दिल्ली में यमुना की जलधारा को निरंतरता देने के लिए खड़े होंगे सैकड़ों 'अर्जुन'

यमुना बायोडायवर्सिटी पार्क में इन पौधों को लगाने से सामने आए अच्छे परिणामों के आधार पर डीडीए ने अब यमुना किनारे भी ऐसे ही पौधे लगाने तैयारी शुरू की है। इस साल पौधारोपण अभियान से इसकी शुरुआत भी की जाएगी। यहां पर खैर अर्जुन कैम कैथ और घास लगाई जाएगी।

By Jp YadavEdited By: Publish:Fri, 28 May 2021 08:30 AM (IST) Updated:Fri, 28 May 2021 10:03 AM (IST)
दिल्ली में यमुना की जलधारा को निरंतरता देने के लिए खड़े होंगे सैकड़ों 'अर्जुन'
दिल्ली में यमुना की जलधारा को निरंतरता देने के लिए खड़े होंगे सैकड़ों 'अर्जुन'

नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। राजधानी दिल्ली में यमुना किनारे अब बाढ़ क्षेत्र के पौधे लगाए जाएंगे। ये पौधे यमुना में जलधारा की निरंतरता को बनाए रखने में मददगार साबित होंगे। यमुना बायोडायवर्सिटी पार्क में इन पौधों को लगाने से सामने आए अच्छे परिणामों के आधार पर दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने अब यमुना किनारे भी ऐसे ही पौधे लगाने तैयारी शुरू कर दी है। इस साल पौधारोपण अभियान से इसकी शुरुआत भी कर दी जाएगी। यहां पर खैर, अर्जुन, कैम, कैथ और  घास लगाई जाएगी, जो पर्यावरण के साथ यमुना के लिए भी फायदेमंद है।बता दें कि आयुर्वेद में भी अर्जुन के पेड़ कई औषधीय खूबियां बताई गई हैं। अर्जुन के पेड़ की छाल भी सेहत के लिए काफी फायदेमंद होती है। दरअसल, इस पेड़ की छाल का पाउडर बनाकर उपयोग किया जाता है। आयुर्विदे के जानकारों की मानें तो अर्जुन पेड़ की छाल से दिल के रोग, क्षय, पित्त, कफ, सर्दी, खांसी, अत्यधिक कोलेस्ट्रॉल और मोटापे जैसी बीमारी का दूर किया जा सकता है, लेकिन संयमित जीवन जीने का साथ।

गौरतलब है कि दिल्ली में यमुना की लंबाई पल्ला से बदरपुर तक कुल 54 कि.मी. है। वजीराबाद से असगरपुर गांव तक 22 कि.मी. का एरिया सबसे ज्यादा प्रदूषित और अतिक्रमण वाला हिस्सा है। विडंबना यह कि दिल्ली में यमुना में गिरने वाले नाले और उनका सीवरेज तो इसे दम तोड़ने पर मजबूर कर ही रहा है, इसके किनारे के पौधे भी इसकी जलधारा को निर्बाध नहीं बहने दे रहे। यमुना की जलधारा को निर्बाध बहने देने के लिए डीडीए ने इसके किनारे अब बाढ़ क्षेत्र के पौधे लगाने का निर्णय लिया है।

जानकारी के मुताबिक, एक तो दिल्ली में वैसे ही बहुत ज्यादा बारिश नहीं होती। लिहाजा मानसून को छोड़कर यमुना में कभी पर्याप्त पानी नहीं रहता। दूसरे, इसके किनारों पर लगे पौधे जरूरत से ज्यादा वाष्प उत्सर्जन कर इसकी धारा को अवरूद्ध करते रहते हैं। ये पौधे यमुना का पानी तो वाष्पीकरण के जरिये उड़ाते ही हैं, बाढ़ क्षेत्र का भूजल स्तर भी प्रभावित कर रहे हैं। इसी समस्या का समाधान करने के लिए डीडीए इसी साल जल्द शुरू होने वाले पौधारोपण अभियान के जरिये यमुना किनारे बाढ़ क्षेत्र के पौधे लगाने की शुरुआत करने जा रहा है। इन पौधों की खासियत है कि ये कम वाष्प उत्सर्जन करते हैं। भूजल स्तर को भी नुकसान नहीं पहुंचाते और बाढ़ आने पर नष्ट भी नहीं होते। यमुना बायोडायवर्सिटी पार्क में कृत्रिम वेटलैंड तैयार करने के क्रम में यही पौधे लगाए गए और इनका परिणाम भी सकारात्मक रहा। इसी के मद्देनजर अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस पर आयोजित एक वेबिनार में डीडीए के प्रधान आयुक्त (उद्यान) राजीव तिवारी ने भी इस आशय की जानकारी साझा की।

यमुना किनारे अभी लगे ये पौधे

पाम जामुन सीसो जंगली पौधे खरपतवार और झाड़ियां

अब ये पौधे लगाए जाएंगे खैर अर्जुन कैम कैथ घास  

उधर, इस पूरे अभियान को लेकर फैयाज ओ खुदसर (प्रभारी वनस्पति विज्ञानी, यमुना बायोडायवर्सिटी पार्क) का कहना है कि बाढ़ क्षेत्र के पौधों को नदी घाटी के पौधे भी कहा जाता है। इन पौधों को नदी किनारे लगाए जाने पर जलधारा भी निर्बाध रहती है और वहां का भूजल स्तर भी प्रभावित नहीं होता। यमुना किनारे इन्हें लगाए जाने की योजना स्वागतयोग्य है। 

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