प्रतिभा पलायन को रोकना है उद्देश्य, हिमानी ने साझा किए कारपोरेट में काम करने का अनुभव
हिमानी पेरेटो के सिद्धांत को फालो करती हैं जो कहता है कि आप अपनी जिंदगी में जितने काम करते हैं उनमें से सिर्फ 20 फीसद काम ही ऐसे होते हैं जिनसे आपको 80 फीसद सफलता मिलती है। वह युवाओं को स्किल्ड बनाना चाहती हैं।
नई दिल्ली [अंशु सिंह]। बिहार जैसे राज्य में आइटी संबंधी स्टार्टअप करना किसी चुनौती से कम नहीं था, लेकिन कारपोरेट में कार्य करने का वर्षों का अनुभव रखने वाली हिमानी मिश्रा ने इसे स्वीकार किया और करीब साढ़े तीन वर्ष पहले शुरुआत हुई डिजिटल मार्केटिंग और आइटी कंपनी च्ब्रांड रेडियेटरज् की। कंपनी की सह-संस्थापक और सीईओ हिमानी का दावा है कि यह राज्य की पहली डिजिटल मार्केटिंग कंपनी है, जो आइटी, पीआर एवं ब्रांडिंग जैसे क्षेत्रों में अपनी सेवाएं दे रही है। वह कहती हैं कि उनके लिए उद्यमिता किसी जुनून सरीखा है, जिसके जरिये वे अपने राज्य से प्रतिभा पलायन को रोकना चाहती हैं। युवाओं को स्किल्ड बनाना चाहती हैं। उनके लिए ज्यादा से ज्यादा रोजगार के अवसर सृजित करना चाहती हैं।
परिवार में तीन बहनों में सबसे बड़ी हिमानी के पिता डा. रणजीत कुमार मिश्रा राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर हैं और मां गृहिणी। अपने माता-पिता की एक सीख, च्सिर उठाकर जीना सीखो राजकुमारी, नहीं तो सिर से ताज गिरने में समय नहीं लगेगाज्, को इन्होंने अपने जीवन के मूल मंत्र की तरह गांठ बांध लिया और आगे बढ़ती गईं।
आइआइआइटी, कोलकाता से बीटेक (कंप्यूटर साइंस) करने के बाद सिंगापुर की मोटोरोला यूनिर्विसटी से सिक्स सिग्मा ग्रीन बेल्ट की उपलब्धि प्राप्त की और विप्रो से अपने करियर की शुरुआत की। आगे चलकर टाटा टेलीर्सिवसेजज् एवं च्टेलेनारज् जैसी कंपनियों में कई प्रमुख पदों पर कार्य किया। 14 वर्ष कारपोरेट में अनुभव हासिल करने के बाद हिमानी को लगा कि अब कुछ अपना शुरू करने का वक्त आ गया है। तभी देश में डिजिटल इंडिया अभियान का आगाज हुआ था।
इंटरनेट डाटा की खपत बहुत तेजी से बढ़ रही थी। लगभग हर हाथ में स्मार्टफोन पहुंच गया था। वह बताती हैं, च्मुझे लगा कि इस डाटा का इस्तेमाल बिजनेस को ग्रो करने में हो सकता है। बड़े शहरों में तो ऐसा हो रहा था, लेकिन टियर 2 एवं टियर 3 शहरों में लोग ऐसा नहीं कर पा रहे थे। फिर मैंने नौकरी छोड़ अपने गृह प्रदेश बिहार की राजधानी पटना में डिजिटल मार्केटिंग एवं आइटी कंपनी शुरू करने का फैसला लिया। फिलहाल पटना के अलावा, बेंगलुरु, कोलकाता और दिल्ली में भी हमारे दफ्तर हैं।
कई स्तरों पर रहीं चुनौतियां
बिहार डिजिटल क्रांति से अछूता नहीं था, परंतु यहां स्टार्टअप इकोसिस्टम उस प्रकार से डेवलप नहीं हो सका है, जैसा कि बेंगलुरु, हैदराबाद या पुणे में हुआ है। यहां के युवा रोजगार के लिए पहले से ही अन्य प्रदेशों में बड़ी संख्या में पलायन कर चुके हैं। वह बताती हैं, शुरू में मेरे भी घरवाले डरे हुए थे कि नौकरी छोड़कर पटना में बिजनेस करना कितना सही होगा। लेकिन मैंने काफी सोच-समझ कर यहां उद्यम शुरू करने की चुनौती स्वीकार की। लोगों को डिजिटल मार्केटिंग से अवगत कराना आसान नहीं था, क्योंकि वे वर्षों से पारंपरिक तरीके से बिजनेस करते आ रहे थे। टीम बिल्डिंग में भी दिक्कतें आईं। लेकिन आज हमारे साथ 36 सदस्य जुड़े हैं, जिसमें 9 बिहार से ताल्लुक रखते हैं।
मेहनत का कोई शार्टकट नहीं
हिमानी पेरेटो के सिद्धांत को फालो करती हैं, जो कहता है कि आप अपनी जिंदगी में जितने काम करते हैं, उनमें से सिर्फ 20 फीसद काम ही ऐसे होते हैं, जिनसे आपको 80 फीसद सफलता मिलती है। इसके साथ ही आप 80 प्रतिशत काम ऐसे करते हैं, जिनसे आपको 20 प्रतिशत सफलता मिलती है, जैसे कि सोना, घूमना-फिरना, पार्टी करना, अनावश्यक चैटिंग करना आदि। हिमानी का कहना है कि वह सिर्फ अपनी मेहनत पर विश्वास करती हैं। मेहनत का कोई शार्टकट नहीं होता और कड़ी मेहनत करने वाला कभी नाकाम नहीं होता। वह वक्त के साथ खुद को अपग्रेड करने का प्रयास करती रहती हैं।
[हिमानी मिश्रा सह-संस्थापक एवं सीईओ, ब्रांड रेडियेटर]