बिहार के नाबालिग युवक की हाई कोर्ट से गुहार, अपने पिता को दान करने दें लिवर, पढ़िए क्या है पूरा मामला
पीठ को सूचित किया गया कि नाबालिग की ताजा चिकित्सा रिपोर्ट अभी आना बाकी है और सिर्फ इसी आधार पर कमेटी ने उसके आवेदन को रद कर दिया था। जबकि पहली रिपोर्ट में नाबालिग की फिटनेस के कुछ पैरामीटर निर्धारित श्रेणी के अंदर नहीं पाए गए थे।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। बीमार पिता को अपना लिवर दान देने की 17 साल नौ महीने के नाबालिग की गुहार पर दिल्ली हाई कोर्ट ने तीन सदस्यीय कमेटी को दोबारा विचार करने को कहा है। न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ ने कहा उम्मीद है कि इंस्टीट्यूट आफ लीवर एंड बाइलरी साइंसेज (आइएलबीएस) से मिली रिपोर्ट के तहत किशोर लिवर दान करने के लिए स्वस्थ्य पाया जाता है तो कमेटी अनुमति देने पर दोबारा विचार करेगी। पीठ ने सुनवाई को 21 अक्टूबर के लिए स्थगित करते हुए याचिकाकर्ता को स्वतंत्रता दी कि अगर 20 अक्टूबर तक कोई आपात स्थिति उत्पन्न होती है तो वह मामले पर जल्द सुनवाई के लिए हाई कोर्ट के रजिस्ट्री को संपर्क कर सकता है।
पीठ को सूचित किया गया कि नाबालिग की ताजा चिकित्सा रिपोर्ट अभी आना बाकी है और सिर्फ इसी आधार पर कमेटी ने उसके आवेदन को रद कर दिया था। जबकि पहली रिपोर्ट में नाबालिग की फिटनेस के कुछ पैरामीटर निर्धारित श्रेणी के अंदर नहीं पाए गए थे।
27 सितंबर को याचिका पर सुनवाई करते हुए पीठ ने नाबालिग के आवेदन को खारिज करने के आइएलबीएस के फैसले पर भी सवाल उठाया था। नाबालिग मूलरूप से बिहार के दरभंगा के लहरिया सहाय का रहने वाला है और उसके 55 वर्षीय पिता उमेश सिंह लंबे समय से लिवर की बीमारी से जूझ रहे हैं। उनके बड़े भाई और मां को मेडिकल आधार पर लिवर दान देने से मना कर दिया गया था।