मौत से पहले की आखिरी कॉल में कहा भैया मेरे घर का ख्‍याल रखिएगा... अब सांस नहीं ले पा रहा

यह उसकी जिंदगी की आखिरी कॉल थी जो उसके दोस्त के मोबाइल में रिकॉर्ड हो गई। करीब साढ़े पांच मिनट के इस ऑडियो में अधिकांश मुशर्रफ की टूटती सांसों की आवाजें हैं।

By Prateek KumarEdited By: Publish:Sun, 08 Dec 2019 08:21 PM (IST) Updated:Mon, 09 Dec 2019 07:35 AM (IST)
मौत से पहले की आखिरी कॉल में कहा भैया मेरे घर का ख्‍याल रखिएगा... अब सांस नहीं ले पा रहा
मौत से पहले की आखिरी कॉल में कहा भैया मेरे घर का ख्‍याल रखिएगा... अब सांस नहीं ले पा रहा

नई दिल्‍ली, बिजनौर, जागरण संवाददाता। चारो तरफ आग की भयानक लपटें और धुआं, दम घुट रहा था, मौत सामने थी, बचने की कोई गुंजाइश नहीं थी। ऐसे में मुशर्रफ को चिंता थी तो बस यह कि वह सिर पर पांच हजार का कर्ज लेकर दुनिया से रुखसत होगा। आखिर में आग में बुरी तरह झुलसे मुशर्रफ ने अपने दोस्त को फोन किया था। यह उसकी जिंदगी की आखिरी कॉल थी, जो उसके दोस्त के मोबाइल में रिकॉर्ड हो गई। करीब साढ़े पांच मिनट के इस ऑडियो में अधिकांश मुशर्रफ की टूटती सांसों की आवाजें हैं। इस ऑडियो में साफ है कि दर्द से कराह रहा मुशर्रफ अपनी मौत को सामने देख रहा है। इसीलिए वह दोस्त से अपने सिर से कर्ज का बोझ उतारने को कहता है।

10 साल से कर रहा था बैग बनाने का काम

नगीना देहात थाना क्षेत्र के गांव टांडा माईदास निवासी 30 वर्षीय मुशर्रफ पुत्र वाहिद दिल्ली के अनाज मंडी इलाके की उसी फैक्ट्री में काम करता था, जहां रविवार सुबह भीषण अग्निकांड हुआ। वह वहां 10 साल से बैग बनाने का काम कर रहा था। फैक्ट्री में आग से घिरे मुशर्रफ ने ग्राम प्रधान पति फुरकान और अपने दोस्त शोभित अग्रवाल को फोन किया था।

उखड़ती सांसों के बीच पांच मिनट हुई बात

शोभित से मुशर्रफ की पांच मिनट 36 सेकंड बात हुई। उसने शोभित से कहा कि वह चारों ओर से आग में घिर गया है। उसकी सांस अटक रही है। आग से निकला नहीं जा सकता है। अभी तक दमकल की गाड़ी भी नहीं पहुंची है। उसने दिल्ली के रहने वाले मोनू के खुद पर पांच हजार रुपये उधार बताए। मुशर्रफ ने शोभित से कहा कि मोनू के पैसे लौटा देना। शोभित उसे दिलासा दे रहा है कि वह बच जाएगा। ऐसी बातें न करे। ऑडियो में मुशर्रफ की सांसों की डोर टूटने की आवाजें हैं। धुएं से उसका दम घुट रहा है। इधर से दोस्त बार-बार उसका नाम लेता है लेकिन वह चाहकर भी कुछ बोल नहीं पाता। आखिर में रोते-रोते उसकी सांसें थम जाती हैं।

घर में अकेला कमाने वाला था

मुशर्रफ परिवार में अकेला कमाने वाला था। वह बूढ़े मां-बाप, पत्नी व चार बच्चों का सहारा था। उसका निकाह 2010 में बढ़ापुर थाने के ग्राम गोपीवाला की इमराना से हुआ था। आठ वर्षीय बेटे मोहम्मद कैफ, छह वर्षीय बेटी अर्निश, चार वर्षीय अरीबा और दो वर्षीय इकरा को नहीं मालूम कि उनके सिर से पिता का साया उठ गया है। पत्नी और मां चारों बच्चों से लिपटकर बिलख रही हैं। परिजन प्रधान पति फुरकान और सलीम के साथ दिल्ली के अस्पताल पहुंच गए। पोस्टमार्टम के बाद ही सोमवार तक शव आने की उम्मीद है।

दिल्ली अग्निकांड में मरने वाले तीन मुरादाबाद के

दिल्ली की बैग फैक्ट्री के अग्निकांड में मरने वालों में तीन युवक मुरादाबाद के छजलैट अंतर्गत गांव कूरी रवाना के रहने वाले थे। गांव में तीन लोगों की मौत हो गई और एक लापता है। उनके परिवार के लोग दिल्ली में हैं। छजलैट थाना क्षेत्र के गांव कुरी रवाना के रहने वाले जमील के दो बड़े बेटे 35 वर्षीय इमरान, 32 वर्षीय इकराम फैक्ट्री में पिछले पांच वर्षो से काम करते थे। जमील ने बताया कि सुबह साढ़े पांच बजे इमरान का फोन आया कि फैक्ट्री में आग लग गई है।

अंदर धुआं ही धुआं

अंदर धुआं ही धुआं है। परिवार के लोग घबरा गए और दिल्ली के लिए रवाना हो गए। आठ बजे दोनों के मोबाइल नंबर मिलने बंद हो गए। दिल्ली जाकर पता चला कि उनकी दम घुटने से मौत हो चुकी है। इनके अलावा 30 वर्षीय समीर पुत्र शमीम की भी मौत हुई है। फुफेरे भाई इरफान ने इसकी पुष्टि की है। इनके अलावा शहजाद भी फैक्ट्री में काम करता था। उसके बारे में परिवार के लोगों को पता नहीं चल पा रहा है। इरफान ने बताया कि जितने भी मजदूर अंदर थे। सबकी मौत हो गई। अधिकांश मजदूर काम करने के मजदूरी करके रात में वहीं सो जाते थे।

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