Kisan Andolan: चंद लोगों की जिद ने दिल्ली-एनसीआर के लाखों लोगों को मुश्किल में डाला

Kisan Andolan चंद किसान नेताओं और कुछ किसान प्रदर्शनकारियों की वजह से पिछले तकरीबन 300 दिन से दिल्ली-एनसीआर के लोग बंधक जैसे बने हुए हैं। कई लोगों का कामकाज पूरी तरह से प्रभावित है तो लोगों के रोजगार भी छिन रहे हैं।

By Jp YadavEdited By: Publish:Wed, 22 Sep 2021 08:31 AM (IST) Updated:Wed, 22 Sep 2021 08:31 AM (IST)
Kisan Andolan: चंद लोगों की जिद ने दिल्ली-एनसीआर के लाखों लोगों को मुश्किल में डाला
Kisan Andolan: चंद लोगों की जिद ने दिल्ली-एनसीआर के लाखों लोगों को मुश्किल में डाला

नई दिल्ली, जागरण टीम। तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली-एनसीआर के बार्डर (सिंघु, टीकरी, शाहजहांपुर और गाजीपुर) पर पंजाब, हरियाणा और यूपी समेत कई राज्यों के किसानों का प्रदर्शन जारी है। वहीं, बीते तकरीबन 10 महीने से दिल्ली-एनसीआर का जनजीवन इतना प्रभावित हो चुका है कि लोगों को सुबह दफ्तर के लिए भी निकलना हो तो आधे घंटे का अतिरिक्त समय लेकर निकलते हैं क्यों? क्योंकि, दिल्ली के चारों तरफ बार्डर पर बैठे प्रदर्शनकारियों के कारण रास्ते ब्लाक हैं, इधर-उधर बनाए गए जुगाड़ू, वैकल्पिक रास्तों से होकर जाना पड़ता है। दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस वे को ही ले लीजिए, जिस दिन से इसका उद्घाटन हुआ है, तभी से प्रदर्शनकारियों ने डेरा जमा रखा है, बताइए-जनता को क्या लाभ हो रहा है? लोग यदि नोएडा, गाजियाबाद से दिल्ली जाते हैं तो उन्हें आज भी वैकल्पिक मार्ग से ही जाना पड़ता है। यूपी गेट, गाजीपुर बार्डर, सिंघु बार्डर सभी जगह यही स्थिति है। ईंधन और समय दोनों बर्बाद हो रहे हैं।

प्रदर्शन के चलते लोगों की बढ़ी परेशानी

कमोबेश यही हाल बहादुरगढ़, सोनीपत के बार्डर की तरफ है। मानवाधिकार आयोग ने राज्यों से इस 10 माह से चल रहे प्रदर्शन के कारण जनजीवन पर प्रभाव की रिपोर्ट मांगी है। आयोग ने इंस्टीट्यूट आफ इकोनामिक ग्रोथ से औद्योगिक व वाणिज्यिक गतिविधियों व उत्पादन पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव व आवागमन में व्यवधान, अतिरिक्त व्यय की भी जानकारी मांगी है। इतना ही नहीं, प्रदर्शन के कारण आजीविका, जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव, कमजोर व बुजुर्गों पर पड़ने वाले असर का भी आकलन करते हुए रिपोर्ट देने को कहा है। निश्चित ही तमाम लोग परेशानियां लेकर उन तक पहुंचे हैं। तभी सजगता से संज्ञान लिया गया है।

यूपी गेट पर हालात

2 लाख वाहनों की यूपी गेट से हर दिन आवाजाही होती है 5 किमी की अतिरिक्ति दूरी तय करके अन्य सीमाओं का सहारा लेना पड़ रहा है 3 लाख लीटर ईंधन बेवजह बर्बाद होता है प्रतिदिन उप्र एनसीआर खोड़ा, ईडीएम माल, महाराजपुर, चंद्रनगर, ज्ञानी बार्डर व भोपुरा सीमा से होकर वाहन को गुजारा जा रहा है। दबाव अधिक होने से नियमित जाम लगता है प्रदर्शनकारियों ने पहुंचाई क्षति यूपी गेट पर प्रदर्शनकारियों का राष्ट्रीय राजमार्ग-नौ, दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे और संपर्क मार्ग पर कब्जा है यहां पर पक्का निर्माण करके शौचालय बनाया गया है टेंट लगाने के लिए हाईवे की खोदाई कर दी है टेंटों के किनारे एक-एक फीट का पक्का निर्माण किया है आग जलाने से सड़क कमजोर हुई है पथ प्रकाश व्यवस्था को अस्त-व्यस्त कर दिया है, चोरी की बिजली का उपयोग किया जा रहा है

कुंडली टीकरी बार्डर की स्थिति
10 से 45 किलोमीटर तक की अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ती है कुंडली-टीकरी बार्डर बंद होने के कारण छोटे-बड़े वाहन दिल्ली आते-जाते हैं प्रतिदिन कुंडली-टीकरी बार्डर से 2 घंटे लग रहे हैं छह घंटे का सफर तय करने में औद्योगिक नगरी फरीदाबाद के भारी वाहनों को 50 से अधिक दुकानें बंद हो चुकी हैं कुंडली बार्डर के आसपास 25 दुकानें बंद हो चुकी हैं कुंडली माल में 7 किमी जीटी रोड की सíवस लेन का हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया है 7 किमी तक कुंडली बार्डर से पानीपत तक जीटी रोड के चौड़ीकरण का कार्य भी प्रदर्शन के कारण नहीं हो पा रहा राई, कुंडली व नाथूपुर औद्योगिक क्षेत्र से होकर छोटे-बड़े वाहन गुजरते हैं, जिससे इन क्षेत्रों के मार्ग पूरी तरह जर्जर हो गए हैं

निकालनी होगी राह

सुप्रीम कोर्ट तक भी ऐसे मामले पहुंचे हैं। हित के लिए दूसरों को नुकसान पहुंचाना, वो भी जन सुविधाओं को प्रभावित करते हुए मानवीयता की मिसाल तो नहीं कही जा सकती और न ही यह संवैधानिक अधिकार है। देशहित, जनहित के लिए जीने वाला एक किसान तो ऐसा सोच भी कभी नहीं रख सकता। परोक्ष रूप से इसमें हित साधने वाले, देश और सरकार की छवि खराब करने वाले लोग ही सम्मिलित हैं। आखिर, जनहित को प्रभावित करने वाली इतनी बड़ी परेशानी का संज्ञान लेकर इसका हल क्यों नहीं निकाला जा रहा?

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