Punjab Terror Era: जानिये- कैसे 200 आतंकियों पर भारी पड़ा था बलविंदर सिंह का परिवार

Punjab Terror Era 16 अक्तूबर को आइएसआइ व खालिस्तानी समर्थक आतंकी सुखमीत सिंह के इशारे पर गुरदासपुर के रहने वाले गुरजीत सिंह व सुखदीप सिंह ने अन्य साथी आतंकियों के साथ बलविंदर सिंह के घर में घुसकर गोली मारकर हत्या कर दी।

By JP YadavEdited By: Publish:Wed, 09 Dec 2020 07:42 AM (IST) Updated:Wed, 09 Dec 2020 07:42 AM (IST)
Punjab Terror Era: जानिये- कैसे 200 आतंकियों पर भारी पड़ा था बलविंदर सिंह का परिवार
बलविंदर सिंह संघु की फाइल फोटो ।

नई दिल्ली [राकेश कुमार सिंह]। Punjab Terror Era: पंजाब में आतंकवाद जब चरम पर था तब बलविंदर सिंह संघु आतंकवाद के घोर खिलाफ थे। उनके जमकर खिलाफत करने के कारण ही वह व उनका पूरा परिवार बब्बर खालसा व खालिस्तान समर्थक आतंकियों के आंखों की किरकिरी बन गए थे। कहा तो यह जाता है कि उन दिनों पंजाब में जब थानों के दरवाजे नहीं खुलते थे, तब बलविंदर सिंह, आतंकियों के साथ अपने घर में मोर्चा बनाकर लोहा लेते थे। उन्होंने आतंकवाद से ग्रस्त तरनतारन के कस्बा भिखीविंड में खालिस्तान कमांडो फोर्स के आतंकी परमजीत सिंह पंजवड़ को कड़ी चुनौती दी थी।

बलविंदर सिंह संघु व उनके परिवार वालों ने 1980 से 1993 तक आतंकवादियों से इतनी लड़ाई लड़ी कि तत्कालीन राज्यपाल जेएफ रिबेरो उनके प्रशंसक बन गए थे। पंजाब से जब आतंकवाद का सफाया हुए कई दशक बीत गए। बलविंदर सिंह संघु को लगा कि अब उनकी जान को अधिक खतरा नहीं है। वह व उनके परिजन सर्तकता बरतने में ढिलाई बरतने लगे। आतंकी तो उनकी गतिविधियों पर नजर रख ही रहे थे। मौका देखकर गत 16 अक्तूबर को आइएसआइ व खालिस्तानी समर्थक आतंकी सुखमीत सिंह के इशारे पर गुरदासपुर के रहने वाले गुरजीत सिंह व सुखदीप सिंह ने अन्य साथी आतंकियों के साथ बलविंदर सिंह के घर में घुसकर गोली मारकर हत्या कर दी।

जानकारी के मुताबिक, पंजवड़ और उसके गुर्गों ने बलविंदर के घर में 1980 से लेकर 1993 तक बार-बार हमले किए। 1990 से लेकर 93 के बीच उनके घर पर 11 बार हमले किए गए। सितंबर 1990 में पंजवड़ ने 200 आतंकवादियों के साथ बलविंदर के घर को घेर लिया था। हमले में रॉकेट लांचर का भी इस्तेमाल किया गया था। बलविंदर के घर में पक्के बंकर बने थे। आतंकवादियों ने बल¨वदर के घर को चारों तरफ जाने वाले सभी रास्ते भी बंद कर दिए गए थे ताकि पुलिस व अर्धसैनिक बल मदद के लिए जल्द नहीं पहुंच सके।

करीब पांच घंटे तक मुठभेड़ के बाद अंतत: पंजवड़ व उसके आतंकियों को भी भाग खड़ा होना पड़ा था। हमले में पंजवड़ के कई गुर्गे मारे गए थे। परिवार के सभी सदस्यों ने स्टेनगन आदि हथियारों से आतंकवादियों का बहादुरी से मुकाबला किया था। जान का खतरा होने के कारण पंजाब सरकार ने बलविंदर के परिवार के सभी सदस्यों को स्टेनगन आदि हथियार दिए थे। हमले में आतंकियों के साथ डटकर लौहा लेने के कारण ही 1993 में गृहमंत्रालय की सिफारिश पर तत्कालीन राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा ने बलविंदर सिंह, उनके बड़े भाई रंजीत सिंह और दोनों की पत्नियों को शौर्य चक्र से सम्मानित किया था। बाद में एडीजीपी पंजाब ने सभी को सुरक्षा मुहैया करा दी थी। उनके परिवार पर डेढ-दो साल पहले भी हमला हुआ था। तब अज्ञात हमलावर बलविंदर के घर पर गोलियां बरसा फरार हो गए थे। उस समय परिवार के पास सुरक्षा नहीं थी। सुरक्षाकर्मी हटा लिए गए थे। बीते मार्च के आखिर में बलविंदर सिंह की सुरक्षा में तैनात इकलौता गनमैन भी कोरोना के बहाने अपने घर चला गया। जिससे आतंकियों ने उन्हें आसानी से निशाना बना लिया। 

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