नमो देव्यै महा देव्यै: कूड़ा बीनने वालों के सामाजिक और आर्थिक सुधार के लिए कार्य कर रही हैं बलजीत
कोरोना के दौरान बलजीत ने अपने प्रयासों से करीब 25 हजार वंचित परिवारों को राशन पहुंचाने का काम किया। जिसके तहत उन्होंने सहयोगियों की मदद से लोगों को दाल चावल तेल व बेसन के किट बनाकर लोगों में वितरित किये।
नई दिल्ली [शिप्रा सुमन]। बीनते हैं कूड़ा तो क्या जीने का अधिकार नहीं..? यही सवाल बलजीत के मन को कचोटता था, तब उन्होंने इनकी स्थिति में सुधार करने का फैसला लिया। और सुविधाओं से वंचित और योजनाओं के लाभ से दूर इन कूड़ा बीनने वालों को समाज की मुख्य धारा में लाने के प्रयास में जुट गईं। वह पिछले अठारह वर्षों से सामाजिक कार्यों से जुड़ी हैं। उनका मानना है कि समाज के हर व्यक्ति को जीने के अधिकार के तहत सभी सुविधाओं को पाने का हक है। इसके लिए सामाजिक बदलाव के साथ उनकी छोटी-छोटी जरूरतों की ओर ध्यान दिलाना जरूरी है।
इसके लिए उन्होंने अलग अलग कॉलोनियों व सोसायटी के लोगों में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से भी कार्य किया। इन सबके बीच इनकी स्वच्छता सुरक्षा को लेकर सवाल उठाए और उन्हें स्वच्छता के लिहाज से कूड़ा बीनने के दौरान ग्लब्स और मॉस्क लगाने के लिए प्रेरित किया।
कामगारों के जरूरतों को समझने का प्रयास
इस कार्य को अच्छी तरह करने के लिए बलजीत ने कूड़ा बीनने वालों की सामाजिक व आर्थिक स्थिति पर शोध किया। साथ ही देश के अलग अलग राज्यों में कामगारों की भिन्न स्थिति को भी समझने का प्रयास किया। फिलहाल वह लोक अधिकार संस्था के साथ मिलकर यह कार्य कर रही हैं। वह सिविल लाइन, रोहिणी और केशवपुरम क्षेत्र में कार्य कर रहे कूड़ा बीनने वालों के लिए कार्य कर रही हैं। उनके बच्चों को प्राथमिक शिक्षा और महिलाओं के स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए शिविर भी लगाए। बच्चों को शिक्षित करने के लिए परिवार के मुखिया को जागरूक किया और उन्हें स्कूल में दाखिला दिलवाने में मदद की। कूड़ा बीनने के दौरान उनके लिए सुरक्षा उपकरण उपलब्ध कराने के साथ उन्हें समझाया कि वह खुले हाथों से कूड़ा न उठाएं।
सोसायटी को किया जागरूक
बलजीत ने बताया कि वर्ष 2016 में सालिड वेस्ट मैनेजमेंट के तहत कुछ नियम बनाए गए थे। इस गाइडलाइन के अनुसार उन्हें लाभ मिले इसके लिए वह निरंतर प्रयास वह कर रही हैं। इसके तहत उन्होंने अलग अलग सोसाइटी से कूड़ा उठाने वाले इन मजबूरों को नगर निगम से कार्ड उपलब्ध कराया ताकि कोई इन्हें कॉलोनी में प्रवेश से रोक न सके और उनके काम को सम्मान मिले। करीब तीन हजार कूड़ा बीनने वालों को बलजीत ने पहचान पत्र दिलवाया। इसके साथ ही साथ उन्हें कॉलोनियों में ही कूड़ा छांटने की जगह देने का भी प्रयास किया।
उन्होंने बताया इनके द्वारा कूड़ा छांटे जाने के कारण सरकार को भी आर्थिक लाभ मिलता है। ऐसे में यह जरूरी है उन्हें सुविधाएं और सुरक्षा दी जाए। रोहिणी जोन की विभिन्न सोसायटी के साथ मिलकर बलजीत ने इन्हें प्रतिदिन के आधार पैसे दिलवाने के लिए कार्य किया। साथ ही कूडे़ का प्रबंधन करने की जिम्मेदारी भी दी गई जिससे वह गिला कूड़ा को कंपोष्ट बना सके। इसमें लोगों से मदद की अपील की। वहीं स्कूल प्रबंधन के साथ मिलकर बच्चों को भी जागरूक कर रहे हैं कि वह कूड़े को यहां वहां न फेंके।
जरूरतमंदों की मदद
कोरोना के दौरान बलजीत ने अपने प्रयासों से करीब 25 हजार वंचित परिवारों को राशन पहुंचाने का काम किया। जिसके तहत उन्होंने सहयोगियों की मदद से लोगों को दाल, चावल, तेल व बेसन के किट बनाकर लोगों में वितरित किये। इसके अलावा पका हुआ भोजन भी जरूरतमंदों तक तक पहुंचाया। इसके अलावा इस दौरान महिलाओं के लिए सैनेटरी पैड वितरित कर उनकी स्वच्छता का ध्यान रखा। इस दौरान उन्होंने करीब लाखों की संख्या मॉस्क वितरित किए।
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