आपदा में भी एकसाथ नहीं आना दुर्भाग्यपूर्ण और कालाबाजारी का कारण बन रहा : हाई कोर्ट

पीठ ने टिप्पणी तब की जब सुनवाई के दौरान अदालत मित्र ने कहा कि हमें यह भी देखने की जरूरत है कि डाॅक्टरों पर दबाव बढ़ रहा है और स्वेच्छा से काम के लिए आगे आने वाले मेडिकल कर्मियों को बुलाना होगा।

By Prateek KumarEdited By: Publish:Fri, 07 May 2021 08:10 AM (IST) Updated:Fri, 07 May 2021 09:03 AM (IST)
आपदा में भी एकसाथ नहीं आना दुर्भाग्यपूर्ण और कालाबाजारी का कारण बन रहा : हाई कोर्ट
बीमार अधिवक्ता ने बताई रेमडेसिविर की कालाबाजारी की हकीकत।

नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। सरकारी आदेश के उलट जमीनी स्तर पर दिखाई दे रही स्थिति को लेकर चिंताजनक दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि दुर्भाग्यपूर्ण है कि आपदा के इस समय में भी हम एक साथ नहीं आ रहे हैं। न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ ने कहा कि यही वजह है कि दवा, ऑक्सीजन जैसी जीवक रक्षक दवाओं की कालाबाजारी हो रही है। पीठ ने कहा कि यह उसूलों की बात है। पीठ ने उक्त टिप्पणी तब की जब सुनवाई के दौरान अदालत मित्र ने कहा कि हमें यह भी देखने की जरूरत है कि डाॅक्टरों पर दबाव बढ़ रहा है और स्वेच्छा से काम के लिए आगे आने वाले मेडिकल कर्मियों को बुलाना होगा।

पीठ ने चिंता जताई कि डाॅक्टर भी बीमार हो रहे हैं और थक रहे हैं। सेवानिवृत्त डाॅक्टरों को बुलाने के सुझाव पर पीठ ने कहा कि संभव है कि उम्र और बीमारी को देखते हुए बहुत सारे डाॅक्टर इसके लिए आगे नहीं आएं। पीठ ने कहा कि वह मेडिकल छात्रों को इसमें लगाने पर सरकार को फैसला लेना है। पीठ ने कहा कि हमने इस पर भारतीय चिकित्सा आयुर्विज्ञान परिषद (आइसीएमआर) से सुझाव मांगा है कि कैसे प्राथमिक चिकित्सा व्यवस्था का इस्तेमाल किया जा सकता है। पीठ ने कहा कि अगर हल्के अंदाम में कहा जाए तो हमें भी काउंसलिंग की जरूरत है।

बीमार अधिवक्ता ने बताई रेमडेसिविर की कलाबाजारी की हकीकत

नौ दिन अस्पताल में रहने के बाद घर पहुंचे अधिवक्ता तरुण चंढोक ने रेमडेसिविर व प्लाज्मा की व्यवस्था की जमीनी हकीकत बताई। बीमार अधिवक्ता तरुण चंडोक ने भर्राई आवाज में बताया कि मैं नो दिन से अस्पताल में भर्ती था और पिता अब भी अस्पताल में हैं। उन्होंने बताया कि अस्पताल ने उन्हें रेमडेसिविर लाने को कहा और उनके संपर्क होने के कारण उन्हें इंजेक्शन मिल गया, लेकिन उन्होंने चिंता जताई कि ऐसे सैकड़ों लोग हैं जिन्हें ये दवा मोटी कीमत अदा करके मिल रही है। कुछ ऐसे भी हैं, जिन्हें नहीं मिल पा रही है।

उन्होंने कहा कि रेमडेसिविर इंजेक्शन समेत जरूरी चीजों की अब भी कालाबाजारी हो रही है। उन्होंने यह भी बताया कि उन्हें खुद को प्लाज्मा देने के लिए 16 लोगों की व्यवस्था की और इसमें से 15 लोगों को मना कर दिया गया। उन्होंने दलील दी कि वह खुद ज्यादा से ज्यादा प्लाज्मा सेंटर बनाने के संबंध में दिल्ली सरकार को कह-कह थक गए। उन्होंने कहा कि हर कोई वसंत कुंज नहीं जा सकता है। अस्पताल में भर्ती होने वाले हर दूसरे व्यक्ति को प्लाज्मा चाहिए और प्लाज्मा दान करने के बदले लोग 80 से 90 हजार रुपये मांग रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्लाज्मा दान करना अनिवार्य होना चाहिए। अदालत मित्र व वरिष्ठ अधिवक्ता राजेशखर राव ने पीठ से कहा कि वैक्सीन लेने के साथ आप प्लाज्मा नहीं दे सकते हैं। चिंता व्यक्त करते हुए यह भी कहा कि जल्द ही हमें दवाओं को लेकर भी समस्या होने वाली है।

सभी पहलुओं की जांच के लिए बनाई जाए कमेटी

सुनवाई के दौरान पब्लिक हेल्थ सिस्टम की तरफ से पेश हुई वरिष्ठ अधिवक्ता नित्या रामाकृष्णन ने कहा कि ज्यादा से ज्यादा लोगों की मदद करने के लिए हम अदालत और अदालत मित्र के निर्देशों का पालन कर रही हैं। उन्होंने कहा कि कोर्ट को विशेषज्ञों की एक समिति बनानी चाहिए। समिति सार्वजनिक निजी भागीदारी व सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्रों के विशेषज्ञ नीति बनाकर अदालत का सहयोग करे। पीठ ने भी इस विचार से सहमति जताते हुए कहा कि इस पर विचार किया जाना चाहिए।

सबको पता है नहीं है चिकित्सा का आधारभूत ढांचा

अधिवक्ता वेदांश आनंद ने पीठ को बताया कि सूचना का अधिकार के तहत मिली जानकारी के अनुसार जुलाई 2020 से अप्रैल 2020 तक सरकार ने एक भी वेंटिलेटर नहीं खरीदा गया था। उन्होंने कहा कि यही वजह है कि दिल्ली में लोगों को बेड की समस्या हो रही है। पीठ ने कहा कि यह तो सभी को पता है और इसके लिए आरटीआइ से मिली जानकारी की जरूरत नहीं है। पीठ ने कहा कि क्या आज सरकार इन्कार नहीं कर रही है चिकित्सकीय आधारभूत ढांचा नहीं है और यह यह पूरी तरह से नाकाम है।

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