नाबालिग अपने पिता को दान करना चाहता है लीवर का हिस्सा, अस्पताल ने किया मना, हाईकोर्ट पहुंचा लड़का, पढ़िए पूरी कहानी
बड़े भाई और मां के लीवर का मिलान नहीं होने के कारण नाबालिग ने अपने पिता को लीवर का हिस्सा दान करने की अनुमति देने की मांग करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। आइएलबीएस द्वारा लीवर का हिस्सा दान करने के अनुरोध को ठुकरा दिया गया।
नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। जिगर (लीवर) खराब होने के कारण जिंदगी और मौत से जूझ रहे पिता को जिगर दान देने के लिए जिगर का टुकड़ा सामने आया है। बड़े भाई और मां के लीवर का मिलान नहीं होने के कारण नाबालिग ने अपने पिता को लीवर का हिस्सा दान करने की अनुमति देने की मांग करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ ने नाबालिग की याचिका पर दिल्ली सरकार और इंस्टीट्यूट आफ लीवर एंड बाइलरी साइंसेज (आइएलबीएस) से जवाब मांगा है। इस दौरान पीठ ने लीवर का हिस्सा दान करने के नाबालिग के आवेदन को खारिज करने के आइएलबीएस के स्टैंड पर भी सवाल उठाया।
पीठ ने प्राधिकारियों को तीन दिन के अंदर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया। साथ ही 24 सितंबर को होने वाली अगली सुनवाई पर आइएलबीएस के एक जिम्मेदार अधिकारी को मौजूद रहने का निर्देश दिया। बिहार के दरभंगा के लहरिया सहाय निवासी 55 वर्षीय उमेश सिंह लंबे समय से लीवर की बीमारी से जूझ रहे हैं। 17 साल और नौ महीने के उनके नाबालिग बेटे सुमन ने मां बेबी देवी के जरिए याचिका दायर कर लीवर का हिस्सा दान करने की मांग की है। सौरभ की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता प्रसून कुमार ने कहा कि उमेश सिंह का लीवर लगभग पूरी तरह से खराब हो चुका है और उसकी स्थिति काफी नाजुक है।
उन्होंने दलील दी कि नियम असाधारण परिस्थितियों में एक नाबालिग द्वारा लीवर का हिस्सा दान करने की अनुमति देता है और अस्पताल ने इस पहलू को नजरअंदाज कर दिया। उन्होंने कहा कि उनके मुवक्किल का मामला असाधारण प्रकृति का है और डाक्टरों की राय में तत्काल प्रत्यारोपण की अनुमति दी जानी चाहिए। एक नाबालिग को भी सरकार द्वारा निर्धारित तरीके से अंग और ऊतक दान करने की अनुमति है।