आतंकी फंडिंग मामले में पटियाला हाउस कोर्ट ने चारों आरोपितों को किया आरोपमुक्त

एनआइए ने आरोप लगाया था कि चारों आरोपित पाकिस्तान स्थित एक संगठन के लिए स्लीपर सेल बनाने में शामिल थे। इतना ही नहीं एनआइए ने इन चारों आरोपितों को पाकिस्तानी संगठन फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन से धन प्राप्त करने के लिए गिरफ्तार किया था।

By Prateek KumarEdited By: Publish:Fri, 22 Oct 2021 07:09 PM (IST) Updated:Fri, 22 Oct 2021 08:10 PM (IST)
आतंकी फंडिंग मामले में पटियाला हाउस कोर्ट ने चारों आरोपितों को किया आरोपमुक्त
संदेह साक्ष्य को प्रतिस्थापित नहीं कर सकता: कोर्ट

नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। आतंकी फंडिंग मामले में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत आरोपित बनाए गए चारों लोगों को पटियाला हाउस कोर्ट ने आरोप मुक्त कर दिया है। एनआइए विशेष न्यायाधीश परवीन सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) ऐसा कोई सुबूत कोर्ट के सामने पेश नहीं कर पाई, जिससे यह पता लगाया जा सके कि चारों आरोपितों के द्वारा फंडिंग का पैसा दुबई से पाकिस्तान भेजा गया या इसका इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों में किया गया। अदालत ने मामले में मोहम्मद सलीम, मोहम्मद सलमान, आरिफ गुलाम बशीर धर्मपुरिया और मोहम्मद हुसैन मोलानी को आरोपमुक्त किया। यह मामला हरियाणा के पलवल के उटावड स्थित मस्जिद के निर्माण से जुड़ा है।

हरियाणा के पलवल के उटावड स्थित मस्जिद के निर्माण से जुड़ा है मामला

एनआइए ने आरोप लगाया था कि चारों आरोपित पाकिस्तान स्थित एक संगठन के लिए स्लीपर सेल बनाने में शामिल थे। इतना ही नहीं एनआइए ने इन चारों आरोपितों को पाकिस्तानी संगठन फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन से धन प्राप्त करने के लिए गिरफ्तार किया था। अदालत ने कहा कि हालांकि कुछ संदेह हो सकता है कि इसके पीछे उद्​देश्य क्या था, अलग-अलग योजनाएं क्या थीं, लेकिन केवल संदेह सबूत को प्रतिस्थापित नहीं कर सकता है।

कोड शब्दों को लेकर अभियोजन की दलील पर अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष यह स्पष्ट नहीं कर सका कि 'घी' शब्द विस्फोटकों के लिए एक कोड था। इसी प्रकार 'खिदमत' शब्द का शाब्दिक अर्थ सेवा है और यह कोई भी सेवा हो सकती है। जब तक इस वाक्य से पहले या इस वाक्य के बाद के आसपास की परिस्थिति या कोई बातचीत न हो जो यह दर्शाती हो कि इस वाक्य में खिदमत शब्द के इस्तेमाल का मतलब उन लोगों की सेवा है, जिन्होंने आतंकवादी प्रशिक्षण लिया था, इस शब्द को इस अर्थ के रूप में नहीं देखा जा सकता है। अदालत ने कहा कि रिकार्ड पर इस संबंध में भी कोई सबूत नहीं पेश किया गया कि अभियुक्त स्लीपर सेल थे।

अदालत ने कहा कि अभियुक्तों ने भी यह नहीं कहा है कि अवैध कार्य नहीं हो रहा था। हालांकि, उन्होंने कहा है कि सुबूतों के अभाव में उन पर आतंकवाद के लिए यूएपीए के तहत मुकदमा नहीं चलाया जाना चाहिए। सभी पक्षों की दलील पर अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष किसी भी सबूत को सामने लाने में विफल रहा है जो एक गंभीर संदेह पैदा करे कि जो रुपया दुबई से भेजा जा रहा था और आरोपी मोहम्मद सलमान द्वारा प्राप्त किया जा रहा था। उसे सलमान अन्य आरोपियों के माध्यम से आतंकवादी गतिविधियों के लिए किया जाना था।

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