दिल्ली के छात्र की प्रतिभा का 20 विदेशी विश्वविद्यालयों ने माना लोहा, दिया रिसर्च का ऑफर
अभिषेक ने बताया कि उन्हें आइआइटी खड़गपुर इंदौर व मद्रास की ओर से भी इंटर्नशिप करने का प्रस्ताव मिला है लेकिन देश लिए कुछ बेहतर करने की तलाश में वह बाहर जाकर ही शोध करेंगे। अभिषेक अपने परिवार के साथ एक किराए के घर में रहते हैं।
नई दिल्ली [रितु राणा]। हौंसले बुलंद हो तो कामयाबी भी कदम चूमने लगती है। इस बात का प्रत्यक्ष उदाहरण हैं मयूर विहार फेज तीन निवासी अभिषेक अग्रहरि। पटियाला आइआइटी से बीटेक की पढ़ाई कर रहे अभिषेक को 20 अंतरराष्ट्रीय नामी विश्वविद्यालयों से शोध व छात्रवृति का प्रस्ताव मिला है। 20 वर्षीय अभिषेक मैकेनिकल इंजीनियरिंग स्नातक तृतीय वर्ष के छात्र हैं और उनका सपना देश के तकनीकी विकास पर काम करना है। खासतौर पर वह एयरोस्पेस (वांतरिक्ष) क्षेत्र में योगदान देना चाहते हैं।
अभिषेक ने बताया कि उनकी प्रतिभा, शोध कौशल, तकनीकी कौशल, समझ और ज्ञान को देखते हुए उनके शिक्षकों ने उन्हें शोध करने के लिए बाहर जाने के लिए प्रेरित किया। इसके बाद उन्होंने विभिन्न विश्वविद्यालयों में शोध के लिए आवेदन किया और ऑनलाइन टेस्ट व साक्षात्कार दिए। इसके बाद सभी जगह से उन्हें शोध के लिए प्रस्ताव पत्र मिले।
उन्होंने बताया कि उन्हें आइआइटी खड़गपुर, इंदौर व मद्रास की ओर से भी इंटर्नशिप करने का प्रस्ताव मिला है, लेकिन देश लिए कुछ बेहतर करने की तलाश में वह बाहर जाकर ही शोध करेंगे। आमतौर पर शोध करने का मौका परास्नातक, एमफिल या पीएचडी के छात्रों को ही मिलता है, लेकिन अभिषेक को यह मौका काबिलियत के दम पर मिल रहा है। वह गैस टरबाइन इंजन पर रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) व आइआइटी बॉम्बे के साथ फ्लूड स्ट्रक्टर इंटरैक्शन और आइआइटी कानपुर के साथ जुड़कर तरल पदार्थ की गतिशीलता पर भी काम कर चुके हैं।
अभिषेक ने बताया कि डीआरडीओ के साथ काम करने के दौरान उन्हें पता चला कि संस्थान की रिसर्च लैब में अधिकतर सामान विदेशी है। संसाधनों की कमी के कारण तकनीकी क्षेत्र में हमारा देश आज भी काफी पीछे है। कई वर्षों से कोई स्वदेशी इंजन नहीं बना है। लेकिन वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि भारत सरकार को ज्यादा से ज्यादा बेहतर छात्रों को तकनीकी विकास के क्षेत्र में आगे बढ़ाना चाहिए। अभिषेक ने बताया कि अभी वह विचार कर रहे हैं कि उन्हें शोध के लिए कहां जाना है लेकिन उन्होंने 20 विश्वविद्यालयों में से प्राथमिकता में यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड (इंग्लैंड), पेंसिलवेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी(अमेरिका), टेक्निकल यूनिवर्सिटी ऑफ म्यूनिख (जर्मनी), हेरियट वॉट यूनिवर्सिटी इडिनबर्ग स्कॉटलैंड, तेल अविव विश्वविद्यालय (इजराइल) को रखा है।
कोरोना काल में आर्थिक तंगी से गुजर रहा परिवार
अभिषेक अपने परिवार के साथ एक किराए के घर में रहते हैं। उनके पिता श्रीराम एक निजी फर्म में कार्यरत थे। करीब 15 महीने से उनके पास कोई रोजगार नहीं है। कई बार प्रयास करने के बाद भी उनकी नौकरी नहीं लग पाई और अब कोरोना में तो आर्थिक स्थिति और भी बदहाल हो गयी है। अभिषेक की बहन एश्वर्या सातवीं कक्षा में है जिसकी फीस तक भरना उनके लिए मुश्किल हो रहा है। उनकी मां रेनु गृहिणी हैं। इस समय पूरा परिवार आर्थिक तंगी से गुजर रहा है लेकिन अभिषेक के बुलंद हौंसले उन्हें कभी निराश नहीं होने देते और उन्होंने प्रण लिया है कि वह अपने परिवार व देश का नाम आसमान की बुलंदियों पर लेकर जाएंगे।
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