Good News: आधुनिक सुविधाओं से लैस घरों में रहती है दिल्ली की आधी से अधिक आबादी
सर्वे में पाया गया है कि 58.3 फीसद राजधानीवासी आधुनिक सुविधायुक्त मकान में रहते हैं जबकि 7.8 फीसद लोग पुराने साधारण मकान में रहते हैं। राजधानी के 54 फीसद लोगों के पास निजी मकान हैंवहीं 38.3 फीसद लोग फ्लैट में निवास करते हैं।
नई दिल्ली [वीके शुक्ला]। दिल्ली की आधी से अधिक आबादी आधुनिक सुविधायुक्त मकानों में निवास करते हैं, वहीं 99.7 फीसद लोग पक्के मकान में और 0.3 फीसद अर्ध पक्के मकान में रहते हैं। अगर देश की बात करें तो यह आंकड़ा दिल्ली से कम है।देश में करीब 83 फीसद लोग ही पक्का मकान में रहत हैं। दिल्ली सरकार के योजना विभाग ने राजधानीवासियों के मकान, पेय जल सुविधा पर सर्वे कराया है जिसके आंकड़े दिल्लीवासियों की सामाजिक - आर्थिक स्थिति पर प्रकाश डालते हैं।
सर्वे में पाया गया है कि 58.3 फीसद राजधानीवासी आधुनिक सुविधायुक्त मकान में रहते हैं जबकि 7.8 फीसद लोग पुराने साधारण मकान में रहते हैं। राजधानी के 54 फीसद लोगों के पास निजी मकान हैं, वहीं 38.3 फीसद लोग फ्लैट में निवास करते हैं। आंकड़ों के अनुसार करीब 91 फीसद लोग मकान का सिर्फ आवासीय उपयोग करते हैं जबकि 7.3 फीसद लोग आवासीय के साथ कामर्शियल उपयोग भी करते हैं। ज्यादातर दिल्लीवासी 51.7 वर्गमीटर के मकान में रहते हैं, 67 फीसद घरों में किचन व पानी का टैप लगा हुआ है। लेकिन 24 फीसद मकानों में किचन अलग से नहीं बना हुआ है। करीब 56 फीसद मकानों में अंडरग्राउंड ड्रेनेज व्यवस्था है।
दिल्ली में 84.6 फीसद लोगों के घरों में अलग से स्नानघर हैं। कामन यूज के स्नानघर की इमारतों की संख्या 13 फीसद है। बगैर भुगतान के 0.6 लोग सार्वजनिक स्नानघर का उपयोग करते हैं।रेंट के मकान में रहने वाले लोगों का सामान्य किराया 5317 रूपये है।
इसके अलावा, राजधानी दिल्ली के 84 फीसद लोग कचरे का निष्पादन कालोनी के सार्वजनिक कचरा फेंकने के स्थान पर करते हैं। अस्थाई रूप से रहने वालों (जिनके पास स्थाई निवास नहीं है) को शामिल नहीं किया गया है।
वहीं, स्थाई रूप से शेल्टर होम में रहने वाले या पुल के नीचे एक ही स्थान पर लगातार रहने वालों को शामिल किया गया है।हास्टल में रहने वाले छात्रों व ओल्ड एज होम में रहने वालों को भी सर्वे में शामिल किया गया है।