दिल्ली में मानसून की बारिश में पुराने वादे जलभराव में बह गए, आखिर कैसे होगा वर्षा जल संग्रहण?

बरसात होने पर बरसाती मेंढक की तरह नए वादे निकल आते हैं कि हम विश्वस्तरीय ड्रेनेज सिस्टम तैयार करेंगे। और जो पुराने वादे थे वो बरसात के जलभराव में बहे जा रहे हैं। आखिर हम कब समझेंगे दिल्ली-एनसीआर का भूजल जैसे धरातल में समा रहा है।

By Mangal YadavEdited By: Publish:Wed, 21 Jul 2021 01:34 PM (IST) Updated:Wed, 21 Jul 2021 01:34 PM (IST)
दिल्ली में मानसून की बारिश में पुराने वादे जलभराव में बह गए, आखिर कैसे होगा वर्षा जल संग्रहण?
जल बोर्ड की संपत्तियां जहां वर्षा जल संग्रहण प्रणाली लगाने का काम है बाकी।

नई दिल्ली। बारिश होगी तो एक-एक बूंद जल संचयन करेंगे। बात अच्छी है। कानों को, मन को, जल संरक्षण सरोकार को और जनहित की जरूरत को सुहाती है। लेकिन यदि एक-एक बूंद बचाने की बात थी तो सोमवार को दिल्ली में जब लंबे इंतजार के बाद महज 12 घंटे बारिश हुई तो हर सड़क नाला क्यों बनी हुई थी? हर गली नाली क्यों बनी हुई थी? अंडरपास जलभराव में विलुप्त क्यों हो गया था? इसकी वजह एक ही रही कि बरसात होने पर बरसाती मेंढक की तरह नए वादे निकल आते हैं कि हम विश्वस्तरीय ड्रेनेज सिस्टम तैयार करेंगे। और जो पुराने वादे थे वो बरसात के जलभराव में बहे जा रहे हैं।

आखिर हम कब समझेंगे दिल्ली-एनसीआर का भूजल जैसे धरातल में समा रहा है उससे जल संकट विशेषकर पेयजल बड़ी मुसीबत बनता जा रहा है। दिल्ली में सरकारी संपत्तियों में से मात्र दो तिहाई में ही वर्षा जल संग्रहण की व्यवस्था है, जबकि एक तिहाई सरकारी इमारतें अब तक बारिश के पानी के संग्रह की व्यवस्था नहीं कर पाई हैं। जब सरकारी के ऐसे हालात हैं तो आप निजी सपंत्तियों से क्या अपेक्षा कर सकते हैं। पहले नियमों का पालन खुद भी करना होगा। भूजल के तेजी से गिरते स्तर के मद्देनजर वर्षा जल संग्रहण पर दिल्ली-एनसीआर में बहुत ध्यान दिए जाने की जरूरत है, लेकिन प्रश्न यह उठता है कि आखिर वर्षा जल संग्रहण का महत्व जानने के बावजूद इसे लेकर गंभीरता क्यों नहीं बरती जाती? वर्षा जल संग्रहण की व्यवस्था कराने में क्यों विफल हैं सरकारी एजेंसियां।

अभी और दुरुस्त करनी होगी व्यवस्था

दिल्ली-एनसीआर में रोजाना लोग पानी की कमी से जूझते हैं। जितनी जरूरत है उतनी जलापूर्ति नहीं हो पाती है। भूजल स्तर भी साल दर साल नीचे जा रहा है, लेकिन इस स्थिति को सुधारने की सारी कवायदें कागजों तक ही सिमट कर रह गई हैं। हर साल मानसून के दौरान बारिश का पानी सड़कों और नालों में बह कर बर्बाद हो जाता है। इन्हें संजोने, भूजल रीचार्ज करने और री-साइकिल कर पीने के उपयोग में लाने के लिए योजनाएं बनाई गईं, लेकिन परिणाम आज भी सिफर ही है। क्या हैं पेयजल के स्रोत, वर्षा जल संग्रह की क्या है व्यवस्था, क्या हैं नियम जानेंगे आंकड़ों की जुबानी:

ये हैं नियम दिल्ली में 100 वर्ग मीटर या उससे बड़े भूखंडों में बने मकानों में वर्षा जल संग्रहण प्रणाली लगाना अनिवार्य है। वर्षा जल संग्रहण प्रणाली चालू हालत में होने पर पानी के बिल पर प्रोत्साहन के रूप में 10 फीसद छूट का प्रविधान। वर्षा जल संग्रहण प्रणाली नहीं होने पर पानी के बिल का डेढ़ गुना जुर्माना लगाने का प्रविधान। गाजियाबाद में जिन भवनों का क्षेत्रफल 300 वर्गमीटर से अधिक है। उनको वर्षा जल संयंत्र लगाना आवश्यक। फरीदाबाद में इमारत को कंप्लीशन सर्टििफकेट तभी मिलेगा, जब रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगा हो। ग्रेटर नोएडा में वर्षा जल संग्रह प्रणाली न होने पर प्राधिकरण परिसर की लीज रद कर सकता है।

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