बाढ़, सूखा और चक्रवात जैसी जलवायु संबंधी चरम घटनाओं में शामिल हैं बिहार समेत कई राज्य

इंडिया क्लाइमेट कोलेबोरेटिव एंड एडलगिव फाउंडेशन की ओर से समर्थित इस अध्ययन में आगे कहा गया है कि भारत के 640 जिलों में से बिहार के कई जिलों समेत 463 जिले अत्यधिक बाढ़ सूखे और चक्रवात के जोखिम के दायरे में हैं।

By Jp YadavEdited By: Publish:Mon, 22 Nov 2021 10:21 AM (IST) Updated:Mon, 22 Nov 2021 10:21 AM (IST)
बाढ़, सूखा और चक्रवात जैसी जलवायु संबंधी चरम घटनाओं में शामिल हैं बिहार समेत कई राज्य
बाढ़, सूखा और चक्रवात जैसी जलवायु संबंधी चरम घटनाओं में शामिल हैं बिहार समेत कई राज्य

नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। भारत में असम, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक और बिहार बाढ़, सूखा और चक्रवात जैसी जलवायु संबंधी चरम घटनाओं के लिए सबसे ज्यादा जोखिम वाले राज्य हैं। यह जानकारी अपनी तरह के पहले क्लाइमेट वल्नेरेबिलिटी इंडेक्स (जलवायु सुभेद्यता सूचकांक) से सामने आई है। यह इंडेक्स काउंसिल आन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वाटर (सीईईडब्ल्यू) ने जारी किया है। कुल मिलाकर देश के 27 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश जलवायु संबंधी चरम घटनाओं के जोखिम की चपेट में हैं। यही नहीं, 80 फीसद से अधिक भारतीय जलवायु संबंधी चरम घटनाओं के जोखिम वाले जिलों में रहते हैं।

इंडिया क्लाइमेट कोलेबोरेटिव एंड एडलगिव फाउंडेशन की ओर से समर्थित इस अध्ययन में आगे कहा गया है कि भारत के 640 जिलों में से 463 जिले अत्यधिक बाढ़, सूखे और चक्रवात के जोखिम के दायरे में हैं। इनमें 45 फीसद से अधिक जिले अस्थिर परि²श्य और बुनियादी ढांचे में बदलावों का सामना कर चुके हैं। 183 हाटस्पाट (सबसे ज्यादा घटनाओं वाले) जिले जलवायु संबंधी एक से अधिक चरम घटनाओं के लिए अत्यधिक जोखिम की चपेट में हैं। अध्ययन में यह भी पाया गया है कि 60 फीसद से अधिक भारतीय जिलों में मध्यम से निम्न स्तर तक की अनुकूलन क्षमता मौजूद है।

सीईईडब्ल्यू के प्रोग्राम लीड और अध्ययन के मुख्य लेखक अबिनाश मोहंती का कहना है कि भारत में 2005 के बाद से जलवायु संबंधी चरम घटनाओं की दर और तीव्रता लगभग 200 फीसद बढ़ गई है। नीति-निर्माताओं, उद्योगों के नेतृत्वकर्ताओं और नागरिकों को जोखिम को ध्यान में रखकर प्रभावी निर्णय लेने के लिए जिलास्तरीय विश्लेषण का उपयोग करना चाहिए। भौतिक और पारिस्थितिक तंत्र के बुनियादी ढांचे को जलवायु परिवर्तन के जोखिम से सुरक्षित बनाना, अब एक राष्ट्रीय आवश्यकता बन जाना चाहिए। इसके अलावा, भारत को पर्यावरणीय जोखिम को घटाने के अभियान में तालमेल लाने के लिए एक नया क्लाइमेट रिस्क कमीशन गठित करना चाहिए।

सीईईडब्ल्यू का अध्ययन बताता है कि भारत के पूर्वोत्तर के राज्यों के लिए बाढ़ का जबकि मध्य और दक्षिण भारत के राज्यों के लिए भीषण सूखे का जोखिम सबसे ज्यादा है। पूर्वी और दक्षिणी राज्यों में कुल जिलों में क्रमश: 59 और 41 फीसद जिले भीषण चक्रवातों के जोखिम की चपेट में हैं। अध्ययन के अनुसार, केवल 63 फीसद जिलों के पास ही जिला आपदा प्रबंधन योजना (डीडीएमपी) उपलब्ध है। चूंकि, इन योजनाओं को प्रति वर्ष अद्यतन बनाने (अपडेट करने) की जरूरत होती है, इस लिहाज से 2019 तक इनमें से सिर्फ 32 फीसद जिलों ने ही अपनी योजनाएं अपडेट की थी। महाराष्ट्र, तमिलनाडु, ओडिशा, कर्नाटक, और गुजरात जैसे ज्यादा जोखिम वाले राज्यों ने हाल के वर्षों में अपने डीडीएमपी और जलवायु परिवर्तन-रोधी मुख्य बुनियादी ढांचों में सुधार किया है

जलवायु संबंधी चरम घटनाओं के जोखिम से सर्वाधिक प्रभावित 20 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश  असम 0.616  (रैंक) आंध्र प्रदेश 0.483 (रैंक) महाराष्ट्र 0.478 (रैंक) कर्नाटक 0.465 (रैंक) बिहार 0.448 (रैंक) मणिपुर 0.424 राजस्थान 0.421 (रैंक) अरुणाचल प्रदेश 0.408 (रैंक) सिक्किम 0.370 (रैंक) ओडिशा 0.368 (रैंक) नागालैंड 0.365 (रैंक) तमिलनाडु 0.339 (रैंक) हिमाचल प्रदेश 0.329 (रैंक) जम्मू कश्मीर 0.328 (रैंक) राष्ट्रीय राजधानी 0.290 (रैंक) गुजरात 0.280 (रैंक) उत्तर प्रदेश 0.269 (रैंक) बंगाल 0.257 (रैंक) त्रिपुरा 0.250 (रैंक) केरल 0.226 (रैंक)

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