गीला व सूखा कूड़ा अलग करने के लिए नुक्कड़-नाटक का सहारा ले रहा EDMC

पूर्वी दिल्ली नगर निगम के महापौर निर्मल जैन ने बताया कि निजी कंपनी इसका संचालन कर रही है। नुक्कड़-नाटकों के माध्यम से लोगों को बताया जा रहा है कि उन्हें हरे रंग के कूड़ेदान में गीला व नीले रंग के कूड़ेदान में सूखा कूड़ा डालना है।

By JP YadavEdited By: Publish:Thu, 22 Oct 2020 12:50 PM (IST) Updated:Thu, 22 Oct 2020 12:50 PM (IST)
गीला व सूखा कूड़ा अलग करने के लिए नुक्कड़-नाटक का सहारा ले रहा EDMC
नुक्कड़ नाटक के जरिये जागरूकता फैलाते कलाकार।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। गीला और सूखा कूड़ा घर में ही अलग करने को लेकर लोगों को जागरूक करने के लिए पूर्वी दिल्ली नगर निगम नुक्कड़ नाटक का भी सहारा ले रहा है। दरअसल, नगर निगम ने अपने आठ वार्डों में घर-घर से गीला और सूखा कूड़ा अलग-अलग उठाने की योजना शुरू की है, लेकिन यहां लोगों में अलग-अलग कूड़े को लेकर जागरूकता का अभाव दिख रहा है। इसी वजह से निगम ने अब जागरूकता पर जोर देना शुरू किया है। इसके तहत यमुना विहार में नुक्कड़-नाटकों का आयोजन हो चुका है। अब दूसरे वार्डों में भी शुरू किया जाएगा।

पूर्वी दिल्ली नगर निगम के महापौर निर्मल जैन ने बताया कि निजी कंपनी इसका संचालन कर रही है। नुक्कड़-नाटकों के माध्यम से लोगों को बताया जा रहा है कि उन्हें हरे रंग के कूड़ेदान में गीला व नीले रंग के कूड़ेदान में सूखा कूड़ा डालना है। उन्होंने बताया कि अंडे के छिलके, चिकन के अवशेष हड्डियां, सड़े फल व सब्जियां, चाय कॉफी के बैग, पत्ते के प्लेट्स आदि सभी गीले कूड़े में आते हैं। ऐसे ही धातु के कैन जिनका प्रयाेग बीयर, काेल्ड ड्रिंक आदि के लिए हाेता है। रबड़, थर्माकॉल, प्रसाधन सामग्रियां और बाल आदि इस तरह का कूड़ा हर घर से निकलता है इस कूड़े काे सूखा कड़ा जाता है। निर्मल जैन ने कहा कि जब लोग यह समझ जाएंगे तो कूड़ा उठाने में आसानी होगी। कूड़ा उठाने के लिए ट्रक और छोटे वाहन लगाए गए हैं। इनमें भी हरे और नीले रंग के अलग-अलग डब्बे हैं। सूखा कूड़ा कंपोस्टर संयंत्रों में जाएगा। यहां इसे रिसाइकिल किया जाएगा। वहीं गीले कूड़े को फिलहाल गाजीपुर लैंडफिल साइट पर डाला जाएगा।

उन्होंने बताया कि निजी कंपनी के प्रतिनिधि घर-घर जाकर भी लोगों को जागरूक करेंगे। अभी यह देखा जा रहा है कि वार्डों से अलग-अलग कूड़ा उठाने में किस तरह की दिक्कतें आ रही हैं। कंपनी को कितने संसाधन एक वार्ड में लगाने पड़ रहे हैं। धीरे-धीरे सभी वार्डों में इसे लागू किया जाएगा।

बता दें कि स्वच्छता रैंकिंग में पिछले साल पिछड़ने के कारण निगम ने अब कूड़े का निस्तारण वैज्ञानिक तरीके से करने की योजना तैयार की है। इसके तहत ही निजी कंपनी को यह काम सौंपा गया है। इस पर निगम को प्रति वर्ष करीब दो सौ करोड़ रुपये खर्च करने पड़ेंगे।

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