नागरिकता संशोधन बिल पास होने पर शरणार्थियों ने मनाया जश्न, महिला ने बेटी का नाम 'नागरिकता' रखा

राज्यसभा से नागरिक सुरक्षा संसोधन बिल पास होने के बाद हिंदू शरणार्थियों में खुशी की लहर दौड़ गई।

By Mangal YadavEdited By: Publish:Wed, 11 Dec 2019 10:18 PM (IST) Updated:Wed, 11 Dec 2019 10:32 PM (IST)
नागरिकता संशोधन बिल पास होने पर शरणार्थियों ने मनाया जश्न, महिला ने बेटी का नाम 'नागरिकता' रखा
नागरिकता संशोधन बिल पास होने पर शरणार्थियों ने मनाया जश्न, महिला ने बेटी का नाम 'नागरिकता' रखा

नई दिल्ली, एएनआइ/ जेएनएन।  राज्यसभा से नागरिक सुरक्षा संसोधन बिल पास होने के बाद हिंदू शरणार्थियों में खुशी की लहर दौड़ गई। दिल्ली के मजनू का टिला में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीरों को लेकर लोग खुशियां मनाने लगे। लोग मिठाइयां खिलाकर एक-दूसरे को बधाई देने लगे। हिंदू शरणार्थियों ने संसद के दोनों सदनों से बिल पास होने पर प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद किया है।

उधर, दिल्ली के मजनू का टिला में रह रही एक अन्य पाक हिंदू शरणार्थी महिला ने अपनी बच्ची का नाम 'नागरिकता' रखा। महिला ने दो दिन पहले ही बेटी को जन्म दिया है। 

बता दें कि दिल्ली के मजनू का टिला में रहने वाले शरणार्थी पाकिस्तान के सिंध प्रांत से आए हैं। लोगों का कहना था कि 72 सालों के बाद अब उन्हें आजादी मिली है। इन शरणार्थियों का कहना है कि पाकिस्तान में जीवन गुलामों से भी बदतर था, वहां होने वाले जुल्मों को याद कर वे आज भी कांप उठते हैं। वे बताते हैं कि वहां उन्हें स्वतंत्रता नहीं थी। आजादी क्या होती है, यह हमें भारत में शरणार्थी के तौर पर रहकर पता चला और अब तो उन्हें असली आजादी मिली है।

यहां 135 से अधिक परिवार रहते हैं। करीब इतनी ही घास-फूस की झुग्गियां और एक-दो ईंट और सीमेंट के निर्माण पर टीनशेड की छत पड़े मकान हैं, इनमें करीब आठ सौ लोग रहते हैं। शरणार्थियों का यह कैंप 2013 से आबाद है। पहले जत्थे में 40 परिवार आए थे। अभी भी इस कैंप में पाकिस्तान से भाग कर शरण लेने के लिए हिंदू आ रहे हैं। इसी तरह के कैंप रोहिणी सेक्टर-11 व 25, हाथरस नगर, आजादपुर और फरीदाबाद में भी हैं। कुछ परिवार सिग्नेचर ब्रिज के नीचे भी झुग्गियां डालकर रह रहे हैं। कच्ची झुग्गियों में रहकर भी ये लोग खुद को खुशकिस्मत और सुरक्षित मानते हैं और बताते हैं कि पाकिस्तान में गुजारे दिनों को जब याद करते हैं तो यह मुफलिसी और मुश्किलों भरी जिंदगी भी बेहतर नजर आती है

महिलाओं को मिलेगी दुष्कर्मो से आजादी

इलाके में हनुमान मंदिर के पास बैठी महिलाओं की आपसी बातचीत को सुनने से ऐसा लगा कि इनके लिए बीती जिंदगी में अंजान लोगों के दिखने का मतलब दुष्कर्म और हत्या हुआ करता था, लेकिन आज ये महिलाएं अंजान लोगों से खुलकर बात कर रही हैं। इनमें से ज्यादातर अनपढ़ हैं, क्योंकि पाकिस्तान में जब ये रहती थीं तो वहां लड़कियों का अक्सर जबरन धर्म परिवर्तन कर दिया जाता था और मुस्लिमों से शादी को मजबूर कर दिया जाता था। यदि कोई लड़की ऐसा नहीं करती तो उसके साथ दुष्कर्म व आखिर में हत्या आम बात थी।

पाकिस्तान में हिंदू होना गुनाह था

पाकिस्तान के सिंध प्रांत से आए डॉ. कृष्णनमल कहते हैं कि अब वह यहां प्रैक्टिस कर पाएंगे, शरणार्थी के तौर पर वह डॉक्टर होने के बाद भी प्रैक्ट्रिस नहीं कर पा रहे थे। पाकिस्तान के दिनों को याद करते हुए उन्होंने बताया कि वहां हिंदू होना गुनाह है। पाकिस्तान में हिंदुओं की बहु-बेटियों को उठा ले जाना, जमीन, मकान पर कब्जा कर, मारपीट और हत्याएं करना आज भी आम बात है। वहां अब भी अल्पसंख्यक दोयम दर्जे के नागरिक हैं। इसलिए वे लोग वहां से भाग आए।

पाकिस्तान में छिपकर करने पड़ते थे धार्मिक अनुष्ठान: धर्मवीर

सिंध के हैदराबाद से आए धर्मवीर सोलंकी बताते हैं कि 1947 के बाद पाकिस्तान में रह रहे अल्पसंख्यकों के लिए दासता का दौर शुरू हो गया। वहां अल्पसंख्यकों को घर में छिपकर अपने धार्मिक अनुष्ठान करने होते थे और हर दिन खौफ में गुजरता था। लेकिन यहां उन्होंने गौशाला खोली है और हाईकोर्ट और मोदी सरकार-1 के प्रयासों से उन लोगों को शरणार्थी का दर्जा मिला और आधार कार्ड बने। अब उम्मीद है कि जल्द ही भारत की नागरिकता मिलेगी।

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