PNB Scam: जानिए कैसे नीरव मोदी ने एक लेटर की बदौलत अंजाम दी सबसे बड़ी बैकिंग धोखाधड़ी
पीएनबी बैंक घोटाले के मुख्य आरोपी चाचा(मेहुल चौकसी) भतीजे(नीरव मोदी) को लंबे समय से देश में लाने की कोशिशें की जा रही थीं लंदन की अदालत ने नीरव मोदी को भारत प्रत्यर्पण का रास्ता साफ कर दिया। कोर्ट ने भारत प्रत्यर्पित किए जाने को अपनी मंजूरी दे दी है।
नई दिल्ली [विनय तिवारी]। पीएनबी बैंक घोटाले के मुख्य आरोपी चाचा(मेहुल चौकसी) भतीजे(नीरव मोदी) को लंबे समय से देश में लाने की कोशिशें की जा रही थीं, गुरूवार को लंदन की अदालत ने नीरव मोदी को भारत प्रत्यर्पण का रास्ता साफ कर दिया। पीएनबी घोटाले का मुख्य आरोपी और भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी की याचिका को लंदन की अदालत ने गुरुवार को ठुकरा दिया है।
कोर्ट ने उसके भारत प्रत्यर्पित किए जाने को अपनी मंजूरी दे दी है। कोर्ट ने कहा कि भारत की न्यायपालिका निष्पक्ष है। बैंक से फ्रॉड करने के बाद देश छोड़कर भागने वाले नीरव मोदी को प्रत्यर्पण पर मुंबई लाया जाएगा। बताया जा रहा है कि उसे यहां आर्थर रोड जेल (arthur road jail in mumbai) में रखा जाएगा। हम आपको बताते हैं कि आखिर इतने बड़े घोटाले से पर्दा कैसे उठा, उसके बाद कैसे इसकी परतें खुलती चली गईं।
कैसे उठा पर्दा
देश के सबसे बड़े बैंकिंग फ्रॉड से पर्दा उस समय उठा जब पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी)ने स्टॉक एक्सचेंज को मुंबई ब्रांच में हुए 1771.17 करोड़ डॉलर (करीब 11000 करोड़ रुपए) के फर्जी लेन देन की जानकारी दी। इस खबर के बाद एक ओर जहां वित्त मंत्रालय में हड़कंप मच गया वहीं दूसरी ओर अन्य सरकारी बैंकों पर भी इसकी आंच आने की आशंका गहराने लगी।
फिर सवाल उठा कि आखिर आरबीआई जैसे सख्त नियामक और बैंक के आला अधिकारियों की नाक के नीचे इस घोटाले को अंजाम कैसे दिया गया? इस पूरे घोटाले को समझने के लिए आपको यह जानना जरूरी है कि आखिर वो क्या चीज थी जिसकी वजह से इतना बड़ा घोटाला हुआ। उस एक कागज का नाम था लेटर ऑर अंडरटेकिंग यानी Letter of Undertaking। हम आपको बताते हैं कि क्या होता है LOU? और कब पड़ती है इसकी जरूरत?
एलओयू(Letter Of Undertaking)
लेटर ऑफ अंडरटेकिंग किसी अंतरराष्ट्रीय बैंक या किसी भारतीय बैंक की अंतरराष्ट्रीय शाखा की ओर से जारी किया जाता है। इस लेटर के आधार पर बैंक, कंपनियों को 90 से 180 दिनों तक के शॉर्ट टर्म लोन मुहैया कराते हैं। इस लेटर के आधार पर कोई भी कंपनी दुनिया के किसी भी हिस्से में राशि को निकाल सकती है। इसका इस्तेमाल ज्यादातर आयात करने वाली कंपनियां विदेशों में भुगतान के लिए करती हैं। लेटर ऑफ अंडरटेकिंग किसी भी कंपनी को लेटर ऑफ कम्फर्ट के आधार पर दिया जाता है। लेटर ऑफ कम्फर्ट कंपनी के स्थानीय बैंक की ओर से जारी किया जाता है।
कैसे हुआ घोटाला?
पंजाब नेशनल बैंक घोटाले में इस लेटर का ही इस्तेमाल किया गया है। ज्वैलरी डिजायनर नीरव मोदी ने अपनी फर्म के आधार पर पंजाब नेशनल बैंक से ये फर्जी लेटर ऑफ अंडरटेकिंग हासिल किये। फर्जी इसलिए क्योंकि न तो इसे बैंक के सेंट्रलाइज्ड चैनल से दिया गया और न ही जरूरी मार्जिन मनी रखी गई। जारी होने के बाद इन LoUs की जानकारी स्विफ्ट कोड मैसेजिंग के जरिए सभी जगह भेज दी गई। इन LoU को नीरव मोदी ने विदेशों में अलग अलग सरकारी और निजी बैंक की शाखाओं से भुना लिया। भुनाई हुई राशि करीब 11000 करोड़ रुपए की थी।
कैसे खुला घोटाला?
पे ऑर्डर की तरह ही ये लेटर ऑफ क्रेडिट भी कंपनी की ओर से भुगतान न करने पर उन बैंकों में भुगतान के लिए पेश किए जाते हैं जहां से लेटर ऑफ कम्फर्ट जारी हुआ होता है। पीएनबी के पास जब यह लेटर ऑफ अंडरटेकिंग भुगतान के लिए आए तो बैंक ने इनका भुगतान करने में असमर्थता जताई। जिसके बाद इस पूरे मामले का खुलासा हुआ। इस घोटाले का खुलासा आरोपी अधिकारी के रिटायरमेंट के बाद हुआ। पीएनबी की ओर से यह लेटर ऑफ अंडरटेकिंग जुनियर अधिकारियों की ओर से गलत तरीके से लिए गए।
केतन पारिख मामले में भी इसी तरीके का हुआ था इस्तेमाल
आपको याद होगा साल 2001 में भी ऐसा ही एक घोटाला हुआ था। बैंकर केतन पारिख ने सिस्टम का फायदा उठाते हुए इसे अंजाम दिया था। उस समय माधवपुरा मर्केंटाइल को-ऑपरेटिव बैंक ने बिना सिक्योरिटी और मार्जिन मनी के केतन पारिख की कंपनी केपी एंटिटीज को समय समय पर लेटर ऑफ अंडरटेकिंग जारी कर दिए थे।
केतन पारिख इस पैसे का इस्तेमाल शेयर बाजार में पैसा लगाने में करता था। यह डॉट कॉम बबल से ठीक पहले की बात है जब शेयर बाजार रिकॉर्ड ऊंचाई पर था। पीएनबी की तरह ही उस समय माधवपुरा मर्केंटाइल को-ऑपरेटिव बैंक ने लेटर ऑफ अंडरटेकिंग का भुगतान करने में असमर्थता जताई थी जिसके बाद यह घोटाला सामने आया था।