भगवान श्रीराम से प्रार्थना कोरोना रूपी रावण से मुक्ति मिले: केजरीवाल

केजरीवाल ने कहा कोरोन बीमारी को झेलते हुए डेढ़-दो साल हो गए। आज हम सब लोग मिलकर अगर प्रार्थना करेंगे तो सामूहिक प्रार्थना का बहुत बड़ा असर होता है। मैं उम्मीद करता हूं कि इस करोना रूपी रावण से हम सबको मुक्ति मिलेगी।

By Prateek KumarEdited By: Publish:Fri, 15 Oct 2021 09:15 PM (IST) Updated:Fri, 15 Oct 2021 10:17 PM (IST)
भगवान श्रीराम से प्रार्थना कोरोना रूपी रावण से मुक्ति मिले: केजरीवाल
कार्यक्रम में मौजूद लोगों ने जयश्रीराम के जयकारे लगाए।

नई दिल्ली [नेमिष हेमंत]। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल विजयादशमी के महापर्व पर लालकिला परिसर में लव-कुश रामलीला कमेटी की तरफ से आयोजित रावण दहन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के प्रतीक पुलते पर प्रतीकात्मक तीर चलाकर उनका दहन किया और प्रभु श्रीराम की आरती में शामिल हुए। इस अवसर पर उन्होंने मौजूद लोगों के साथ जयश्रीराम के जयकारे भी लगाए।

अधर्म पर धर्म की जीत

उन्होंने कहा कि प्रभु श्रीरामचंद्र जी ने किसी व्यक्ति विशेष का वध नहीं किया, बल्कि यह अधर्म पर धर्म की जीत है। यह मैदान लोगों की भीड़ से खचाखच भरा होता था, लेकिन आज कोरोना की वजह से काफी कम लोग आए हैं। उन्होंने भगवान श्रीराम से प्रार्थना करते हुए कहा कि हमारे पूरे देश को इस कोरोना रूपी रावण से मुक्ति मिले। प्रभु श्रीराम सभी को स्वस्थ्य रखें, सभी बीमारियों को नाश करें, सभी के घर में खूब बरकत हो और भगवान सभी को खूब खुशियां दें।

तालियां बजाकर हुआ स्वागत

कमेटी के सदस्यों द्वारा समारोह में शामिल होने पहुंचे मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को हवाई मार्ग से विशेष रथ से स्टेज पर लाया गया। उन्हें हवाई मार्ग से आते देख वहां मौजूद लोगों का उत्साह देखते ही बन रहा था, लोग तालिया बजाकर और खुशियों से उनका स्वागत किया। मुख्यमंत्री समारोह में आधे घंटे से अधिक समय तक बैठ कर रामलीला के मंचन को देखा। इसके साथ ही विजयी होकर आए भगवान प्रभु श्रीराम, लक्ष्मण और हनुमान को तिलक लगाते हुए उनकी आरती भी उतारी।

तलवार एवं गदा भेंट में देकर 

इस अवसर पर कमेटी के प्रधान अशोक अग्रवाल व मंत्री अर्जुन कुमार समेत अन्य पदाधिकारियों द्वारा शाल ओढ़ाकर और पटका व पगड़ी पहनाकर स्वागत भी किया गया। कमेटी के पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री को राम दरबार, तलवार और गदा भी सप्रेम भेंट किए। रामलीला कमेटी ने रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद का प्रतीक के रूप में 30 फीट ऊंचा पुतला बनाया था। दिल्ली में प्रदूषण को ध्यान में रखते हुए पुलते में पटाखों का इस्तेमाल नहीं किया गया था, ताकि वायु प्रदूषण न हो सके।

अधर्म बढ़ने से भगवान अपने तरीके से करते हैं नाश

अंत में, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के प्रतीक रूपी पुलते पर तीर चलाकर उनका दहन किया। साउंड और लाइट से पुतले का ऐसा दहन हुआ कि लोग जयश्रीराम का जयकारे लगाते हुए पूरे लालकिले को गुंजायमान कर दिया। इसके पहले समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने अधर्म के ऊपर धर्म की जीत के अवसर पर सभी देशवासियों को बधाई और शुभकामनाएं दी। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि अभी-अभी हम सब लोगों ने रामलीला देखी कि किस तरह से रावण का प्रभु श्रीरामचंद्र जी ने वध किया। वो किसी व्यक्ति विशेष वध नहीं है। वह एक तरह से अधर्म के उपर धर्म की जीत है और अधर्म का नाश है। जैसा कि हम लोगों ने गीता में भी पढ़ा है कि जब-जब अधर्म बढ़ जाता है, तब-तब भगवान अपने तरीके से उस अधर्म का नाश करते हैं।

कोरोना से मुक्ति के लिए की कामना

मैं, हर साल लव-कुश रामलीला में आता हूं और यह पूरा मैदान लोगों की भीड़ से खचाखच भरा होता है, लेकिन आज कोरोना की वजह से काफी कम लोग हैं। लोगों को शारीरिक दूरी रखनी पड़ रही है। मैं इस मौके पर भगवान श्रीराम से प्रार्थना करता हूं कि हमारे पूरे देश को इस कोरोना रूपी रावण से मुक्ति मिले। इस बीमारी को झेलते हुए डेढ़-दो साल हो गए। आज हम सब लोग मिलकर अगर प्रार्थना करेंगे, तो सामूहिक प्रार्थना का बहुत बड़ा असर होता है। मैं उम्मीद करता हूं कि इस करोना रूपी रावण से हम सबको मुक्ति मिलेगी। भगवान से प्रार्थना करता हूं कि आप सब लोगों के घर में सब लोग स्वस्थ्य रहें और बीमारियों को नाश हो। आप सब के घर में खूब बरकत हो और आप सब के घर में भगवान खूब खुशियां दें।

दोपहर से पहुंचने लगे थे लोग

अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक रावण दहन का गवाह बनने के लिए लोग दोपहर से ही लालकिला मैदान पहुंचने लगे थे। लोग बच्चों को दिखाने विशेष रूप से रामलीला स्थल पहुंच रहे थे। रामलीला स्थल पर सीमित लोगों को निमंत्रण पत्र के माध्यम से ही प्रवेश दिया जा रहा था। ऐसे में जो लोग बिना कार्ड के पहुंचे उन्हें मायूस लौटना पड़ा। वैसे काफी लोगों ने मैदान की दीवारों के सहारे खड़े होकर भी रामलीला का आनन्द उठाया। रामलीला का मंचन दोपहर में ही शुरू कर दिया गया था। राम और रावण की सेना में भीषण युद्ध हुआ। जिसपर लोग काफी उत्साहित थे।

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