पहले किसानों को मिल रही थी काजू की मिठाई और शाही पनीर, जानिए अब सूखे पत्तल पर क्या खा रहे किसान

केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के विरोध में चलाया जा रहा प्रदर्शन अब दम तोड़ता दिखाई दे रहा है। सरकार से बातचीत बंद होने के बाद दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शनस्थल लगभग खाली हो गए हैं। अधिकांश लोग अपने घर लौट चुके हैं और जो बचे हैं।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Publish:Mon, 12 Apr 2021 01:21 PM (IST) Updated:Mon, 12 Apr 2021 07:17 PM (IST)
पहले किसानों को मिल रही थी काजू की मिठाई और शाही पनीर, जानिए अब सूखे पत्तल पर क्या खा रहे किसान
कुंडली बार्डर पर कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे प्रदर्शन के मुख्य मंच के सामने खाली पड़ा पंडाल-जागरण

जागरण टीम, दिल्ली/सोनीपत। केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के विरोध में चलाया जा रहा प्रदर्शन अब दम तोड़ता दिखाई दे रहा है। सरकार से बातचीत बंद होने के बाद दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शनस्थल लगभग खाली हो गए हैं। अधिकांश लोग अपने घर लौट चुके हैं और जो बचे हैं, वे भी जाने की तैयारी में हैं। लंगरों में लगने वाली लाइन भी खत्म हो गई है।

अब यहां व्यंजन नहीं परोसे जाते हैं। सूखे पत्तलों में दाल-रोटी से काम चलाया जा रहा है। कुल मिलाकर कृषि कानून विरोधी यह प्रदर्शन अब केवल कुछ लोगों की जिद बनकर रह गया है।

केंद्र सरकार ने कृषि कानूनों में संशोधन और स्थगित कर कमेटी बनाने का प्रस्ताव दिया है, लेकिन संयुक्त किसान मोर्चा के नेता कानूनों को रद कराने की जिद पर अड़े हैं, जिस कारण प्रदर्शन लंबा खिंचता जा रहा है। मोर्चा के नेता प्रदर्शन बचाने के लिए चक्का जाम, रेल रोको, एक्सप्रेस-वे बंद करना समेत तमाम कवायद कर रहे हैं। एक दिन पूर्व 24 घंटे के लिए एक्सप्रेस-वे को बंद करना भी इसी तरह की एक कवायद थी, लेकिन इसमें लोगों की कम भागीदारी ने साफ कर दिया है कि मोर्चा के नेता अलग-थलग पड़ गए हैं।

भीड़ दिखाने के लिए मोर्चा के कुछ नेता पंजाब से युवाओं का जत्था लेकर यहां पहुंचे थे, जिसमें काफी कम संख्या में लोग थे। जबकि, इससे पूर्व छह मार्च को छह घंटे के लिए एक्सप्रेस-वे जाम करने के दौरान 250 से ज्यादा ट्रैक्टर-ट्रॉलियों के साथ चार से पांच हजार की संख्या में प्रदर्शनकारी कुंडली बार्डर से उठकर कुंडली-गाजियाबाद-पलवल (केजीपी) एक्सप्रेस-वे और कुंडली-मानेसर-पलवल (केएमपी) एक्सप्रेस-वे के जीरो प्वाइंट पर पहुंच गए थे।

शनिवार को भी इसी तरह से प्रदर्शनकारी 24 घंटे के लिए एक्सप्रेस-वे जाम करने पहुंचे थे। जाम के दौरान दर्जनभर ट्रैक्टर-ट्रॉलियां ही एक्सप्रेस-वे पर थीं, कुछ छोटे वाहन भी थे जिनमें पंजाब के युवा आए थे। दूसरी ओर, 24 घंटे के लिए एक्सप्रेस-वे जाम करने वाले भी कम ही दिखे।

आंदोलन बढ़ता गया, कारवां घटता गया

कुंडली बार्डर पर प्रदर्शन 136वें दिन में प्रवेश कर गया है, लेकिन प्रदर्शनकारियों का कारवां घट गया है। कुंडली बार्डर के गांव रसोई तक ट्रैक्टर-ट्रॉलियों और 20-25 हजार लोगों का जमावड़ा सिमट गया है। कुंडली से प्याऊ मनियारी तक जीटी रोड पर एक ओर टेंट जरूर लगे हैं, लेकिन इनमें से अधिकांश खाली हैं। बार्डर के पास मुख्य मंच के आसपास ही टेंटों व घास, बांस और मिट्टी से बनाए घरों में ही प्रदर्शनकारी दिख रहे हैं।

काजू की मिठाई-शाही पनीर नहीं, अब बंट रहा दाल चावल

कुंडली, सिंघु और टीकरी बार्डर, यूपी गेट के धरना स्थलों पर शुरुआती दिनों में नेताओं की ओर से काजू, बादाम, पिस्ता, देसी घी से बनी मिठाई बांटी गई। पिज्जा, चाऊमीन, बर्गर, चाट, रसगुल्ला, हलुआ, दूध-जलेबी खिलाई गई। डोसा से लेकर सभी साउथ इंडियन डिश परोसी गईं। जूस पिलाया गया। मटर पनीर, शाही पनीर, पालक पनीर, मिक्स वेज, साग के साथ मिस्सी रोटी, तवा रोटी, तंदूरी रोटी खिलाई गईं। 24 घंटे चाय-काफी पिलाई गई, लेकिन अब स्थितियां बदल गईं हैं। प्रदर्शनकारी रोटी-सब्जी से पेट भर रहे हैं।


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सूखे पत्तल पर खाना, नहीं पहुंचे नेता

एक दिन पहले केजीपी और केएमपी एक्सप्रेस-वे पर हुए धरने में गाजियाबाद के पास मुट्ठीभर प्रदर्शनकारी सूखे पत्तलों में खाना खाते दिखाई दिए, तो उनके नेता और प्रदर्शन के प्रमुख अगुआ राकेश टिकैत कहीं नहीं दिखे।

इस 24 घंटे के प्रदर्शन को सफल दिखाने के लिए किसी तरह से आसपास और दूरदराज के लोगों को बुलाकर भीड़ की व्यवस्था तो की गई लेकिन नेता इस बात से वाकिफ थे कि भीड़ उनकी आशा अनुरूप नहीं है। यही कारण है कि किसी भी धरना स्थल पर टिकैत के अलावा संयुक्त मोर्चा के प्रमुख सदस्य शिव कुमार कक्का, गुरनाम सिंह चढ़ूनी नहीं पहुंचे।

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