दिल्‍ली पुलिस के हत्‍थे चढ़ा ड्रग्स तस्करी का मोस्ट वांटेड, 9 साल से फरार था आरोपित

कुख्यात ड्रग्स तस्कर तैमूर उर्फ भोला आखिरकार पुलिस के हत्थे चढ़ गया। पुलिस टीम ने भोला को पूर्वी दिल्ली के सीलमपुर से गिरफ्तार किया है। यह मूलरूप से बरेली जिले के फरीदपुर बेहरा का रहने वाला है। ड्रग्स तस्करी के तीन मामलों में यह मोस्ट वांटेड रहा है।

By Ppradeep ChauhanEdited By: Publish:Mon, 20 Sep 2021 11:13 AM (IST) Updated:Mon, 20 Sep 2021 11:13 AM (IST)
दिल्‍ली पुलिस के हत्‍थे चढ़ा ड्रग्स तस्करी का मोस्ट वांटेड,  9 साल से फरार था आरोपित
भोला पर दिल्ली व यूपी में करीब एक दर्जन से अधिक ड्रग्स तस्करी के मामले दर्ज हैं।

नई दिल्‍ली, जागरण संवाददाता। 9 साल से फरार चल रहा कुख्यात ड्रग्स तस्कर तैमूर उर्फ भोला आखिरकार पुलिस के हत्थे चढ़ गया। पुलिस टीम ने भोला को पूर्वी दिल्ली के सीलमपुर से गिरफ्तार किया है। यह मूलरूप से बरेली जिले के फरीदपुर बेहरा का रहने वाला है। ड्रग्स तस्करी के तीन मामलों में यह मोस्ट वांटेड रहा है। इसकी गिरफ्तारी पर दिल्ली पुलिस की तरफ से एक लाख व उत्तर प्रदेश पुलिस की तरफ से 50 हजार रुपये का इनाम घोषित किया गया था। भोला पर दिल्ली व यूपी में करीब एक दर्जन से अधिक ड्रग्स तस्करी के मामले दर्ज हैं।

दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच की नारकोटिक्स सेल के उपायुक्त चिन्मय बिश्वाल ने बताया कि इस वर्ष ड्रग्स तस्करी के मामले में 17 से अधिक मामले बरेली, बदायूं, पीलीभीत, बुलंदशहर व गाजियाबाद के सामने आए। इनमें से आठ मामले बरेली से जुड़े थे। ऐसे में आइजी बरेली व एसएसपी बरेली से समन्वय स्थापित कर सबसे पहले शहीद खान उर्फ छोटे प्रधान को जेल से रिमांड पर लिया गया। उससे तैमूर के ठिकानों के बारे में जानकारी मिली। इसके बाद सीलमपुर के एसीपी मयंक बंसल के नेतृत्व में इंस्पेक्टर राम मनोहर व एसआइ रवि सैनी, हवलदार अशोक नागर संजय, तालिम, परमिंदर व सिपाही तरुण की टीम ने तैमूर को गिरफ्तार कर लिया।

2012 से दिल्ली पुलिस कर रही थी तलाश

पुलिस अधिकारी ने बताया कि वर्ष 2007 में भोला तस्करों के संपर्क में आया। भोला की तलाश वर्ष 2012 से थी। पहले वह स्थानीय तस्करों के लिए काम करता था। वह बरेली से ड्रग्स लाकर दिल्ली में सप्लाई करता था। बाद में उसने अपना नेटवर्क बना लिया। उसने शहीद खान व अन्य तस्करों से कच्चे माल से हेरोइन बनाना सीखा था। वह असम, मणिपुर से कच्चा माल लाकर हेरोइन बनाता था और दिल्ली-एनसीआर, हरियाणा, पंजाब आदि राज्यों में तस्करी कर रहा था। दिल्ली में इसके खिलाफ वर्ष 2012 में पहला मामला दर्ज किया गया था। उसके बाद चार अन्य मामले दर्ज किए गए। पुलिस अधिकारी ने बताया कि उसके ठिकाने पर नौ वर्षो में कई बार छापेमारी की गई, लेकिन वह फरार हो जाता था।

तस्करी से कमाए करोड़ोंं रुपये  

भोला बड़ी कंपनियों में नौकरी करना चाहता था। लेकिन आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने से वह एमबीए की पढ़ाई पूरी नहीं कर पाया। जल्दी पैसा कमाने के लिए वह ड्रग्स तस्करी करने लगा। दिल्ली-एनसीआर में इसने काफी कम समय में कई अलग-अलग नेटवर्क बनाए जिनके जरिये करोड़ों रुपये कमाए। अभी तक जांच में पता चला है कि इसके पास सौ बीघा से अधिक की जमीन के अलावा कई अन्य संपत्तियां हैं। पुलिस आरोपित की तमाम संपत्तियों की जांच पड़ताल कर रही है।

गांव वालों में बनाई अच्छी छवि

दिल्ली व यूपी पुलिस से बचने के लिए भोला ने अपने गांव के आसपास के एक दर्जन से अधिक गांवों मेंं अच्छी छवि बनाने के लिए करोड़ों रुपये सामाजिक कार्यो में खर्च किए थे। बच्चों से लेकर बुजुर्गो में उसकी अच्छी छवि थी। उसने अपने समर्थकों को बताया हुआ था कि यदि गांव के आसपास दिल्ली नंबर की कोई गाड़ी या पुलिस आए तो उसे सूचना जरूर दें। ऐसे में जब भी पुलिस टीम छापेमारी करने पहुंचती तो वह फरार हो जाता था।

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