विपक्ष की आवाज को दबाना चाहती है मोदी सरकार: डा़ नरेश कुमार
वरिष्ठ कांग्रेस नेता और दिल्ली प्रदेश कांग्रेस समिति के वरिष्ठ प्रवक्ता डा़ नरेश कुमार ने बुधवार को कहा कि कांग्रेस ने हमेशा देश के हितों को सर्वोपरि रखा है और माफीनामे जैसा शब्द उसके शब्दकोश में कभी रहा ही नहीं है।
नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। कांग्रेस का इतिहास कभी भी माफीनामे का नहीं रहा है और इस पार्टी तथा इसके नेताओं ने देश की आजादी के दौरान तथा बाद में भी अपने हितों का बलिदान करने में कोई कसर नहीं छोड़ी हैं। वरिष्ठ कांग्रेस नेता और दिल्ली प्रदेश कांग्रेस समिति के वरिष्ठ प्रवक्ता डा़ नरेश कुमार ने बुधवार को कहा कि कांग्रेस ने हमेशा देश के हितों को सर्वोपरि रखा है और माफीनामे जैसा शब्द उसके शब्दकोश में कभी रहा ही नहीं है।
डा़ कुमार ने रोहिणी जिले के अलीपुर गांव में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि केन्द्र की मोदी सरकार की निरंकुशता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि लोकतंत्र के मंदिर संसद में जिस प्रकार 12 सांसदों का निलंबन किया गया है वह उसकी अघोषित दादागिरी है और सरकार का यह रवैया दमनकारी है। उन्होंने कहा कि विपक्ष के सदस्यों ने कोई ऐसा काम नहीं किया जिसके कारण उन्हें निलम्बित किया जाता लेकिन सरकार ने गलत काम किया है और इसके लिए सरकार माफी मांगे और सदस्यों का निलम्बन वापस ले।
उन्होंने कहा कि जनता के हितों की आवाज उठाने का जनप्रतिनिधियों को पूरा हक है और यह काम वे विधानसभाओं तथा संसद में भी करते हैं लेकिन मोदी सरकार का रवैया यह हो गया है कि वह विपक्ष की आवाज को दबाना चाहती है । सरकार लोकतंत्र का गला घोंटती है और फिर इसका विरोध करने वालों को निलम्बित कर देती है। गलत खुद करते हैं और माफी मांगने के लिए उन लोगों को कहते हैं जिन्होंने कोई गलत नहीं किया। उनका कहना था कि कांग्रेस की संस्कृति माफी मांगने की नहीं बल्कि सच से लड़ने की है।
उन्होंने कहा कि कृषि कानून को खत्म करने की प्रक्रिया के दौरान संसद में चर्चा कराने की परंपरा रही है लेकिन मोदी सरकार ने ऐसा नहीं किया। इसकी वजह बताते हुए उन्होंने कहा कि यदि सदन चलता और इस पर चर्चा होती तो प्रधानमंत्री मोदी तथा उनकी सरकार का कच्चा चिट्टा खुल जाता इसलिए तरीका निकाला गया और एक माहौल बनाया गया ताकि सदन नहीं चल सके। डा़ कुमार ने कहा कि कांग्रेस पार्टी शुरू से ही इन तीन काले कृषि कानूनों के खिलाफ थी और उसने पहले भी कहा था कि श्री मोदी ये कानून अपने काॅरपोरेट मित्रों के लिए लेकर आए हैं ।
लेकिन जब किसानों ने पिछले साल से अपने हितों की बात की तो उन्हें खालिस्तानी, आतंकवादी , विदेशों से आए पैसों पर ऐश करने करने वाला करार दिया था और खुद श्री मोदी ने अन्नदाताओं को ‘आंदोलनजीवी करार दिया था। उन्होंने कहा कि श्री मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तो वह कहा करते थे कि किसान हितैषी हैं लेकिन जब सत्ता में आए तो उन्होंने देश के अन्नदाताओं की गुहार नहीं सुनी ।
अभी हाल ही में विधानसभाओं और लोकसभा उपचुनाव के जो नतीजे आए थे उसमें अपनी हार को देखते हुए तथा आगामी पांच राज्यों की विधानसभा चुनावों को देखते हुए मोदी सरकार बैकफुट पर आ गई है। अपनी दमनकारी नीतियों का खामियाजा मोदी सरकार को आने वाले समय में भुगतना पड़ेगा। इस कार्यक्रम में पूर्व सांसद उदित राज, पूर्व विधायक जसवंत राणा, पूर्व विधायक राजीव लोचव तथा अन्य कांग्रेसी नेता उपस्थित थे और इसकी अध्यक्षता विशाल मान ,जिलाध्यक्ष रोहिणी ने की ।