48 एकड़ के उद्यान में लगे पौधों से होगा इलाज, 500 से अधिक प्रजातियों के लगेंगे पौधे

अतिरिक्त निदेशक डा. एनआर सिंह ने बताया कि यह योजना कई चरणों में विभाजित है और चरण दर चरण उसे पूरा किया जा रहा है। आगामी दस सालों में योजना को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया जाएगा। संस्थानों के अभाव के कारण फिलहाल योजना की गति थोड़ी धीमी है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Fri, 09 Apr 2021 01:46 PM (IST) Updated:Fri, 09 Apr 2021 01:47 PM (IST)
48 एकड़ के उद्यान में लगे पौधों से होगा इलाज, 500 से अधिक प्रजातियों के लगेंगे पौधे
कोरोना संक्रमण के दौरान आयुर्वेद पर लोगों के बढ़े विश्वास ने इस परियोजना को मजबूती प्रदान की है।

पश्चिमी दिल्ली, मनीषा गर्ग। चौ. ब्रह्म प्रकाश आयुर्वेदिक चरक संस्थान को भविष्य में दवाओं के लिए किसी कंपनी पर निर्भर नहीं रहना होगा। दीर्घकालिक जरूरतों को देखते हुए संस्थान परिसर के पास 48 एकड़ जमीन पर औषधीय उद्यान विकसित किया जा रहा है। उद्यान से हासिल उत्पादों का प्रसंस्करण कर उससे औषधि बनाया जाएगा। इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा।

500 से अधिक प्रजातियों के पौधे लगेंगे: अस्पताल प्रशासन की मानें तो औषधीय गुणों वाले 500 से भी अधिक प्रजातियों के पौधे उद्यान में लगाए जाएंगे। इस योजना पर काम शुरू हो चुका है। फिलहाल, 10 एकड़ जमीन पर उद्यान विकसित किया गया है। इसमें 10 अलग-अलग थीमों के अंतर्गत विभिन्न तरह के औषधीय गुणों वाले पौधे लगाए गए हैं।

शोधित जल का होता है इस्तेमाल: इन पौधों की सिंचाई के लिए भूमिगत जल के बजाय शोधित जल का इस्तेमाल किया जा रहा है। अस्पताल प्रशासन की योजना औषधीय उद्यान में उगाए जाने वाले पौधों का इलाज प्रक्रिया में इस्तेमाल करने के साथ ही इसे पर्यटन स्थल के रूप में भी विकसित करना है, ताकि यहां आकर लोग औषधीय पौधों के बारे में जानें।

नेशनल मेडिसिनल प्लांट बोर्ड ने दिए 54 लाख रुपये: वर्ष 2010 में तैयार हुई इस योजना के लिए छह करोड़ रुपये का बजट पास हुआ, जिसमें केंद्र सरकार के नेशनल मेडिसिनल प्लांट बोर्ड की ओर से 54 लाख रुपये मुहैया कराए गए हैं। शेष बजट दिल्ली सरकार की ओर से मुहैया करवाया जाएगा। कोरोना संक्रमण के दौरान आयुर्वेद पर लोगों के बढ़े विश्वास ने इस परियोजना को मजबूती प्रदान की है।

नागरादि वाटिका : गुडुची (गिलोय), हरीतकी (हरड़) और सुनथी

त्रिफला वन : हरीतकी (हरड़), बिभीतकी (बहेड़ा), आमलकी (आंवला)

चाय वाटिका : इलायची, सौंफ, दालचीनी, पुदीना, तुलसी, लेमन ग्रास व तेजपत्ता

फल वाटिका : नारियल, आम, पपीता, अंगूर, अनार, बेल, खजूर, नींबू, चीकू, आडू, सेब, जामुन, अमरूद, संतरा, सहजन, करौंदा

सब्जी वाटिका : भिंडी, बैगन, टमाटर, लौकी, टिंडा, पालक, मैथी, धनिया, पुदीना, खीरा, ककड़ी, प्याज, लहसुन, मूली, गाजर, चुकंदर, करेला, परवल

10 में से छह थीम पर चल रहा है काम: अस्पताल प्रशासन को उम्मीद है कि औषधीय उद्यान में आकर लोगों को औषधि गुर युक्त पेड़-पौधों से जुड़ी कई महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होगी और वे प्रेरित होकर अपने घरों में भी पौधे लगाएंगे, जो पर्यावरण संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम होगा। अभी 10 में केवल छह थीमों पर काम किया जा रहा है और उनके अंतर्गत केवल थोड़े ही पौधे लगाए गए हैं, पर धीरे-धीरे बड़े पैमाने पर औषधि गुर युक्त पौधे उगाए जाएंगे।

ये हैं 10 थीम राशि नक्षत्र वाटिका नवग्रह वाटिका (नवग्रहों की शांति के लिए) फल वाटिका त्रिफला वाटिका नागरादि वाटिका चाय वाटिका निर्गुण्डी वन (दर्द निवारक औषधि की वाटिका) सब्जी वाटिका सप्तऋषि वाटिका पंचवटी रोगानुसार वाटिका धान्य वर्ग

अतिरिक्त निदेशक डा. एनआर सिंह ने बताया कि यह योजना कई चरणों में विभाजित है और चरण दर चरण उसे पूरा किया जा रहा है। आगामी दस सालों में योजना को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया जाएगा। संस्थानों के अभाव के कारण फिलहाल योजना की गति थोड़ी धीमी है, पर अस्पताल प्रशासन की पूरी कोशिश है कि समय रहते योजना को पूरा किया जाएं।

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