उत्तर रेलवे के अस्पताल में शुरू हुआ आक्सीजन उत्पादन, अब नहीं होगी किल्लत

नई दिल्ली स्थित अस्पताल में आक्सीजन संयंत्र बनकर तैयार हो गया है और बुधवार को उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक आशुतोष गंगल और डेडिकेटेड फ्रेट कोरिडोर निगम (डीएफसीसी) के प्रबंध निदेशक रविंद्र कुमार जैन ने इसका उद्घाटन किया है ।

By Prateek KumarEdited By: Publish:Thu, 10 Jun 2021 06:10 AM (IST) Updated:Thu, 10 Jun 2021 10:22 AM (IST)
उत्तर रेलवे के अस्पताल में शुरू हुआ आक्सीजन उत्पादन, अब नहीं होगी किल्लत
उत्तर रेलवे के केंद्रीय अस्पताल में आक्सीजन संयंत्र स्थापित किया गया है।

नई दिल्ली [संतोष कुमार सिंह]। कोरोना की दूसरी लहर में आक्सीजन की कमी से कई मरीजों की जान चली गई। पूरे देश में आक्सीजन की कमी थी, लेकिन दिल्ली में स्थिति ज्यादा भयावह हो गई थी। इसे ध्यान में रखकर नई दिल्ली स्थित उत्तर रेलवे के केंद्रीय अस्पताल में आक्सीजन संयंत्र स्थापित किया गया है। इससे अस्पताल में इलाज कराने वाले मरीजों को आक्सीजन की उपलब्धता बनाए रखने में आसानी होगी।

अस्पतालों को आक्सीजन के मामले में आत्म निर्भर बनाने का लक्ष्य

रेल मंत्रालय ने अस्पतालों को आक्सीजन के मामले में आत्म निर्भर बनाने का लक्षय रखा है। इसके तहत 84 रेलवे अस्पतालों में आक्सीजन संयंत्र लगाए जा रहे हैं। इस काम में किसी तरह की परेशानी नहीं हो इसके लिए महाप्रबंधक को दो करोड़ रुपये तक के खर्च को मंजूरी देने का अधिकार दिया गया है।

एक माह से कम समय में संयंत्र होगा तैयार

नई दिल्ली स्थित अस्पताल में संयंत्र बनकर तैयार हो गया है और बुधवार को उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक आशुतोष गंगल और डेडिकेटेड फ्रेट कोरिडोर निगम (डीएफसीसी) के प्रबंध निदेशक रविंद्र कुमार जैन ने इसका उद्घाटन किया है। कारपोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) के तहत डीएफसीसी ने एक माह से भी कम समय में इस संयंत्र को तैयार किया है। इस संयंत्र से पांच सौ लीटर प्रति मिनट आक्सीजन का उत्पादन होगा।

उत्तर रेलवे के केंद्रीय अस्पताल में 15 सौ लीटर प्रति मिनट आक्सीजन की जरूरत

गंगल ने कहा कि उत्तर रेलवे के केंद्रीय अस्पताल में 15 सौ लीटर प्रति मिनट आक्सीजन की जरूरत है। इस संयंत्र के शुरू होने से अस्पताल की 30 फीसद जरूरत पूरी होगी। अस्पताल को आक्सीजन के मामले में आत्म निर्भर बनाने का यह महत्वपूर्ण कदम है। बता दें कि दिल्ली में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान अस्पतालों में दवा एवं आक्सीजन की किल्लत देखने को मिली थी जिससे मरीजों को काफी परेशानी हुई थी।

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