शहीद के बेटे का दर्द- 'पापा कहते थे पत्थरबाजी होने पर भी जवाब देने की आजादी नहीं है'

पापा जब भी छुट्टी लेकर आते तो पंजा लड़ाते थे और कुश्ती लड़ते। हर बार वह मुझे हरा देते थे, लेकिन 15 दिन पहले वह छुट्टी लेकर आए थे तो मैंने उन्हें कुश्ती में हरा दिया था।

By Edited By: Publish:Fri, 15 Feb 2019 07:35 PM (IST) Updated:Sat, 16 Feb 2019 01:56 PM (IST)
शहीद के बेटे का दर्द- 'पापा कहते थे पत्थरबाजी होने पर भी जवाब देने की आजादी नहीं है'
शहीद के बेटे का दर्द- 'पापा कहते थे पत्थरबाजी होने पर भी जवाब देने की आजादी नहीं है'

गाजियाबाद [शाहनवाज अली]। शहर से सटे गांव मटियाला के निकट बसी राधा कृष्णा एंक्लेव में मातम पसरा है। शहीद प्रदीप कुमार ने यहां दो साल पहले ही अपना मकान बनाया था। दो दिन पहले यहां परिवार में हुई शादी में बीवी बच्चों के साथ शामिल हुए थे। जाने से पहले यहां पड़ोस में रहने वालों से कहा कि मेरे बच्चों का ख्याल रखना। बेटा सिद्धार्थ कहता है कि पापा बताते थे कि कश्मीर में उन पर पत्थरबाजी होती है, लेकिन उन्हें इसका जवाब देने की आजादी नहीं है। 11 वीं का छात्र सिद्धार्थ चाहता है कि सरकार सख्त फैसला करे।

शामली में कस्बा बनत निवासी प्रदीप का विवाह गांव हाथी करौदा महाजन से गाजियाबाद में आकर बसे बाबूराम की पुत्री शर्मिष्ठा देवी के साथ हुआ था। वह वर्ष 2003 में सीआरपीएफ की 21वीं बटालियन में भर्ती हुए थे। उनकी तैनाती श्रीनगर में हुई। बच्चों की बेहतर परवरिश के लिए करीब 13 वर्ष पूर्व प्रदीप पत्नी और दोनों बच्चों सिद्धार्थ व विजयंत उर्फ चीकू को साथ लेकर गाजियाबाद आ गए। गाजियाबाद में वह करीब 11 साल प्रतापनगर में किराए के मकान में रहे। अभी करीब दो वर्ष पूर्व मटियाला के निकट राधा कृष्णा एंक्लेव के प्लाट में खुद का मकान बनाकर परिवार समेत शिफ्ट हुए थे।

कमला नेहरू नगर स्थित केंद्रीय विद्यालय में उनका बड़ा बेटा सिद्धार्थ इंटर में व छोटा बेटा विजयंत नौवीं कक्षा में है। पैतृक कस्बा बनत में परिवार में हुए विवाह समारोह में प्रदीप छुट्टी लेकर आए थे, जिसमें वह अपने बीवी-बच्चों के साथ शामिल हुआ। शादी से लौटकर वह गाजियाबाद अपने घर लौटे और यहां पड़ोस में रहने वाली कमलेश देवी से मिले जिन्हें वह आंटी कहकर बुलाते थे। वहीं दूसरे पड़ौसी मौ. वासिल से जाकर मिले और कहा कि चाचा मैं ड्यूटी पर जा रहा हूं बच्चों का ख्याल रखना.. इसके एक दिन बाद ही कश्मीर के पुलवामा में आतंकी हमले की खबर तो आई, लेकिन यहां के लोगों को इसका आभास कतई नहीं था कि इसमें कल बच्चों का ख्याल रखने के लिए जाने वाले प्रदीप भी इस हमले में शहीद हो गए।

शुक्रवार दिन निकलने पर प्रदीप कुमार की शहादत की खबर से यहां मातम पसर गया। विमलेश देवी से लेकर मरजीना और मौ. वासिल की आंख से आंसू निकल गए। विमलेश देवी किसी से फोन पर बात करते हुए फूट-फूटकर रोने लगी। घर पर हालांकि ताला लगा था, लेकिन पड़ौस के लोग उनके घर के बाहर खड़े प्रेम सिंह, आमिर, प्रेमपाल ¨सह शहीद हुए प्रदीप कुमार की मिलनसारी और अपनेपन की बाते याद कर गमगीन थे।

हर बार हराते थे मुझे, इस बार मैंने हराया था
पापा जब भी छुट्टी लेकर आते तो हम दोनों भाइयों के साथ क्रिकेट, फुटबाल, बैड¨मटन खेलते थे। पंजा लड़ाते थे और कुश्ती लड़ते। हर बार वह मुझे हरा देते थे, लेकिन 15 दिन पहले वह छुट्टी लेकर आए थे तो मैंने उन्हें कुश्ती में हरा दिया था। तब उन्होंने बोला कि अब तुम मुझसे ज्यादा ताकतवर हो गए हो। पापा मुझे चार्टर्ड अकाउंटेंट बनाना चाहते थे। वहां के बारे में बताते थे कि आतंक बढ़ रहा है पत्थरबाजी होती है, उन पर लेकिन उन्हें इसका जवाब देने की आजादी नहीं है। मैं उनके सपने को मैं पूरा करुंगा। मैं चाहता हूं सरकार सख्त फैसला ले।

सिद्धार्थ (बड़ा बेटा) पापा कहते थे कि तुम दिल लगाकर पढ़ते रहो। जो तुम्हारा मन करे वो बनना, लेकिन सबसे पहले एक अच्छा इंसान बनना। जब भी वह छुट्टियों में आते तो घर पर दीवाली का माहौल होता था। वह हम दोनों भाइयों के साथ खेलते हुए सुबह दोनों को लेकर र¨नग के लिए निकलते थे।

विजयंत (छोटा बेटा) पत्नी गुमसुम, छोटा बेटा बुखार में पुलवामा आतंकी हमले में सीआरपीएफ के जवान प्रदीप कुमार की शहादत की खबर उनके पैतृक आवास बनत में उनके पिता को लगी, जो देर तक इसी पसोपेश में में रहे कि बहू और पौत्र को किस तरह इसकी जानकारी दें।

हिम्मत करके देर रात उन्होंने इस बारे में बताया। सिद्धार्थ ने अपनी मम्मी को इसकी भनक नहीं लगने दी और रात करीब ढ़ाई बजे वह गाड़ी से अपनी मम्मी, छोटे भाई व मामा के साथ बनत के लिए निकल गए, जहां शुक्रवार सुबह पांच बजे बनत घर पहुंचने पर इसका आभास हुआ। उसी वक्त से वह गुमसुम सी हालत में है और शहीद का छोटा बेटा विजयंत बुखार में।

पहुंचे स्थानीय पुलिस चौकी प्रभारी
शहीद प्रदीप कुमार की शहादत के बाद यहां की पुलिस को दोपहर जानकारी मिली कि वह गाजियाबाद के राधा कृष्णा एन्कलेव में परिवार के साथ रहते थे।

चौकी प्रभारी सिपाहियों के साथ उनके मकान पर पहुंचे, लेकिन यहां मकान का ताला लगाकर उनकी पत्नी शर्मिष्ठा देवी अपने दोनों बेटों सिद्धार्थ व विजयंत के साथ ससुराल शामली के बनत के लिए अलसुबह ही चले गए। सोशल मीडिया पर फूट रहा गम और गुस्सा पुलवामा में हुए आतंकी हमले में देश के शहीद हुए वीर सपूतों के लिए सोशल मीडिया फेसबुक, वाट्सअप व ट्वीटर पर लोगों ने गम और गुस्से का इजहार किया है। हर किसी ने अपनी भावनाओं को पोस्ट के रूप में शेयर किया है। आइये कुछ खास पोस्ट के बारे में आपको रूबरू कराते हैं।

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