मुंबई हमले की 13वीं बरसी पर बोले कादयान, पुलवामा की तरह मुंबई हमले का भी बदला लेना चाहिए था
एनएसजी के संस्थापक चीफ इंस्पेक्टर रहे लेफ्टिनेंट जनरल (रिटा.) राज कादयान ने मुंबई आतंकी हमले की 13वीं बरसी की पूर्व संध्या पर दैनिक जागरण से बातचीत में कहा कि बदला लेने से आम लोगों का ही नहीं सेना का भी मनोबल बढ़ता है। हर मामले में संयम उचित नहीं।
नई दिल्ली /गुरुग्राम (आदित्य राज)। आतंकियों ने 26 नवंबर, 2008 को मुंबई पर नहीं बल्कि देश की आबरू पर हमला किया था। काफी संख्या में लोग मारे गए थे। 10 में से एक आतंकी जिंदा पकड़ा गया था। उसने हमले की साजिश किस तरह से रची गई थी, किसने रची थी, पूरी जानकारी दे दी थी। पुलवामा आतंकी हमले से बहुत बड़ा हमला था मुंबई आतंकी हमला। पुलवामा हमले का बदला जिस तरीके से लिया गया, ठीक उसी तरीके से उस समय भी बदला लेना चाहिए था। बदला लेने से आम लोगों का ही नहीं सेना का भी मनोबल बढ़ता है। हर मामले में संयम उचित नहीं। इसे कमजोरी मान ली जाती है। ये विचार राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) के संस्थापक चीफ इंस्पेक्टर रहे लेफ्टिनेंट जनरल (रिटा.) राज कादयान ने मुंबई आतंकी हमले की 13वीं बरसी की पूर्व संध्या पर दैनिक जागरण से बातचीत में व्यक्त किए।
मुंबई आतंकी हमला देश को डराने का प्रयास था
उन्होंने कहा कि मुंबई आतंकी हमले के माध्यम से देश को डराने का प्रयास किया गया था। इसमें पाकिस्तान का सीधा हाथ था। कई बार मौके ऐसे आते हैं, जब बदला लेने पर कोई आलोचना नहीं करता। पूरी दुनिया आपका साथ देती है। मुंबई आतंकी हमला उन्हीं मौकों में से एक था। ऐसे में पुलवामा आतंकी हमले का जवाब जिस तरीके से सीमा पार करके बालाकोट में एयर स्ट्राक के माध्यम से दिया गया, उसी तरीके से मुंबई हमले का जवाब दिया जाना चाहिए था। बालाकोट स्ट्राइक के बाद से देश का मनोबल सातवें आसमान पर पहुंचा है। आतंकियों की जड़ें तक हिल गई हैं। पाकिस्तान का मनोबल टूटा है। दुनिया को यह संदेश गया कि भारत केवल संयम की भाषा नहीं बोलता, आवश्यकता पड़ने पर मुंहतोड़ जवाब भी देना जानता है।
एनएसजी का मुकाबला नहीं
लेफ्टिनेंट जनरल (रिटा.) राज कादयान कहते हैं कि एनएसजी का पूरी दुनिया में मुकाबला नहीं। जितने भी आपरेशन एनएसजी के द्वारा चलाए गए, सभी पूरी तरह सफल हुए। कम से कम समय में आपरेशन को पूरा करना इसकी खासियत है। अत्याधुनिक हथियारों से लैस इस बल के पास किसी भी स्थिति का मुंहतोड़ जवाब देने की क्षमता है। मुंबई आतंकी हमले के दौरान जिस तरीके से आपरेशन चलाया गया। उससे प्रमाणित हो गया कि इसका मुकाबला नहीं। बता दें कि लेफ्टिनेंट जनरल (रिटा.) राज कादयान कारगिल युद्ध के दौरान स्ट्राइक कोर कमांडर की भूमिका में थे। इससे पहले 1965 एवं 1971 की लड़ाई में भी भूमिका निभाई थी। काफी समय तक एनएसजी में ट्रेनिंग के इंचार्ज रहे।
गुरुग्राम के लाल ने बढ़ाया था देश का मान
मुंबई आतंकी हमले के दौरान आपरेशन का नेतृत्व मेजर संदीप उन्नीकृष्णन के शहीद होने के बाद गुरुग्राम के लाल कैप्टन (अब कर्नल हैं) अनिल जाखड़ ने संभाला था। आपरेशन चलाने के लिए एनएसजी की टीम मानेसर स्थित ट्रेनिंग सेंटर से रवाना हुई थी। अनिल जाखड़ के पिता मेजर (रिटा.) ईश्वर सिंह जाखड़ कहते हैं कि हमले के 13 साल हो गए लेकिन आज भी पूरा मंजर आंखों के सामने है। बेटे ने देश का मान बढ़ाया था। आतंकियों के मामले की सुनवाई जल्द से जल्द पूरी करनी चाहिए। फांसी से कम सजा नहीं होनी चाहिए। जितनी जल्द कार्रवाई होगी उतना ही अधिक उनके भीतर खौफ पैदा होगा।