Monsoon Rain 2021: कई बार फेल हुआ मानसून का पूर्वानुमान, अब संसदीय समिति ने भी IMD को किया कठघरे में खड़ा

मानसून का पूर्वानुमान पूर्वी और पश्चिमी हवाओं के मॉडल पर निर्भर है लेकिन इस बार चार हफ्तों के पूर्वानुमान को लेकर इन दोनों ही मॉडलों से सही पूर्वानुमान नहीं मिल पाए। केरल में मानसून की दस्तक को लेकर जो गलत पूर्वानुमान शुरू हुआ वह अब तक जारी है।

By Jp YadavEdited By: Publish:Tue, 13 Jul 2021 06:04 AM (IST) Updated:Tue, 13 Jul 2021 07:39 AM (IST)
Monsoon Rain 2021: कई बार फेल हुआ मानसून का पूर्वानुमान, अब संसदीय समिति ने भी IMD को किया कठघरे में खड़ा
Monsoon Rain 2021: कई बार फेल हुआ मानसून का पूर्वानुमान, संसदीय समिति ने भी IMD को किया कठघरे में खड़ा

नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। मानसून की दस्तक को लेकर एक के बाद एक गलत साबित हो रहे पूर्वानुमानों पर अब संसदीय समिति की चिंता भी सामने आई है। समिति ने इसे लेकर भारतीय मौसम विज्ञान विभाग को भी कठघरे में खड़ा किया है। यही वजह रही कि जब समिति ने इसके कारणों और आगे की स्थिति पर जानकारी लेनी चाही तो बैठक में मौसम  विभाग के साथ साथ वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआइआर) व निजी एजेंसी स्काईमेट वेदर की टीम को भी बुलाया गया। इस बैठक के निष्कर्षाें पर जल्द ही एक रिपोर्ट संसद में भी रखी जाएगी।सांसद जयराम रमेश की अध्यक्षता वाली विज्ञान, प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन पर राज्यसभा की स्थायी समिति ने यह बैठक दो दिन पूर्व रखी थी।

बैठक में केंद्रीय भूविज्ञान मंत्रालय के सचिव एम राजीवन, आइएमडी के महानिदेशक डॉ. एम महापात्रा और स्काईमेट वेदर के उपाध्यक्ष महेश पलावत सहित कई अन्य विशेषज्ञ भी मौजूद रहे। बैठक के दौरान तीनों ही एजेंसियों से राज्यवार मानसून की मौजूदा और आगे की स्थिति पर अलग अलग प्रेजेंटेशन देने को कहा गया। आइएमडी की ओर से बताया गया कि मानसून का पूर्वानुमान पूर्वी और पश्चिमी हवाओं के मॉडल पर निर्भर रहता है, लेकिन इस बार चार हफ्तों के पूर्वानुमान को लेकर इन दोनों ही माडलों से सही पूर्वानुमान नहीं मिल पाए। केरल में मानसून की दस्तक को लेकर ही गलत पूर्वानुमान जो एक बार शुरू हुए, अभी तक धोखा दे रहे हैं। हालांकि आइएमडी के साथ साथ स्काईमेट वेदर और सीएसआइआर ने भी इस संभावना पर एकरूपता दिखाई कि लेट होने के बावजूद मानसून की बारिश सामान्य ही रहेगी। अगस्त और सितंबर में होने वाली बारिश जून-जुलाई की कमी को भी पूरा कर लेगी। इसके अलावा मानसून की विदाई भी इस बार लेट है और अक्टूबर में होने के संकेत मिल रहे हैं।

वहीं, संसदीय समिति की चिंता बारिश में देरी और इसके दिनों की संख्या कम होने पर भी नजर आई। दरअसल, इसका सीधा संबंध फसल उत्पादन और जलवायु की स्थिति से जुड़ता है। इन्हीं सब तथ्यों को लेकर समिति अपनी रिपोर्ट तैयार करेगी और उसमें कुछ सिफारिशें प्रस्तावित करेगी।

डॉ. एम महापात्रा (महानिदेशक, आइएमडी) के मुताबिक, संसदीय समिति ने मानसून की मौजूदा और भावी स्थिति पर अपडेट लेने के लिए बैठक रखी थी। दो अन्य एजेंसियां भी बुलाई गई थीं। सारी स्थिति को समझकर ही समिति आगे के हालात के लिए अपनी रिपोर्ट और रणनीति तैयार करेगी। 

महेश पलावत (उपाध्यक्ष, स्काईमेट वेदर) का कहना है कि करीब डेढ़ घंटे तक चली इस बैठक में मानसून के लगातार लेट होने, बार बार गलत हो रहे पूर्वानुमानों और इस स्थिति का भविष्य में सामने आने वाला परिणाम संसदीय समिति की चिंता का खास कारण रहा। समिति की रिपोर्ट में मौसम विभाग के सिस्टम में सुधार को लेकर भी कुछ सिफारिशें सामने आ सकती हैं।

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