Narendra Kohli Died: कोरोना ने छीन लिया 'आधुनिक तुलसीदास', वरिष्ठ साहित्यकार नरेन्द्र कोहली का निधन

गोयनका के मुताबिक कोहली भारतीय चिंतन परंपरा के सबसे बड़े लेखक थे। उनकी रचनात्मकता भारतीय मन की रचनात्मकता है। भारतीय मन जिस तरह का अनुभव अपने देश समाज और परिवार के लिए करता है वह कोहली की रचनाओं में साफ दिखता है।

By Prateek KumarEdited By: Publish:Sat, 17 Apr 2021 10:47 PM (IST) Updated:Sat, 17 Apr 2021 10:48 PM (IST)
Narendra Kohli Died: कोरोना ने छीन लिया 'आधुनिक तुलसीदास', वरिष्ठ साहित्यकार नरेन्द्र कोहली का निधन
पाठकों में बेहद लोकप्रिय थे साहित्यकार नरेन्द्र कोहली

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता राम कथा पर लिखे साहित्य की वजह से आधुनिक तुलसीदास कहलाने वाले वरिष्ठ साहित्यकार नरेन्द्र कोहली का निधन एक बड़ी क्षति है। कोहली के दुनिया छोड़कर जाने से साहित्य जगत शोक संतप्त है। साहित्यकार कमल किशोर गोयनका ने कहा कि नरेन्द्र कोहली का जाना एक युग का अंत है। उन्होंने नौकरी छोड़ दी, लेकिन लेखन नहीं छोड़ा। राम के प्रति उनकी आस्था प्रबल थी। वह हमेशा कहते थे कि जैसा राम चाहेंगे वैसा ही होगा। किसी को अंदाजा भी नहीं था कि कोहली यूं चले जाएंगे।

भारतीय महापुरुषों को जनमानस में स्थापित करने का मिला श्रेय

गोयनका के मुताबिक कोहली भारतीय चिंतन परंपरा के सबसे बड़े लेखक थे। उनकी रचनात्मकता भारतीय मन की रचनात्मकता है। भारतीय मन जिस तरह का अनुभव अपने देश, समाज और परिवार के लिए करता है वह कोहली की रचनाओं में साफ दिखता है। प्रेमचंद के बाद नरेन्द्र कोहली ही ऐसे लेखक थे जिन्होंने भारतीय संस्कारों की कथा लिखी। भारतीय महापुरुषों को नायक बनाया। उनके नायकत्व को भारतीय जनमानस में स्थापित किया।

नरेन्द्र कोहली एक युगप्रर्वतक साहित्यकार थे

साहित्यकार प्रेम जनमेजय ने कहा कि नरेन्द्र कोहली एक युगप्रर्वतक साहित्यकार थे। उन्हें युगप्रर्वतक साहित्यकार आलोचकों ने नहीं, अपितु पाठकों ने बनाया। उनके पाठक वर्ग में राजनेता से लेकर सामान्य जन तक शामिल हैं। वे एक धरोहर छोड़ गए हैं जो आने वाली पीढ़ियों का मार्ग दर्शन करेगी। प्रेम जनमेजय कहते हैं, कोहली मेरे लिए ऐसे सतगुरु थे जो न तो स्वयं अंधत्व धारण करते हैं और न ही शिष्य को अंधत्व धारण करने की राह पर धकेलते हैं।

लेखन उनके जीवन की प्राथमिकता थी। इसके लिए वे किसी भी प्रकार का मोह त्याग सकते थे। इस प्राथमिकता के चलते ही उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय की नौकरी से त्यागपत्र दे दिया था। प्रेम जनमेजय ने कहा कि 10 अप्रैल की शाम छह बजे के लगभग उनसे अंतिम संवाद हुआ था। बातचीत के दौरान कोहली ने कोरोना रिपोर्ट पाजिटिव आने की बात बताई थी। दिल्ली विश्वविद्यालय हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो श्यौराज सिंह ने कहा कि नरेन्द्र कोहली ने पौराणिक कथाओं को जनसामान्य में लोकप्रिय बनाया।

कोहली ने साहित्य की सभी प्रमुख विधाओं में अपनी लेखनी चलाई। चर्चित रचनाओं में दीक्षा, अवसर, संघर्ष और युद्ध नामक रामकथा श्रृंखला, आश्रितों का विद्रोह, साथ सहा गया दुख, मेरा अपना संसार, जंगल की कहानी, अभिज्ञान, आत्मदान, प्रीतिकथा, बंधन, अधिकार, कर्म, धर्म, निर्माण आदि हैं। कथा संग्रह परिणति, कहानी का अभाव, नमक का कैदी भी काफी लोकप्रिय हुआ। कोहली को शलाका सम्मान, साहित्य भूषण, उत्तरप्रदेश हिंदी संस्थान पुरस्कार, साहित्य सम्मान तथा पद्मश्री सहित दर्जनों पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था।

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