ब्लैक फंगस के विशेष अस्पतालों में नहीं हैं एमआरआइ जांच की सुविधा
जीटीबी अस्पताल में 108 और राजीव गांधी सुपरस्पेशियलिटी अस्पताल में दो मरीज भर्ती हैं। लेकिन इन दोनों अस्पतालों में एमआरआइ जांच की सुविधा नहीं है। इसकी वजह से तीसरे चरण में पहुंच चुके मरीजों को बाहर से यह जांच करानी पड़ रही है।
नई दिल्ली [स्वदेश कुमार]। ब्लैक फंगस के इलाज के लिए दिल्ली सरकार ने तीन सरकारी अस्पतालों को अधिकृत किया है। इनमें दो जीटीबी और राजीव गांधी सुपरस्पेशियलिटी अस्पताल हैं। यहां ब्लैक फंगस का इलाज भी शुरू हो गया है। जीटीबी अस्पताल में 108 और राजीव गांधी सुपरस्पेशियलिटी अस्पताल में दो मरीज भर्ती हैं। लेकिन, इन दोनों अस्पतालों में एमआरआइ जांच की सुविधा नहीं है। इसकी वजह से तीसरे चरण में पहुंच चुके मरीजों को बाहर से यह जांच करानी पड़ रही है। हालांकि, अस्पताल प्रशासन का कहना है कि जिन मरीजों की एमआरआइ जांच कराई जा रही है, उनका भुगतान अस्पताल ही वहन करेगा।
एमआरआइ की सुविधा महत्वपूर्ण
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक इस महामारी से जंग में एमआरआइ की सुविधा महत्वपूर्ण है। इस जांच से ही पता चल पाता है कि आंख की नसें कितनी प्रभावित हुई हैं। हालांकि, इस जांच की जरूरत तीसरे चरण में पहुंच चुके मरीजों को ही होती है। दिल्ली मेडिकल काउंसिल (डीमएसी) के सदस्य डा. हरीश गुप्ता का कहना है कि ब्लैक फंगस तीन अंगों नाक, चेहरा और आंखों पर असर करती है।
निजी लैब में टेस्ट कराने पर लगते हैं पांच हजार रुपये
शुरू में अगर बीमारी पकड़ में आ जाए तो एमआरआइ की जरूरत नहीं होगी। लेकिन अस्पतालों में इसकी सुविधा होनी चाहिए। हैरत की बात है कि 1500 बेड के अस्पताल में एमआरआइ की मशीन अब तक नहीं है। बता दें कि निजी लैब में एमआरआइ कराने पर कम से कम पांच हजार रुपये लगते हैं।
खर्च अस्पताल प्रशासन वहन करेगा
जाहिर है कि आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों के लिए यह बड़ी रकम है। राजीव गांधी सुपरस्पेशियलिटी और जीटीबी अस्पताल के निदेशक डा. बीएल शेरवाल ने बताया कि जरूरत के मुताबिक मरीजों की जांच निजी लैब करवाई जा रही है। लेकिन इसका खर्च अस्पताल प्रशासन वहन करेगा। हम कोशिश कर रहे हैं कि ये सुविधा अस्पताल में भी शुरू हो जाए।