टी से तब खूब तंदूर बनाए जाते थे। वक्त के साथ अब तंदूर का स्वरूप भी बदल चुका है। अब लकड़ी की जगह बिजली से चलने वाले तंदूर का प्रचलन है। हालांकि रोटी बनाने के लिए अभी भी मिट्टी के तंदूर का ही इस्तेमाल किया जाता है।

व्यंजनों में छुपा शहरों का नाम

पंजाबी खानपान में भरपूर विविधता है। यहां व्यंजनों के नाम में स्थानीयता का भाव पूरी तरह झलकता है। उदाहरण के तौर पर पनीर मुल्तानी रहरा मसाला की बात करें तो यह व्यंजन मुल्तान में बड़ा प्रचलित है। इसमें पनीर की सब्जी को मुल्तानी मसालों के साथ पकाई जाती है। कई लोग तो इसे बनाने के लिए मुल्तान से मसाले मंगवाते हैं। इसी तरह अमृतसरी कुल्चा के नाम से ही पता चल जाता है कि इसका अमृतसर से गहरा नाता है। लाहौरी कुक्कड़ी चर्घा इसमें भी लाहौर शहर का जुड़ा है।

लाजवाब है तंदूरी चिकन

तंदूरी चिकन तो बहुत खाए होंगे, लेकिन पंजाब के तंदूरी चिकन का स्वाद एक बार चख लेंगे सारे स्वाद फीके पड़ जाएंगे। इसे बनाने के लिए चिकन के टुकड़ों पर अच्छी तरह मसाला, दही व मक्खन लगाकर उसे धीमे आग में पकाया जाता है। धीमी आंच पर पकने से सारे मसाले चिकन में अच्छी तरह घुल जाते हैं। पूरी दुनिया में पंजाब का तंदूरी चिकन अपने स्वाद के लिए जाना जाता है।

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इसी तरह चिकन टिक्का बनाने के लिए चिकन के छोटे छोटे टुकड़े काटकर उसे मसाले में कुछ देर छोड़ दिया जाता है। फिर धीमी आंच पर पकाया जाता है। अब तो पनीर टिक्का भी काफी प्रचलित है। अगर आप शाकाहारी खाने के शौकीन हैं तो दाल मक्खनी भी है। पूरी दुनिया में पंजाब अपने दाल मक्खनी के लिए जाना जाता है। इसमें उड़द दाल का इस्तेमाल किया जाता है। इसे बनाने में मक्खन का भरपूर इस्तेमाल किया जाता है। इसी तरह मक्के की रोटी और सरसो का साग भी लाजवाब है।

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