अब जेएनयू आतंकवाद पर पढ़ाई को पाठ्यक्रम में करेगा शामिल, अकादमिक काउंसिल ने लगाई मुहर

जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय संबंधों की पढ़ाई करने वाले छात्र अब आतंकवाद से निपटने के बारे में भी पढ़ाई करेंगे। जेएनयू आतंकवाद पर पढ़ाई को पाठ्यक्रम में शामिल करेगा। इस पाठ्यक्रम को भारतीय परिप्रेक्ष्य में तैयार किया गया है। अकादमिक काउंसिल ने पाठ्यक्रम पर मुहर लगा दी है।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Publish:Wed, 01 Sep 2021 12:46 PM (IST) Updated:Wed, 01 Sep 2021 12:46 PM (IST)
अब जेएनयू आतंकवाद पर पढ़ाई को पाठ्यक्रम में करेगा शामिल, अकादमिक काउंसिल ने लगाई मुहर
कार्यकारी परिषद की मुहर लगते ही यह पाठ्यक्रम का हिस्सा हो जाएगा।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय संबंधों की पढ़ाई करने वाले छात्र अब आतंकवाद से निपटने के बारे में भी पढ़ाई करेंगे। जेएनयू आतंकवाद पर पढ़ाई को पाठ्यक्रम में शामिल करेगा। इस पाठ्यक्रम को भारतीय परिप्रेक्ष्य में तैयार किया गया है। अकादमिक काउंसिल ने पाठ्यक्रम पर मुहर लगा दी है। बृहस्पतिवार को होने वाली कार्यकारी परिषद की बैठक में इस बाबत प्रस्ताव पेश किया जाएगा। कार्यकारी परिषद की मुहर लगते ही यह पाठ्यक्रम का हिस्सा हो जाएगा।

इंजीनियरिंग के छात्र करेंगे पढ़ाई

जेएनयू प्रशासन ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों के साथ इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले दो साल के पाठ्यक्रम के छात्रों के लिए एक नए अध्याय की अनुमति दी गई है। दरअसल, दोहरी डिग्री वाले जेएनयू के प्रोग्राम के तहत इंजीनयरिंग के छात्रों को अंतर्राष्ट्रीय संबंध यानि इंटरनेशनल रिलेशन के बारे में पढ़ाया जाता है। इसी में नया पाठ्यक्रम काउंटर टेररिज्म, एसिमेटिक कानफ्लिक्ट एंड स्ट्रैटेजिक फार कारपोरेशन एमांग मेजर पावर को शामिल किया गया है। पाठ्यक्रम की रुपरेखा तैयार करने वाले प्रोफेसर अरविंद कुमार ने कहा कि इसमें छात्रों को पढ़ाया जाएगा कि आतंकवाद से कैसे निपटा जा सकता है और इसमें तकनीक की क्या भूमिका होगी। हालांकि, जेएनयू में शिक्षकों के एक धड़े ने पाठ्यक्रम पर आपत्ति जताई है।

पाठ्यक्रम के तहत छात्रों को इस्लामिक जेहादी आतंकवाद ही कट्टरवादी धार्मिक आतंकवाद है, इसे पढ़ाया जाएगा। हालांकि, प्रो. अरविंद कुमार इससे इत्तेफाक नहीं रखते। कहते हैं, हम किसी धर्म विशेष के बारे में नहीं पढ़ा रहे। यह पूरी तरह भारत के परिप्रेक्ष्य में डिजाइन किया गया है। सीमापार प्रायोजित आतंकवाद से भारत लंबे समय से पीड़ित रहा है। भारत को कई साल लग गए दुनिया को यह समझाने में कि आतंक एक मुद्दा है। 9/11 के बाद विश्व ने इसे स्वीकार किया।

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