अब मोबाइल सेंसर बताएंगे वाहनों से फैल रहे प्रदूषण का हाल

मोबाइल सेंसरों से प्रदूषक तत्वों की जानकारी संबंधित अधिकारियों तक पहुंचेगी। इस जानकारी के आधार पर ही पहले विश्लेषण रिपोर्ट और बाद में प्रदूषण कम करने के उपाय तय किए जाएंगे।

By Edited By: Publish:Mon, 24 Sep 2018 09:03 PM (IST) Updated:Tue, 25 Sep 2018 03:11 PM (IST)
अब मोबाइल सेंसर बताएंगे वाहनों से फैल रहे प्रदूषण का हाल
अब मोबाइल सेंसर बताएंगे वाहनों से फैल रहे प्रदूषण का हाल

नई दिल्ली (संजीव गुप्ता)। वाहनों से फैल रहे प्रदूषण का हाल अब मोबाइल सेंसर बताएंगे। यह सेंसर दिल्ली की बसों में लगेंगे। इन मोबाइल सेंसरों से प्रदूषक तत्वों की जानकारी संबंधित अधिकारियों तक पहुंचेगी। इस जानकारी के आधार पर ही पहले विश्लेषण रिपोर्ट और बाद में प्रदूषण कम करने के उपाय तय किए जाएंगे। यह मोबाइल सेंसर 300 बसों में लगाए जाएंगे, लेकिन पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर पांच बसों में जल्द ही लग जाएंगे।

इसके लिए रूट अगले हफ्ते तक तय कर लिए जाएंगे। कम कीमत इस प्रदूषण सेंसर को तैयार करने का काम आइआइटी दिल्ली और इंद्रप्रस्थ इंस्टीट्यूट ऑफ इंनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिकों ने संयुक्त रूप से किया है। इसके लिए दिल्ली इंटीग्रेडेट मल्टीमॉडल ट्राजिट सिस्टम लिमिटेड (डिम्टस) से करार भी किया गया है। पहले चरण के तहत पाच बसों में यह सेंसर अक्टूबर माह में लग जाएंगे।

यह प्रोजेक्ट नवंबर 2018 से फरवरी 2019 के बीच कार्यरूप लेगा। प्रोजेक्ट को केंद्र सरकार के विज्ञान व तकनीकी विभाग की तरफ से अनुदान मिलेगा। विशेषज्ञों के अनुसार यह 300 मोबाइल सेंसर दिल्ली के 38 रियल टाइम एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशन से अलग होंगे।

हालांकि कुछ विशेषज्ञों के अनुसार एक जगह लगे हुए मॉनिटरिंग स्टेशन का डाटा एरर फ्री होता है, जबकि सेंसर से आने वाले डाटा में एरर की गुंजाइश काफी अधिक होती है। इनकी कीमतों में अंतर भी इसी वजह से होता है। ऐसे में इनका प्रयोग सर्वे के लिए तो किया जा सकता है, लेकिन नियमित निगरानी के लिए नहीं।

वहीं केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मोबाइल सेंसर से दिल्ली के सर्वाधिक प्रदूषित क्षेत्रों की बेहतर जानकारी मिल सकेगी। इससे उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर वायु प्रदूषण कम करने की प्लानिंग भी अच्छे से हो पाएगी।

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