पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध के पक्ष में नहीं पर्यावरण मंत्रालय, नियामक तंत्र बनाने का सुझाव

केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया कि पटाखों की बिक्री रोकने की नहीं बल्कि उन्हें नियंत्रित करने की जरूरत है।

By Amit MishraEdited By: Publish:Wed, 17 Oct 2018 09:48 PM (IST) Updated:Thu, 18 Oct 2018 07:00 AM (IST)
पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध के पक्ष में नहीं पर्यावरण मंत्रालय, नियामक तंत्र बनाने का सुझाव
पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध के पक्ष में नहीं पर्यावरण मंत्रालय, नियामक तंत्र बनाने का सुझाव

नई दिल्ली, संजीव गुप्ता। दिल्ली-एनसीआर में साल-दर-साल बिगड़ती आबोहवा के बावजूद केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय पटाखों पर पूर्णतया प्रतिबंध के बजाय इन्हें नियंत्रित करने का पक्षधर है। पटाखा निर्माताओं के लिए नियामक तंत्र बनाने का सुझाव भी दिया गया है। हालांकि, पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण एवं संरक्षण प्राधिकरण (ईपीसीए) इस संबंध में ढिलाई के मूड में नहीं है। दिवाली के मद्देनजर दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) ने भी पटाखों से संबंधित शिकायतों के लिए हेल्पलाइन शुरू कर दी है।

नियामक तंत्र बनाया जाना चाहिए

पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने दिवाली पर दिल्ली-एनसीआर में पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया था। अब पूर्णतया प्रतिबंध लगाने की सुनवाई चल रही है। इस मामले में पिछले दिनों केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया कि पटाखों की बिक्री रोकने की नहीं बल्कि उन्हें नियंत्रित करने की जरूरत है। पटाखे बनाने के नियम तय करने के साथ-साथ पटाखा निर्माताओं के लिए नियामक तंत्र बनाया जाना चाहिए। पटाखों में एल्यूमिनियम और बेरियम जैसी सामग्री को रोकने की जरूरत है। पटाखों के कच्चे माल की भी जांच होनी चाहिए।

राख का इस्तेमाल बंद किया जा सकता है

हलफनामे में बमों की उन लड़ियों पर प्रतिबंध का समर्थन किया गया है, जो ध्वनि और वायु दोनों तरह का प्रदूषण फैलाती हैं। साथ ही पटाखे जलाने के लिए स्थान चिन्हित किए जाने की सुझाव दिया गया है। पर्यावरण मंत्रालय ने कहा है कि पटाखों में किलर सामग्री के रूप में राख का इस्तेमाल बंद किया जा सकता है। इससे पार्टिकुलेट मैटर 15 से 20 फीसद तक कम होगा। नियामक तंत्र यह सुनिश्चित करेगा कि निर्धारित डेसिबल स्तर के पटाखे ही बाजार में पहुंचे। नियमों का उल्लंघन करने वाले पटाखा निर्माताओं और विक्रेताओं के लाइसेंस स्थायी रूप से रद कर दिए जाएं।

हलफनामे में यह भी स्पष्ट किया गया है कि पर्यावरण मंत्रालय ने सभी सुझाव काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च, नेशनल एन्वायरमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीटयूट (नीरी), केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और पेट्रोलियम एंड एक्सपेंसिव सेफ्टी ऑर्गनाइजेशन (पीईएसओ) से सलाह- मशविरा करने के बाद ही दिए गए हैं।

ईपीसीए के अध्यक्ष डा. भूरेलाल कहना है कि पर्यावरण मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में जो हलफनामा दिया है, इस पर कोर्ट के निर्णय का इंतजार है। फिलहाल तो पिछले साल वाला निर्णय ही स्टैंड कर रहा है। दिवाली के मद्देनजर दिल्ली-एनसीआर में पटाखे नहीं बेचे जा सकते। प्रशासन को भी इस पर अमल सुनिश्चित करना चाहिए।

डीपीसीसी की हेल्पलाइन पर करें पटाखों की बिक्री की शिकायत

बढ़ते प्रदूषण के बीच इससे जुड़ी किसी भी शिकायत के लिए डीपीसीसी का वाट्सएप नंबर 9717593574 सक्रिय हो गया है। इस पर पटाखों से जुड़ी शिकायत भी की जा सकती है। पटाखों पर बैन को देखते हुए कुछ व्यापारियों ने अभी से पटाखों की बिक्री शुरू कर दी है। डीपीसीसी के अनुसार, इंपोर्टेड और तय मानकों से अधिक शोर वाले पटाखों की बिक्री और इन्हें छुड़ाने की शिकायत इस नंबर पर की जा सकती है। 

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