द कन्वर्जन फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने के लिए हाई कोर्ट में याचिका, यूपी चुनाव को लेकर दी ये दलील
द कन्वर्जन फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने और इसके ट्रेलर को यूट्यूब से हटाने की मांग को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई है। आल इंडिया प्रैक्टिसिंग लायर्स काउंसिल ने इसके साथ ही उपयुक्त अधिकारियों द्वारा इसकी समीक्षा व जांच कराने की भी मांग की है।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। द कन्वर्जन फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने और इसके ट्रेलर को यूट्यूब से हटाने की मांग को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई है। आल इंडिया प्रैक्टिसिंग लायर्स काउंसिल ने इसके साथ ही उपयुक्त अधिकारियों द्वारा इसकी समीक्षा व जांच कराने की भी मांग की है। याचिका में कहा गया है कि फिल्म के ट्रेलर में पक्षपातपूर्ण और सांप्रदायिक सामग्री को दर्शाया गया है। इसके कारण उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की संभावना है। तकनीकि समस्या के कारण मुख्य पीठ ने सुनवाई एक अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दी।
सुनवाई के दौरान एडिशनल सालिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने याचिका पर आपत्ति जताते हुए कहा कि याचिकाकर्ता के पास कानून में कई रास्ते उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम समेत कई तरीके से फिल्म की सामग्री पर आपत्ति की जा सकती है। वहीं याचिकाकर्ता ने दलील दी कि इस संबंध में सूचना और प्रसारण मंत्रालय और यूट्यूब को इस बाबत शिकायत की गई थी, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली।
बता दें कि उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव अगले साल फरवरी-मार्च में प्रस्तावित हैं। इसके लेकर विभिन्न राजनीतिक दल अपनी तैयारियां भी शुरु कर दिए हैं। अब देखना होगा याचिकाकर्ता की दलील पर कोर्ट क्या फैसला देता है।
सेवानिवृत्ति के बाद के लाभ को रोकने पर आइआइटी दिल्ली को नोटिस
वहीं, सेवानिवृत्ति के बाद के लाभों को कथित रूप से रोकने के खिलाफ एक जूनियर लैब अटेंडेंट द्वारा दायर याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) दिल्ली से जवाब मांगा है। मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल व न्यायमूर्ति अमित बंसल की पीठ ने आइआइटी दिल्ली को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। मामले में आगे की सुनवाई आठ नवंबर को होगी।
अधिवक्ता प्रीत सिंह के माध्यम से याचिका दायर कर याचिकाकर्ता ने कहा कि उसकी पेंशन व ग्रेच्यूटी इसलिए रोक दी गई, क्योंकि उसके व उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ बहू द्वारा दायर एक आपराधिक मामला लंबित है। उन्होंने दलील दी कि कर्मचारी अपनी निरंतर मेहनत से पेंशन का लाभ अर्जित करता है और केवल आपराधिक मामला लंबित होने के कारण इससे वंचित नहीं रखा जा सकता है। वह भी तब जब याची का पूरा करियर बेदाग रहा हो।