World Environment Day 2020: पर्यावरण के लिए ठोस कदम उठाने जरूरी

World Environment Day 2020 नीला आसमान पक्षियों की चहचहाहट और बहता पानी..यह सब अभी कुछ ही दिन पहले हम सबने देखा है।

By Edited By: Publish:Thu, 04 Jun 2020 09:01 PM (IST) Updated:Fri, 05 Jun 2020 12:39 PM (IST)
World Environment Day 2020: पर्यावरण के लिए ठोस कदम उठाने जरूरी
World Environment Day 2020: पर्यावरण के लिए ठोस कदम उठाने जरूरी

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। साफ हवा, नीला आसमान, पक्षियों की चहचहाहट और बहता पानी..यह सब अभी कुछ ही दिन पहले हम सबने देखा है। दूर दराज तक सब कुछ साफ दिखाई देने लगा था। देशभर से प्रदूषण मुक्त वातावरण के अद्भुत फोटो और वीडियो सामने आ रहे थे। पर्यावरण विशेषज्ञों की माने तो लॉकडाउन में सामने आई पर्यावरण की यह तस्वीर अनलॉक में भी देखने को मिल सकती है। शर्त सिर्फ इतनी है कि प्रदूषण के गंभीर परिणामों को देखते हुए ठोस उपाय किए जाएं। लॉकडाउन में वाहन और औद्योगिक इकाइयां दोनों ही बंद थे। लिहाजा प्रदूषण भी एकदम खत्म सा हो गया था। अगर अब भी निजी वाहनों का उपयोग नियंत्रित रहे, सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा दिया जाए और औद्योगिक इकाइयां नियमों के अनुसार ही चलाई जाएं तो आगे भी इस समस्या पर नियंत्रण पाया जा सकता है।

अनुमिता रॉय चौधरी, कार्यकारी निदेशक, सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वायरमेंट (सीएसई) का कहना है कि यह तय करना जरूरी है कि हमें लोगों को नहीं बल्कि सड़कों पर अनियंत्रित संख्या में उतरने वाले वाहनों को लॉक करना है। सार्वजनिक परिवहन प्रणाली मजबूत होगी, तभी निजी वाहन कम होंगे।

सुनीता नारायण, सदस्य, पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण व संरक्षण प्राधिकरण (ईपीसीए)  के मुताबिक, सभी ऊर्जा उत्पादन संयंत्रों को कोयले से हटाकर गैस पर लाना होगा। इसी तरह औद्योगिक इकाइयों को भी स्वच्छ ईंधन में शिफ्ट करना होगा। स्वच्छ ईंधन जैसे सीएनजी से जीएसटी हटाना भी जरूरी है। औद्योगिक कचरा कम होगा तो नदियों को भी नया जीवन मिल सकेगा।

डॉ. अनिल गुप्ता (सदस्य, सीपीसीबी) का कहना है कि जिस तरीके से लॉकडाउन में हवा ही नहीं, नदियां तक अपने आप स्वच्छ हो गईं, शहरों का पर्यावरण भी काफी हद तक स्वच्छ हुआ, यह सोचने पर मजबूर करता है कि किस तरह पृथ्वी के वायुमंडल को मानव जाति द्वारा विकास की आड़ में नष्ट किया जा रहा है। आने वाले समय में इस पर खास ध्यान दिया जाएगा कि वातावरण शुद्ध रहे तथा मानव जाति विकास की आड़ मे ऐसी गतिविधि न कर सके जो इसे दूषित करे। 

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