उम्मीद से भरी नई सुबह, करें स्वयं से पॉजिटिव बातें

मोटिवेशनल स्पीकर अमिता शर्मा कहती हैं ‘ रोजाना के लिए एक लक्ष्य निर्धारित करना होगा कि आज हम कल (बीता हुआ) से बेहतर बनेंगे। कुछ नया करेंगे और सीखेंगे। हमें धैर्य रखना होगा क्योंकि सुधार एवं बदलाव अचानक नहीं होते।‘

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Thu, 24 Jun 2021 03:01 PM (IST) Updated:Thu, 24 Jun 2021 03:05 PM (IST)
उम्मीद से भरी नई सुबह, करें स्वयं से पॉजिटिव बातें
जब हम कुछ नया शुरू करते हैं, तो चुनौतियां साथ-साथ आती हैं।

नई दिल्‍ली, अंशु सिंह। हम बार-बार चुनौतियों एवं संघर्षों का उल्लेख करते हैं। उनके बारे में सोचते रहते हैं। जैसे पूरे विश्व जनमानस के लिए बीता वर्ष या वर्तमान समय कठिन रहा है। छोटे बच्चों से लेकर वयस्‍कों तक के बीच यह चर्चा का मुख्य विषय बन चुका है। लेकिन हमें बार-बार खुद को यह याद दिलाने की आवश्यकता नहीं कि क्या हुआ और क्या हो रहा है? इससे हम जो परिवर्तन चाहते हैं, अपने जीवन या माहौल में जो सुधार लाना चाहते हैं, वह नहीं ला पाते हैं। क्योंकि हमारी मन-बुद्धि हमेशा समस्याओं में उलझी रहती है।

तिब्बती धर्म गुरु दलाई लामा का मानना है कि इंसान के मन को जो समस्याएं परेशान करती हैं, उनमें से अधिकांश की उत्पत्ति का कारण वह स्वयं होता है। ऐसे में आवश्यक है कि हम मन की शांति को न खोने दें। अगर मन में निरंतर भय अथवा क्रोध का वास होगा, तो वह हमारी आंतरिक शांति को भंग कर देगा। हम बेचैन रहेंगे। न ठीक से नींद आएगी और न ही कुछ करने की इच्छा रहेगी। वहीं, अगर हम सुबह उठते ही परमशक्ति को शुक्रिया कहते हैं, स्वयं से सकारात्मक बातें करते हैं, अपने प्रति सहानुभूति एवं कल्याण की भावना रखते हैं, तो निराशा व दुख का भाव उत्पन्न ही नहीं होगा।

मोटिवेशनल स्पीकर अमिता शर्मा कहती हैं, ‘अगर हम जीवन में सुधार लाकर उसे खुशनुमा बनाना चाहते हैं, सुबह उठने पर स्वयं का नया स्वरूप देखना चाहते हैं, तो हमें उसके अनुरूप कार्य करना होगा। रोजाना के लिए एक लक्ष्य निर्धारित करना होगा कि आज हम कल (बीता हुआ) से बेहतर बनेंगे। कुछ नया करेंगे और सीखेंगे। हमें धैर्य रखना होगा, क्योंकि सुधार एवं बदलाव अचानक नहीं होते।‘ उद्यमी बालचंद्र के जीवन का एक ही मूल मंत्र है-जो करना है, तो बस करना है। उनका कहना है, ‘जब हम कुछ नया शुरू करते हैं, तो चुनौतियां साथ-साथ आती हैं। वह सिक्के के दूसरे पहलू की तरह होती हैं। चुनौती न हो, तो काम का मजा भी नहीं है। हां, प्रत्येक व्यक्ति के पास एक स्पष्ट विजन होना चाहिए। कभी भी अपने सपने का पीछा करना नहीं छोड़ना चाहिए। हमने दो कमरे में अपना आफिस शुरू किया था। पांच साल में हम देश के छह सौ से अधिक शहरों में अपनी सर्विस दे रहे हैं।‘

भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आजाद कहते थे कि दूसरों को बेहतर करते देख ईर्ष्या न करें, बल्कि स्वयं को बेहतर बनाएं। खुद के रिकार्ड्स तोड़ें, क्योंकि सफलता का संघर्ष आपके और सिर्फ आपके बीच होता है। रोजाना सुबह उठने पर जब हम एक सकारात्मक संकल्प लेते हैं-अमुक कार्य में मेरी सफलता निश्चित है। मैं उसे हासिल कर दिखाऊंगा/दिखाऊंगी, तो यकीन मानिए वह कार्य सफल होना ही है। जैसे एक छोटा-सा उदाहरण लेते हैं। मान लीजिए कि सुबह पांच बजे की फ्लाइट है और एयरपोर्ट जाने का रास्ता दो घंटे का है। हम रात में सोते वक्त ही दृढ़ता के साथ संकल्प ले लेते हैं कि सुबह समय से पहुंचेंगे। उसी अनुसार, अलार्म आदि लगाते या अन्य तैयारी करते हैं और समय से अपनी फ्लाइट भी लेते हैं।

किसी महान पुरुष ने कहा भी है, जीवन किसी कार्ड गेम की तरह है। सही कार्ड का चुनाव करना बेशक मनुष्यों के हाथ में नहीं है, लेकिन कार्ड से एक अच्छा गेम तो खेला ही जा सकता है और संभव है कि उसमें सफलता भी मिले। कोरोना काल की तमाम निराशाओं के मध्य भी हमने सकारात्मक एवं जीवनदायी, प्रेरक घटनाओं के बारे में सुना व पढ़ा। मसलन, आस्ट्रिया की एक घटना को ही लें। यूजीन नामक नर्स कोविड मरीज की देखभाल के दौरान संक्रमित हो गया। लेकिन उसने उम्मीद नहीं खोयी। परिवार में कोई संक्रमित न हो, इसलिए सुरक्षा के सभी उपाय अपनाते हुए क्वारंटाइन में रहा। घर छोटा होने के कारण बाहर ठंड में टेंट में रहने से लेकर बाथरूम तक में सोने से संकोच नहीं किया। आज वह पूर्णत:स्वस्थ होकर अपनी सर्विस पर लौट चुके हैं। कोविड ने उन्हें मानसिक रूप से पहले से कहीं अधिक मजबूत बना दिया है।

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