Toolkit Case: निकिता व शांतनु के खिलाफ मजबूत साक्ष्य जुटाएगी पुलिस
निकिता ने अभी जमानत के लिए अर्जी दायर नहीं की है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक टूलकिट मामले में आपराधिक साजिश रचने की धारा लगी हुई है जो सभी आरोपितों पर है। इस मामले में डिजिटल सुबूत ही सबसे अहम हैं।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। टूलकिट मामले में कथित जलवायु कार्यकर्ता दिशा रवि को जमानत मिलने से हुई किरकिरी से दिल्ली पुलिस ने कड़ा सबक लिया है और साइबर सेल आरोपितों निकिता जैकब व शांतनु मुलुक के खिलाफ पुख्ता सुबूत जुटाने में जुट गई है। बुधवार को भी दोनों से दिनभर पूछताछ की गई। वहीं, शांतनु ने पूछताछ में शामिल होने के अगले ही दिन पटियाला हाउस कोर्ट में जमानत अर्जी दायर कर दी।
बुधवार को इस अर्जी पर अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेद्र राणा की अदालत ने वीडियो कांफ्रेंस के जरिये सुनवाई की। सुनवाई के दौरान लोक अभियोजक ने कोर्ट को बताया कि बांबे हाई कोर्ट ने 26 फरवरी तक शांतनु को ट्रांजिट जमानत दे रखी है, इसलिए उसे अभी गिरफ्तार नहीं किया जा सकता। मामले के जांच अधिकारी भी मौजूद नहीं हैं। अगर मामले को गुरुवार को सुना जाए तो बेहतर होगा।
इस पर अदालत ने पुलिस को नोटिस जारी कर विस्तृत जवाब मांगा और सुनवाई गुरुवार के लिए टाल दी गई। जानकार बताते हैं कि पुलिस विस्तृत जवाब दाखिल करने के लिए एक हफ्ते का समय मांग सकती है। मालूम हो कि दिशा रवि को मंगलवार को ही जमानत मिल गई थी, जबकि शांतनु और निकिता जैकब बांबे हाई कोर्ट से ट्रांजिट जमानत पर हैं। इसलिए पुलिस दोनों को गिरफ्तार नहीं कर रही हैं।
निकिता ने अभी जमानत के लिए अर्जी दायर नहीं की है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक टूलकिट मामले में आपराधिक साजिश रचने की धारा लगी हुई है, जो सभी आरोपितों पर है। इस मामले में डिजिटल सुबूत ही सबसे अहम हैं। एक पुलिस अधिकारी का कहना था कि दिशा को जमानत मिलने से जांच की दिशा नहीं बदली है। डिजिटल डाटा काफी अधिक है, जिसके जांच में बहुत वक्त लगेगा।
अभी जूम, गूगल, वाट्सएप एफएसएल आदि से पूरी रिपोर्ट नहीं आई है। इन जगहों से रिपोर्ट आने के बाद पुलिस तय करेगी कि जांच की नई दिशा क्या हो? जानकार बताते हैं कि ऐसे मामले में बचाव पक्ष की कोशिश रहती है कि पर्याप्त सुबूत जुटाने से पहले कोर्ट से जमानत ले ली जाए। पुलिस अधिकारी का कहना था कि अगर इन्हें भी जमानत मिल जाती है तो पुलिस बाद में अपील पर जाने का निर्णय ले सकती है। पुलिस के पास विकल्प खुले हैं।