प्लाज्मा थेरेपी से भी नहीं बच पाई ब्लड कैंसर के 45.5 फीसद कोरोना संक्रमितों की जान

प्लाज्मा थेरेपी ब्लड कैंसर से पीड़ित कोरोना संक्रमितों की जान बचाने में बहुत मददगार नहीं है। हालांकि डॉक्टर कहते हैं कि यह अध्ययन कोरोना से संक्रमित गंभीर पर किया गया है। इसके अलावा मृत्यु दर बुजुर्गो में ज्यादा रही।

By Prateek KumarEdited By: Publish:Mon, 22 Feb 2021 06:45 AM (IST) Updated:Mon, 22 Feb 2021 06:45 AM (IST)
प्लाज्मा थेरेपी से भी नहीं बच पाई ब्लड कैंसर के 45.5 फीसद कोरोना संक्रमितों की जान
प्लाज्मा थेरेपी से इलाज के बावजूद बुजुर्ग मरीजों में अधिक पाई गई मृत्यु दर।

नई दिल्ली [रणविजय सिंह]। कोरोना के इलाज में प्लाज्मा थेरेपी कितनी असरदार है इस पर कई बार चर्चा हुई है। कभी इसे असरदार, तो कभी मृत्यु दर कम कर पाने में नाकाम बताया गया। इस बीच दिल्ली एनसीआर के चार बड़े निजी अस्पतालों (मैक्स, राजीव गांधी कैंसर संस्थान, मणिपाल अस्पताल व गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल) के डॉक्टरों ने ब्लड कैंसर से पीड़ित कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज में प्लाज्मा थेरेपी के प्रभाव पर अध्ययन किया है, जिसमें पाया गया कि प्लाज्मा थेरेपी दिए जाने पर भी गंभीर रूप से कोरोना संक्रमित ब्लड कैंसर के 45.5 फीसद मरीजों की मौत हो गई।

प्लाज्मा थेरेपी के प्रभाव को पूरी तरह नकारा भी नहीं जा सकता

लिहाजा, प्लाज्मा थेरेपी ब्लड कैंसर से पीड़ित कोरोना संक्रमितों की जान बचाने में बहुत मददगार नहीं है। हालांकि, डॉक्टर कहते हैं कि यह अध्ययन कोरोना से संक्रमित गंभीर पर किया गया है। इसके अलावा मृत्यु दर बुजुर्गो में ज्यादा रही। लिहाजा, ब्लड कैंसर के कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज में प्लाज्मा थेरेपी के प्रभाव को पूरी तरह नकारा भी नहीं जा सकता है।

48.5 फीसद मरीजों को था कैंसर

हाल ही में एक अंतरराष्ट्रीय मेडिकल जर्नल में यह शोध प्रकाशित हुआ है। इस अध्ययन में 10 से 80 साल की उम्र के 33 मरीज (23 पुरुष व 10 महिला मरीज) शामिल थे। 48.5 फीसद मरीजों को कैंसर के अलावा कोई अन्य पुरानी बीमारी नहीं थी, लेकिन अन्य मरीजों को ब्लड कैंसर के अलावा ब्लड प्रेशर, मधुमेह, दिल की बीमारी व टीबी की बीमारी भी थी।

28 दिन के अंदर 33 फीसद मरीजों की मौत

25 मरीजों को कोरोना से पीड़ित होने के सात दिन के अंदर व आठ मरीजों को सात दिन बाद प्लाज्मा थेरेपी दी गई। 18 मरीजों को एक बार व 15 मरीजों को दो बार प्लाज्मा थेरेपी दी गई। इनमें से कुल 15 मरीजों की मौत हो गई। जिनमें से 24.2 फीसद मरीजों की मौत 14 दिन के अंदर व 33.3 फीसद मरीजों की मौत 28 दिन के अंदर हो गई थी।

प्लाज्मा से हुआ थोड़ा-सा फायदा

मैक्स अस्पताल के हीमेटोलॉजी व बोन मैरो प्रत्यारोपण विभाग के विशेषज्ञ डॉ. राहुल नैथानी ने कहा कि ब्लड कैंसर के कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज में प्लाज्मा थेरेपी के इस्तेमाल पर यह दुनिया में अब तक सबसे बड़ा शोध पत्र है, जिसमें कई अहम तथ्य सामने आए हैं। इसके पहले देश के कई शहरों के 11 अस्पतालों में 130 मरीजों पर अध्ययन किया गया था। जिसमें ब्लड कैंसर से पीड़ित कोरोना मरीजों में मृत्यु दर 20 फीसद पाई गई थी।

कोरोना के गंभीर संक्रमण से पीड़ित मरीजों में मृत्यु दर 60 फीसद थी। इसके मुकाबले इस बार मृत्यु दर कम होने से प्लाज्मा थेरेपी वाले मरीजों में थोड़ा फायदा होता हुआ दिख रहा है। हालांकि, इसमें तुलनात्मक शोध नहीं किया गया है। तुलनात्मक शोध में एक श्रेणी के मरीजों का सामान्य प्रोटोकाल से इलाज किया जाता है। जबकि, दूसरे श्रेणी के मरीजों का ट्रायल में आजमाई जा रही थेरेपी से इलाज किया जाता है। लेकिन, जिन 15 मरीजों की मौत हुई उनमें से 13 मरीज वेंटिलेटर पर थे। इससे इतना स्पष्ट है कि श्वसन तंत्र ज्यादा प्रभावित होने पर प्लाज्मा थेरेपी का खास फायदा नहीं है। इसके अलावा मरने वालों में 13 मरीजों की उम्र 60 से अधिक व सिर्फ दो मरीजों की उम्र 60 साल से कम थी। इसलिए बुजुर्ग मरीजों में ही परिणाम ज्यादा खराब रहे।

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