अपने भाई को दिल्ली जिला क्रिकेट एसोसिएशन का सचिव बनवाने में जुटे भाजपा सांसद प्रवेश वर्मा

दिल्ली जिला क्रिकेट एसोसिएशन (डीडीसीए) के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के सांसद प्रवेश साहिब वर्मा अपने भाई सिद्धार्थ साहिब वर्मा के पक्ष में माहौल बनाने में जुटे हैं। वे सचिव पद के लिए दांव आजमा रहे हैं।

By Jp YadavEdited By: Publish:Mon, 25 Oct 2021 12:42 PM (IST) Updated:Mon, 25 Oct 2021 12:42 PM (IST)
अपने भाई को दिल्ली जिला क्रिकेट एसोसिएशन का सचिव बनवाने में जुटे भाजपा सांसद प्रवेश वर्मा
आखिर कौन भाजपा सांसद अपने भाई के लिए रहा है ‘क्रिकेट’

नई दिल्ली [नेमिष हेमंत]। दिल्ली जिला क्रिकेट एसोसिएशन (डीडीसीए) के चुनाव में सांसद प्रवेश साहिब वर्मा अपने भाई सिद्धार्थ साहिब वर्मा के पक्ष में माहौल बनाने में जुटे हैं। वे सचिव पद के लिए दांव आजमा रहे हैं, वहीं दिल्ली भाजपा पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व. अरुण जेटली के बेटे रोहन जेटली को अध्यक्ष बनवाने में जोरशोर से लगी है। इसको लेकर कुछ दिन पहले भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने पार्षदों और विधायकों की बैठक भी ली थी तथा उनसे रोहन जेटली के पक्ष में माहौल बनाने के लिए कहा है। मामला दिलचस्प हो गया है, क्योंकि सिद्धार्थ विपक्षी पैनल से खड़े हैं। मतलब, एक पैनल के साथ पार्टी तो दूसरे के साथ सांसद। वैसे, इससे राजनीतिक नफा-नुकसान की आशंका कम है, क्योंकि पार्टी ने स्पष्ट किया है कि वे प्रत्यक्ष रूप से खेलबाडी के चुनाव में नहीं हैं। फिर भी देखना यह विशेष होगा कि आखिरकार कौन किस पर भारी पड़ता है।

हाथों में खिली चुनावी मेहंदी

तीज-त्योहार कोई भी हो, उसमें सियासी तड़का जरूर लगता है। उसमें भी अगर चुनाव नजदीक है तो त्योहार सियासी रंग में सराबोर से दिखते हैं। जैसे करवा चौथ। दिल्ली में अगले वर्ष नगर निगम चुनाव हैं तो सुहागिनों के हाथों में सियासी मेहंदी खूब लगी। पार्षद हो या भावी प्रत्याशी, अधिकतर ने निश्शुल्क मेहंदी कैंप का आयोजन कर मतदाता महिलाओं के साथ उनके पति को साधने का बखूबी प्रयास किया। वैसे भी दिल्ली में कोरोना संक्रमण के मामले कम हैं और टीकाकरण भी दो करोड़ को पार कर गया है तो करवा चौथ को लेकर महिलाओं का उत्साह देखते ही बन रहा था। ऐसे में मेहंदी कलाकारों की मांग काफी अधिक तो उनका शुल्क भी काफी अधिक। ऐसे में कई सुहागिनों ने गलियों में लगे इन सियासी कैंपों का रुख किया, जहां चाय-नाश्ते का भी भरपूर प्रबंध था। अच्छी बात यह कि बाद में रंग भी काफी गाढ़ा उतरा।

टीकों ने बढ़ाया उत्साह

देशभर में 100 करोड़ तथा दिल्ली की ओर से दो करोड़ टीके के लक्ष्य पाने के बाद लोगों में उत्साह व हिम्मत का संचार हुआ है। इसका असर बाजार में देखने को मिल रहा है। बाजार से लेकर होटल, रेस्तरां, धार्मिक स्थल और मल्टीप्लेक्स तक में रौनक लौटने लगी है। बिक्री बढ़ी है। कारोबार से जुड़े लोग उम्मीद जता रहे हैं कि अगर आगे भी सब कुछ ठीक रहा तो जल्द ही हम कोरोना से पूर्व की स्थिति में आ जाएंगे। नवरात्र के बाद करवा चौथ पर बाजार गुलजार रहे। आगे धनतेरस, दीपावली और शादियों की लग्न है। दिल्ली में कोरोना के मामले काफी कम हैं। हालांकि, स्वास्थ्य विशेषज्ञ अब भी कोरोना दिशानिर्देशों के पालन पर जोर दे रहे हैं, जिसके प्रति लोगों में लापरवाही ज्यादा दिख रही है। लोगों ने मास्क और सैनिटाइजर के साथ शारीरिक दूरी का उपयोग कम कर दिया है। यह स्थिति ठीक नहीं है। सचेत रहने की जरूरत है।

भाजपा का अतिउत्साह

अति उत्साह भी कभी-कभी भारी पड़ जाता है। यह उत्तरी दिल्ली नगर निगम में सत्तारूढ़ भाजपा से बेहतर कौन जानता है। दो माह पहले नगर निगम की ओर से घोषणा की गई कि 50 वर्ग मीटर की संपत्तियों का संपत्तिकर माफ किया जाएगा। आसन्न चुनाव के पहले इस निर्णय को गेम चेंजर बताया गया। इसका जोर-शोर से प्रचार-प्रसार हुआ। जगह-जगह होर्डिग लगाए गए। जनता के बीच इसको लेकर खूब दावे भी किए गए, लेकिन हुआ क्या। अब तक इस फैसले का सकरुलर तक जारी नहीं हुआ है। लिहाजा, विपक्षी दलों को मौका मिल गया। इधर, इसी मुद्दे को लेकर नगर निगम की बैठकों में जोरदार हंगामा हो रहा है। सत्तारूढ़ दल के नेताओं को अब उस घोषणा का बचाव करना पड़ रहा है। फाइलों में इसका मसौदा ही तैयार नहीं हुआ है। तो आगे फजीहत जारी रहनी है। ऐसे में बिना तैयारी के घोषणा कर नेता पछता रहे हैं।

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