अब डॉ.अल्तमश की MBBS की डिग्री पर भी उठने लगे सवाल, जानिए पुलिस को क्यों हो रहा शक
ब्लैक फंगस के उपचार में इस्तेमाल होने वाले इंजेक्शन को नकली बनाकर बेचने के मामले में गिरफ्तार किया गया डा अल्तमश की एमबीबीएस की डिग्री पर दिल्ली पुलिस को संदेह है। पुलिस अधिकारी का कहना है कि उसकी डिग्री फर्जी हो सकती है।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। ब्लैक फंगस के उपचार में इस्तेमाल होने वाले इंजेक्शन को नकली बनाकर बेचने के मामले में गिरफ्तार किया गया डा अल्तमश की एमबीबीएस की डिग्री पर दिल्ली पुलिस को संदेह है। पुलिस अधिकारी का कहना है कि उसकी डिग्री फर्जी हो सकती है। फिलहाल पुलिस उसके शैक्षणिक दस्तावेजों की जांच कर रही है।पुलिस अधिकारियों का कहना है कि प्रारंभिक जांच में पता चला है कि डा अल्तमश के 12वीं पास करने व एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी करने के बीच के सालों में काफी कम अंतर है। ऐसे में उसकी डाक्टर की डिग्री फर्जी होने का संदेह हो रहा है।
पुलिस को अल्तमश से मिले शैक्षणिक दस्तावेजों से पता चला है कि उसने साल 2012 में लखनऊ के केजीएमयू से एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की थी। इसके अगले साल उसने एम्स से न्यूरोलाजी में डिप्लोमा किया। डिप्लोमा हासिल करने के बाद उसने हयात हेल्थ इंश्योरेंस एंड फार्मेसी के नाम से कंपनी खोल ली और उसका यह सीइओ बन गया। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान इसने हजारों लोगों को रेमडेसिविर समेत कई दवाओं को महंगे कीमत में बेचा है।
गौरतलब है कि दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने रविवार को दो डाक्टर समेत 10 आरोपितों को ब्लैक फंगस के उपचार में इस्तेमाल होने वाले इंजेक्शन को नकली बनाकर बेचने के आरोप में गिरफ्तार किया था। इस मामले में डा अल्तमश मुख्य आरोपित है ।
जेल की हवा खाने के बाद भी नहीं सुधरा :
पुलिस अधिकारी ने बताया कि डा अल्तमश पर धोखाधड़ी के पहले से ही पांच मामले दर्ज हैं। अप्रैल में गाजियाबाद पुलिस की अपराध शाखा ने रेमडेसिविर की कालाबाजारी करने के आरोप में गिरफ्तार किया था। कुछ दिन बाद जेल से छूटने के बाद फिर से वह इसी धंधे में लग गया।